मुल्क भारत में सभी जगह चांद नजर आया रमजान मुबारक शुरूः o1 मार्च को चांद नजर आया, आज 02 को रमज़ान का पहला रोज़ा

रिपोर्टर मोहम्मद अय्युब शीशगर
भोपाल के शहर काजी की अध्यक्षता में चांद देखने का एहतमाम किया गया
इंदौर/भोपाल/झाबुआ रमजान का पवित्र महीना 02 तारीख दिन रविवार से शुरू हुआ 01 को चांद नजर आया और 02 को पहला रोज़ा रखा गया रमजान माह की आमद को लेकर कई शहरो में तैयारियां जोर शोर से शुरू हो गई हैं। मस्जिदों में साफ सफाई का दौर चल रहा है तो वहीं लोग सेहरी और इफ्तारी के लिए इंतजाम में लग गए हैं। भोपाल की मोती मस्जिद में रुहते हिलाल कमेटी की बैठक का आयोजन किया गया था रमजान से पहले सभी शहरो में माहौल एक अच्छा माहौल नजर आने लगा है। खाने पीने की सामग्री की दुकानों पर खरीदारी बढ़ गई है। ज्यादा वे चीजें बिक रही हैं जो सेहरी और इफ्तार के काम आती हैं। मेघनगर के आलिम जुनैद ने बताया कि इस बार अधिकतर मस्जिदों में
पूरे माह के रोजों का एहतमाम किया जाता है व 26 या 27 दिन की तरावीह अदा की जाएगी, ताकि कोई भी व्यक्ति कुरान सुनने से वंचित न रहे।
कल रमजान का चांद नजर आया
मुल्क भारत मे आज पहला रोज़ा
है। रोजे के मायने सिर्फ भूखे प्यासे रहना नहीं है बल्कि गुनाहों से खुद का बचाव भी है। नूरे मोहम्मदी मस्जिद, व मरकज़ मस्जिद मेघनगर (झाबुआ) के प्रबंधकों ने बताया कि इस माह मस्जिदों में भीड़ बढ़ जाती है। लोग इबादतों की खासतौर पर पाबंदी करते हैं। जिसके चलते बिजली पानी से लेकर साफ सफाई और रंग रोगन के लिए मस्जिदों में काम किया गया । ताकि रोजेदारों को परेशानी न हो। भोपाल के शहर काजी की अध्यक्षता में चांद देखने का एहतमाम किया गया था चांद की तस्दीक करने के लिए बनी रुहते हिलाल कमेटी का गठन किया गया था। इसकी बैठक रविवार को मोती मस्जिद में हुई। शहर काजी की अध्यक्षता में इसका आयोजन हुआ। चांद नजर आते ही 01 तारीख को रमजान में होने वाली विशेष तरावीह की नमाज शुरू हो चुकी है। यह नमाज केवल रमजान माह में ही होती है। अगले दिन यानि इतवार 02 तारीख को पहला रोजा रखा गया।
नबी स.अ. वसल्लम ने शाबान की आखरि ता. में सहाबाओ को वाज़ फर्माया
हज़रत सलमान (रजि०) कहते हैं कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने शाबान की आखरि तारीख में हम लोगों को वाज़ फर्माया कि तुम्हारे ऊपर एक महीना आ रहा है, जो बहुत बड़ा महीना है, बहुत मुबारक महीना है। इस में एक रात है (शबे कुद्र), जो हजारों महीनों से बढ़कर है। अल्लाह तआला ने उसके रोज़े को फर्ज फर्माया और उसके रात के कियाम (यानी तरावीह) को सवाब की चीज बनाया है।
जो शख्स इस महीने में किसी नेकी के साथ अल्लाह का कुर्ब हासिल करे, ऐसा है, जैसा कि गैर रमज़ान में फर्ज अदा किया और जो शरस इस महीने में किसी फर्ज को अदा करे, वह ऐसा है जैसा कि गैर रमजान में सत्तर फर्ज अदा करे। यह महीना सब्र का है। और सब्र का बदला जन्नत है और यह महीना लोगों के साथ गम खूवारी करने का है। इस महीने में मोमिन का रिज्क बढ़ा दिया जाता है। जो शख्स किसी रोजेदार का रोजा इफ्तार कराए, उस के लिए गुनाहों के माफ़ होने और आग से खलासी का सबब होगा और रोजेदार के सवाब की मानिंद उसको सवाब मिलेगा, मगर इस रोजेदार के सवाब से कुछ कम नहीं किया जाएगा। सहाबा रजि० ने अर्ज किया कि या रसूलल्लाह ! हम में से हर शखूस तो इतनी वुसअत% नहीं रखता कि रोजेदार को इफ्तार कराये ? तो आप सल्ल? ने फर्माया कि (पेट भर खिलाने पर मौकूफ़ नहीं) यह सवाब तो अल्लाह जल्ल शानुहू एक खजूर से कोई इफ्तार करा दे, या एक छूट पानी पिला दे, या एक घूंट लस्सी पिला दे, उस पर भी मरहमत फर्मा देते हैं। आगे इर्शाद है कि अल्लाह ने इसके रोजे को फ़र्ज किया है साथ ही इसके क़ियाम यानी तरावीह को सुन्नत किया।
रमजान की खुबिया जो पैगम्बर मोहम्मद सल्ल. ने बताई
माहे रमजान में चार काम खूब करें।
1 कलिमए तय्यबह पढ़ना
2 जन्नत का तलब करना
3 इस्तिगफार पढ़ना
4 दोज़ख से पनाह माँगना
माहे रमजान में पढ़ने की खास दुआ
अल्लाहुम्म इन्न क अफव्वुन करीमुन रहीमुन तुहिब्बुल अफ़व अफू अन्ना या करीम…
हलाल माल से सेहरी करो। और हलाल माल से इफ्तार करो।
🌑 रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया सहरी खाओ सेहरी में बरकत है।
🌑 रोजा इफ्तार कराने वाले को भी रोज़ेदार जितना ही सवाब मिलता है। लेकिन रोज़ेदार के सवाब में कोई कमी नहीं होती।
🌑 जिसने माहे रमज़ान में सवाब की निय्यत से दिन में रोजा रखा और क्याम किया (तरावीह पढ़ी) उसके लिए जन्नत वाजिब हो गई।
🌑 बरबाद हो जाए वह शख्स जिसने रमज़ान का मुबारक महीना पाया और उसने अपने गुनाह मुआफ न कराए। (अहादीस का खुलासा)
🌑 अल्लाह हमारी हिफाज़त फरमाए और माहे रमजान की कदर करने की तौफीक अता फरमाए। आमीन
कुरान को सस्वर पढ़ने के लिए मस्जिदो में दो या चार हाफिज
शहर काजी नदवी ने मस्जिदों की प्रबंध समितियों से कहा है कि तरावीह के लिए एक के बजाय दो हाफिज नियुक्त किए जाएं। इनमें एक हाफिज 8 रकात और दूसरा 12 रकात पढ़ाएगा। खासतौर पर नए हाफिजों को प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि वे भी इस जिम्मेदारी को निभाने का अनुभव प्राप्त कर सकें। गौरतलब है कि तरावीह की विशेष नमाज में हाफिज कुरान को सस्वर पढ़ते हैं और उन्हें यह कंठस्थ(मुंह जबानी) होता है।
रमजान के 30 रोजों का महत्व-
मसाजिद मरकज मेघनगर के इमाम साहब ने बताया कि रमजान के 30 रोजों को तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहले 10 दिन रहमत, दूसरे 10 दिन बरकत और आखिरी 10 दिन मगफिरत (मोक्ष) के माने जाते हैं। इस महीने में मुसलमान सूर्योदय से सूर्यास्त तक रोजा रखते हैं। सूर्योदय से पहले सेहरी और सूर्यास्त के बाद इफ्तार किया जाता है।