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फर्जी निवास प्रमाण पत्र के आधार पर पाई सरकारी शिक्षक की नौकरी निवास व जाति का फर्जी प्रमाण के सहारे नौकरी हासिल करने की हुई पुष्टि

रिपोर्ट आर एन पाण्डेय

सिगंरौली जिले में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर सरकारी शिक्षक की नौकरी हासिल करने का एक सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। फर्जी निवास प्रमाण की बदौलत न केवल सरकारी शिक्षक के पद पर नौकरी हासिल की है। बल्कि दूसरे राज्य का निवासी होने के बावजूद इन्होंने मध्य प्रदेश राज्य में आरक्षण का भी लाभ हासिल किया। गलत प्रमाण पत्र के आधार पर सरकारी नौकरी करने, सरकारी राशि का गबन करने एवं अन्य कई प्रकार के जालसाजी करने का आरोप है। जांच प्रतिवेदन में उल्लेख किया है लेकिन अपने काली करतूत को छुपाने के लिए दिनांक 08/11/2014 को दूसरा जाति प्रमाण पत्र बनवाकर जांच प्रतिवेदन में संंलग्न कराया और उसी को आधार मानकर के संबंधित अधिकारियों अच्छा खासा मोटी रकम लेने के बाद जांच प्रतिवेदन 2014 में बने जाति प्रमाण पत्र के आधार पर कार्यवाही कर उसे अग्रेषित कर दियाइतना ही नहीं इन्होंने विशेष आरक्षण प्राप्त रीवा संभाग में नौकरी हासिल कर यहां के अनुसूचित जाति का हक छीनने का भी काम किया है। और साथ में इन्होंने इनकी पत्नी जो महोबा चरखारी उत्तर प्रदेश में 12वीं तक शिक्षा ग्रहण की थी और वहां उनके विद्यालय में लगा जाति प्रमाण पत्र जो पिछड़ा वर्ग अंतर्गत आते हैं।लेकिन इनकी विवाह शिवप्रसाद चक्रवर्ती के साथ होने के कारण जिस तरह से फर्जी जाति प्रमाण पत्र सिर्फ चक्रवर्ती ने उपयोग करके नौकरी हासिल की ठीक उसी प्रकार से एस.डी.एम कार्यालय देवसर में पदस्थ बाबू ने मोटी रकम लेकर के नया जाति प्रमाण पत्र नीलम प्रजापति का जारी कर दिया इस तरह से दोहरा मार्ग रीवा संभाग के अनुसूचित जाति के साथ हुआ और साथ में सरकार की खजाने में सेंध मारा इसके साथ-साथ इन्होंने अपने बच्चों को हरिजन कोटे का लाभ दिलवा कर के यहां के अनुसूचित जाति व दोनों का शोषण कराया जा रहा है।

वहीं शिवप्रसाद चक्रवर्ती से मागी गई जानकारी से एक से आठ तक की शिक्षा कहां से हुई है यह जानकारी नहीं बता पा रहे हैं एवं एक से आठ तक का मार्कशीट भी इनके पास उपलब्ध नहीं है।

जो की मान्यता के अनुसार जाति प्रमाण पत्र पिता के आधार पर बनता है लेकिन ऐसा ना हो करके पति के आधार पर जाती प्रमाण पत्र जारी कर नौकरी हासिल किया गया

लेकिन हैरत की बात है कि जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के बद भी वर्षो बीत जाने के बाद भी विभाग ने इस मामले में अब तक किसी प्रकार का कार्रवाई नहीं कर जांच रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। जानकार लोगों का कहना है कि यह केवल एक शिक्षक शिव प्रसाद चक्रवर्ती व उनकी पत्नी नीलम चक्रवर्ती का मामला नहीं है।अगर विभाग इसकी उच्चस्तरीय जांच कराती है तो इस प्रकार के जिले में और भी मामले सामने आएंगे।

*संबंधित दस्तावेज शिक्षक से मांगे गए लेकिन दस्तावेज दिखाने व देने से बचते रहे शिक्षक*

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