सौसर क्षेत्र में बसों की मनमानी, जनता परेशान

रिपोर्टर,, धीरज सिंह चंदेल
प्रशासन को सख्त कदम उठाने की जरूरत, वरना होगा उग्र आंदोलन
सौसर क्षेत्र के यात्रियों को बस संचालकों की मनमानी का लगातार सामना करना पड़ रहा है। नागपुर से सौसर आने वाली बसों में यात्रियों को सीट नहीं दी जाती, उनसे दो गुना किराया वसूला जाता है, और कई बार तो बस में खड़े होकर सफर करने के लिए मजबूर किया जाता है। इसी तरह की एक घटना आज फिर सामने आई, जब नागपुर से सौसर आने वाले शुभम नामक युवक को बस में सीट देने से इनकार कर दिया गया और उससे दोगुना किराया मांगा गया।युवा मोर्चा के विवेक गायकवाड को जब इस घटना की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत एक्शन लेते हुए संबंधित बस को सौसर पुलिस थाना ले जाकर ड्राइवर और कंडक्टर को पुलिस के हवाले कर दिया। थाना प्रभारी रूप उईके ने बस संचालकों की अनियमितताओं को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई की और जनता को आश्वासन दिया कि भविष्य में सभी बसों की जांच होगी। साथ ही, उन्होंने बस संचालकों को सख्त चेतावनी दी कि यात्रियों को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए।
पहले भी हो चुकी हैं शिकायतें, फिर भी जारी है मनमानी
यह पहली बार नहीं है जब सौसर क्षेत्र के यात्रियों को इस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा हो। इससे पहले भी कई बार बस संचालकों के खिलाफ शिकायतें आई हैं, जिन पर प्रशासन ने बैठकों के जरिए समझाइश देने की कोशिश की थी। आरटीओ अधिकारी साहू, जिला अध्यक्ष संदीप भाऊ मोहोड़, एसडीओपी और नगर प्रशासन ने मिलकर यह निर्णय लिया था कि ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर यात्रियों को सीट दी जाएगी। लेकिन बस संचालक अब भी इस नियम का उल्लंघन कर रहे हैं और यात्रियों को परेशान कर रहे हैं।
युवा मोर्चा ने दी चेतावनी – जरूरत पड़ी तो करेंगे उग्र आंदोलन
युवा मोर्चा विवेक गायकवाड ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि बस संचालकों की मनमानी नहीं रुकी और प्रशासन इस पर सख्त कार्रवाई नहीं करता, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे। सौसर की जनता अब और अधिक अन्याय सहन नहीं करेगी।
प्रशासन को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि—
✔ बसों में यात्रियों से अतिरिक्त किराया न लिया जाए।
✔ सभी यात्रियों को सीट मिले और खड़े होकर यात्रा करने के लिए मजबूर न किया जाए।
✔ बस ड्राइवर और कंडक्टर उचित वर्दी में रहें और नियमों का पालन करें।
✔ ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के नियम को सख्ती से लागू किया जाए।
अगर जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो जनता को सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। अब देखना यह होगा कि प्रशासन अपनी जिम्मेदारी कितनी गंभीरता से निभाता है।