अटल इरादों से फलोदी के पर्यटन को लगेंगे पर

रिपोर्टर :-वल्लभ लखेश्री
फलोदी।
“पर्यटन एक प्रमुख सांस्कृतिक एवं आर्थिक गतिविधि है, जो निरंतर विकसित हो रही है। जिसमें एक स्थान विशेष की प्राकृतिक एवं मानवीय कृति मौहकता रमनियता, एवं सौंदर्यता को निहार कर शांति एवं सुकून के साथ-साथ मौज मस्ती का लुफ्त उठाया जा सकता है। पर्यटन मानव जीवन में ज्ञानवर्धन के साथ-साथ उमंग और उत्साह का संचार करता है। साथ ही क्षेत्र विशेष की सांस्कृतिक, सभ्यता,प्राकृतिक धरोहर तथा धार्मिक पहलुओं को समझने का मौका देते हैं। ” यह उदगार है फलोदी के यशस्वी जिला कलेक्टर श्रीमान हरजीलाल जी अटल (IAS)के, जिन्होंने फलोदी जिला बनने के पश्चात पहली बार 17 मार्च 2025 को “कुरजा महोत्सव” बड़े धूमधाम के साथ मनाने का ऐलान किया।
जिनका उद्देश्य फलोदी में पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ाना एवं विशेष कर ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देना। माननीय जिलाधीश महोदय जी का मानना है कि फलोदी में पर्यटन की अपार संभावना जिसके चलते “केसरिया बालम पधारो म्हारे देश” के गगनचुंबी आह्वान को यथार्थ पर उतर जा सकता है।
कार्यक्रम का नाम “कुरजा महोत्सव” रखने के पीछे भी एक कारण है, फलोदी से सट्टा हुआ एक खींचन गांव जो विश्व पटल पर पर्यटन के क्षेत्र में फलोदी के नाम को सुशोभित कर रहा है। जिसकी वजह है यहां कुरजा पक्षियों का पड़ाव, जो मंगोलिया एवं कजाकिस्तान से लगभग 5000 किलोमीटर का सफर तय करके खींचन में शीत-बसंत ऋतु में अपना डेरा डालते हैं।
इसके धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो फलौदी में पांच लोक देवताओं पाबूजी, हड़बूजी, मेंहोजी,जांभोजी और करणी जी के ऐतिहासिक विख्यात दर्शनीय स्थल है। यहां के लोक कलाकार लंगा गायन और कालबेलिया नृत्य विश्व रंग मंच पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं। यहां की सांस्कृतिक के रीति रिवाज, तीज त्यौहार, वेशभूषा,और खानपान की मीठी मनुहार, गजबन की सौंदर्यता और गर्वविले पुरुषों की गाथाए अमर हैं। यहां की स्थापत्य कला के क्षेत्र में झरोखे दार हवेलियां और ऐतिहासिक दुर्ग आकर्षण का केंद्र है। यहां की प्राकृतिक छंटा में लहलहराते खेत, चमकीली मलमली रेत के धोरें, अंगडाती इंदिरा गांधी नहर, और हिलोरा लेती झील की लहरें वाकई मनमोहक है।
माननीय जिला कलेक्टर महोदय जी ने “कुरजा महोत्सव” की सार्थकता एवं सफलता को मध्य नजर में रखते हुए क्षेत्र के आम जनों एवं प्रवासियों से अपील की है कि इस ऐतिहासिक प्रोग्राम में बढ़ चढ़कर के हिस्सा ले। कार्यक्रम 17 मार्च की भौर की किरण से लेकर के रात की चांदनी तक चलता रहेगा।
कार्यक्रम की शुरुआत कुरजा के आशियाना खींचन से होगी। जहां कुरजों के कलर, उड़ान और आठखेलियों का आनंद लेते हुए। यहां की स्थापत्य कला की शौहरत को समेटे हुए हवेलियों का नजारा देखने को मिलेगा। दोपहर में फलोदी के ऐतिहासिक दुर्ग में भ्रमण के साथ-साथ यहां की हस्त शिल्प प्रदर्शनियों का भी लुफ्त उठाया जा सकेगा। संध्या काल में संस्कृति प्रोग्राम का आगाज होगा जिसमें कला और संस्कृति,हुनर और हास्य, राग और नृत्य का नयनाभिराम एवं कर्णप्रिय शृंगारिक रसास्वादन की मार्मिक अनुभूति की जा सकेगी। संस्कृति प्रोग्राम में राजस्थान संगीत अकादमी की कुछ टीम में अपनी यादगार सहभागिता निभाएगी।
कार्यक्रम के नोडल अधिकारी अतिरिक्त जिला कलेक्टर फलोदी होंगे। कार्यक्रम को सफल अंजाम तक पहुंचाने के लिए जिला कलेक्टर कार्यालय,अतिरिक्त जिला कलेक्टर कार्यालय, नगर परिषद, उपखंड कार्यालय, पर्यटक निगम, जिला उद्योग केंद्र और स्वयं सेवी संस्थाएं जिले के इस प्रथम कुरजा महोत्सव को यादगार बनाने के लिए कटिबंध रहेगी।