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राजिम भक्तिन माता की याद में मनाया जाता है खास दिन :- धन्नू साहू

रिपोर्ट पनमेश्वर साहू

रायपुर। भारत के छत्तीसगढ़ राज्य का राजिम क्षेत्र रायपुर जिले में महानदी के तट पर स्थित है। यहां ‘राजिम’ या ‘राजीवलोचन’ भगवान रामचंद्र का प्राचीन मंदिर है। राजिम का प्राचीन नाम पद्मक्षेत्र था। पद्मपुराण के पातालखण्ड अनुसार भगवान राम का इस स्थान से संबंध बताया गया है।

राजिम में महानदी और पैरी नामक नदियों का संगम है। संगम स्थल पर ‘कुलेश्वर महादेव का प्राचीन मंदर है। इस मंदिर का संबंध राजिम की भक्तिन माता से है। कहते हैं कि छत्तीसगढ़ राज्य के राजिम क्षेत्र राजिम माता के त्याग की कथा प्रचलित है और भगवान कुलेश्वर महादेव का आशीर्वाद इस क्षेत्र को प्राप्त है।

प्रदेश साहू समाज युवा प्रकोष्ठ उपाध्यक्ष धन्नू साहू ने बताया कि भक्त माता कर्मा की जयंती 7 जनवरी को राजिम भक्तिन माता की याद में मनाई जाती है। छत्तीसगढ़ के लाखों श्रद्धालु यहां एकत्र होकर माता की पूजा करते हैं। राजिवलोचन मंदिर में लगे शिलालेख के अनुसार कलचुरी राजा जगपाल देव के शिलालेख में माता का उल्लेख मिलता है। 3 जनवरी 1145 को शिलालेख लगाया गया था। कहते हैं कि यहां साहू समाज के लोग एकत्र होते हैं।

इस स्थान का नाम राजिम तेलिन के नाम पर इसलिए पड़ा क्योंकि यहां के तैलिय वंश लोग तिलहन की खेती करते थे। इन्हीं तैलिन लोगों में एक धर्मदास भी था जिसकी पत्नी का नाम शांतिदेवी था। दोनों विष्णु के भक्त थे और उनकी बेटी का नाम राजिम था। राजिम का विवाह अमरदास नामक व्यक्ति से हुआ। राजिम भी विष्णु की भक्त थी जो मूर्ति विहीन राजीवलोचन मंदिर में जाकर पूजा करती थी। राजिम की भक्ति, त्याग और तपस्या के चलते ही वह संपूर्ण क्षेत्र में माता की तरह प्रसिद्ध हो गई। भगवान के प्रति अपार सेवाभाव रखने व पुण्य-प्रताप के कारण ही आज पूरे देश में राजिम भक्तिन माता की अलग पहचान है और संपूर्ण क्षेत्र को ही राजिम कहा जाता है।

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