मनावर व सिंघाना पुलिस को मिली बड़ी सफलता पुलिस की गिरफ्त में जैन मंदिरों में हुई चोरी के आरोपी

रिपोर्टर:दिलीप कुमरावत
पिछले दिनों मनावर एवं सिंघाना जैन मंदिरों में हुई चोरी की घटनाओं का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने दो शातिर बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया है।
वर्ष 2019 में देवास जिले के बागली जैन मंदिर में हुई चोरी के फरार 20 हजार रुपये के इनामी बदमाश को भी पुलिस ने पकड़ा है।एसपी मनोज कुमार सिंह के मार्गदर्शन, एएसपी गितेश गर्ग के निर्देशन एवं एसडीओपी अनु बेनीवाल के नेतृत्व में यह कार्रवाई की गई।चौकी प्रभारी सिंघाना एसआइ प्रकाश सरोदे को मुखबिर से सूचना मिली थी कि जैन मंदिर में चोरी करने वाली गैंग के दो बदमाशों मोतीसिंह पुत्र मडु एवं साल सिंह पुत्र सुबानसिंह कोटा धावड़दा रोड से गुजरने वाले हैं। सूचना पर थाना प्रभारी मनावर ईश्वरसिंह चौहान ने दो टीमों का गठन कर घेराबंदी की और दोनों बदमाशों को दबोच लिया।
पूछताछ में वारदात कबूली :
पूछताछ करने पर आरोपितों ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर सिंघाना एवं मनावर के जैन मंदिरों में चोरी करना कबूल किया।पकड़े गए आरोपितों ने अपने साथियों के नाम उजागर किए। जिनमें दयाराम पुत्र सेकड़िया, कमलेश पुत्र केंदर, अंतरसिंह पुत्र केंदर, भाया उर्फ धीरज पुत्र कहारू (निवासी सोल्या बयडा बोरी) व भाया के दोस्त का नाम शामिल हैं।
फरार आरोपितों की तलाश जारी :
पुलिस ने आरोपितों के कब्जे से सिंघाना जैन मंदिर से चोरी गया अधिकांश माल बरामद कर लिया है। वहीं अन्य फरार आरोपितों की तलाश जारी है। जिन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
कार्रवाई के दौरान पुलिस ने वर्ष 2019 में देवास जिले के बागली जैन मंदिर में चोरी के फरार 20 हजार के इनामी बदमाश परम को भी गिरफ्तार किया है।
कार्रवाई में एसआइ मनोज पाटीदार, सायबर शाखा धार के उपनिरीक्षक प्रशांत गुंजाल, प्रधान आरक्षक सर्वेश सिंह, इंद्रदेव परमार, ललित कुमरावत आरक्षक बसंत, अंकित रघुवंशी, अनुज, ओमप्रकाश, नितेश, पवन, सुनील तरेटिया, राहुल का सहयोग रहा। एसपी द्वारा टीम को सम्मानित करने की घोषणा की गई।
*समरसता और सौहार्द के रंग भरे जाएं डॉ. प्रगति जैन*
होली मात्र एक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय समाज की उस सांस्कृतिक चेतना का हिस्सा है, जो रंगों के माध्यम से जीवन के विविध आयामों को अभिव्यक्त करती है। यह पर्व परंपरा और आधुनिकता के संयोग का उदाहरण है, जहां उत्सव धर्मिता, सामाजिक समरसता और मनोवैज्ञानिक प्रभाव, तीनों पहलू समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। बदलते समय के साथ होली का स्वरूप भी परिवर्तित हुआ है। अब यह केवल व्यक्तिगत आनंद तक सीमित नहीं, बल्कि सामूहिक चेतना और सामाजिक जुड़ाव का भी प्रतीक बन गई है।उक्त वक्तव्य शासकीय महाविद्यालय की डॉ. प्रगति जैन ने होली के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आधुनिक समाज में, जहां व्यक्ति डिजिटल जुड़ाव में अधिक और वास्तविक रिश्तों में कम संलग्न होता जा रहा है, वहां होली का महत्व और भी बढ़ जाता है। यह त्योहार लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने, संवाद स्थापित करने और व्यक्तिगत व सामाजिक दूरियों को कम करने का अवसर प्रदान करता है। रंगों का यह खेल सिर्फ बाहरी सजावट नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्तर पर भी प्रभाव डालता है। मनोविज्ञान के अनुसार, रंगों का हमारी भावनाओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है। गुलाबी जहां स्नेह और करुणा का प्रतीक है, वहीं पीला उल्लास और सृजनशीलता को दर्शाता है। यही कारण है कि होली जैसे त्योहार मानसिक तनाव कम करने और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में सहायक माने जाते हैं। इसके अलावा, वैश्विक परिप्रेक्ष्य में होली का प्रभाव अब केवल भारतीय समाज तक सीमित नहीं है। अमेरिका, यूरोप और अन्य देशों में भी फेस्टिवल ऑफ कलर्स के रूप में इसकी लोकप्रियता बढ़ी है, जो इसकी सार्वभौमिक स्वीकार्यता को दर्शाता है। परंतु, आधुनिक समाज में इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी देखने को मिलते हैं—जैसे रासायनिक रंगों का अंधाधुंध उपयोग, जल की बर्बादी और कभी-कभी अनुचित व्यवहार की घटनाएं। अतः, इस पर्व की भावना को बनाए रखते हुए, इसके पर्यावरणीय और नैतिक पहलुओं को लेकर अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है। जल संरक्षण, प्राकृतिक रंगों का उपयोग और स्वस्थ मनोरंजन की दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए ताकि यह पर्व अपनी मूल भावना को संरक्षित रखते हुए और अधिक सकारात्मक अनुभव प्रदान कर सके। होली का वास्तविक संदेश यही है कि समाज में किसी भी प्रकार की कटुता, भेदभाव और एकांकीकरण को समाप्त कर, समरसता और सौहार्द के रंग भरे जाएं। यह त्योहार सिर्फ उत्सव धर्मिता का अवसर नहीं, बल्कि मानवीय मूल्यों और सामाजिक जुड़ाव का प्रतीक है। ऐसे में, इस वर्ष की होली केवल बाहरी रंगों की नहीं, बल्कि विचारों, संवाद और सहयोग की भी होनी चाहिए।