समाज मे, नवयुवक और युवतियाँ मूल संस्कारो से दूर हो रहे चिंता का विषय,जुगल किशोर पाटीदार समाज धर्मशाला,अध्यक्ष रुणजी गौतमपुरा

रिपोर्ट राकेश पाटीदार
दबंग केसरी रुणजी गौतमपुरा मप्र पाटीदार समाज संगोष्ठी के दौरान समाज के अध्यक्ष, श्री जुगलकिशोर पाटीदार से विशेष चर्चा के दौरान, उन्होंने अपने विचार साझा किये, और वर्तमान मे सामाजिक घटनाओ का जिक्र करते हुए, चिंता जताते हुए कहा, अभी मोबाइल क्रांति युग है, इफेरमैशन, टेक्नोलॉजी, और पल पल तेजी से बदलने वाले घटना क्रम चल रहे है वर्तमान जीवन मे बच्चों की शिक्षा और करियर की चिंता मे परिजनों से दूर बच्चे अपने मूल संस्कार से दूर होते जा रहे है, जिससे परिवार और सामजिक, रीती रिवाजो को भूलने से अच्छे बुरे भाव का आभाव हो रहा है, जिस कारण, आये दिन पेपरो और न्यूज़ चैनलो मे, अवैध कार्य और आसामजिक घटनाओ की संख्या बढ़ रही है, किसी भी सभ्यता को भूलना, कई विषमता पैदा करती है, वर्तमान मे संस्कारो के आभाव मे, सामाजिक शर्म और भावनाओं की विषमता बढ़ती जा रही, जो हमारे भावी, परिवेश को बदले गी, इसमें युवा और युवतियाँ दोनों, बाद मे अपनी पीढ़ी को, वही देंगे जो वे वर्तमान मे सीखेंगे, मेरा चिंता का विषय, ऐसा है की, भारतीय परम्परा से विहीन एक समृद्धि से भरा राष्ट्र का निर्माण, होता नहीं है, मेरा उन यूथ से यही कहना है की, मूल संस्कार से भटकना यानि, जो विषमताये भविष्य मे दिकेगी वो, अपने साथ कई विपत्ति लेकर आएगी,
आज शराब,किसी भी प्रकार का व्यसन, ऑनलाइन, सट्टा , फ्री गंबलिंग, अनजाने फोन मित्र, और, ऑनलाइन ठगी, अश्लीलता, और कई असामाजिक गतिविधियों मे सलग्नता को बड़ा रही है जिसमे, युवा पीढ़ी, कर्जो के मकड़जाल मे फसने पर, आत्महत्या, लव जिहाद, जो थोड़े से पैसे के लेन देन मे फस जाता है या फस जाती है!जो वर्तमान मे बहुत चिंता का विषय है! ऐसे कृत्य सभ्यता के लिए किसी भस्मासुर से कम नहीं, इनको कम करने के लिए, परिजनों को, अपने तोर तरीके मे बदलाव लाना जरुरी, मे किसी को प्रतिबंध का नहीं बोल रहा की, आप आधुनिकता मे ना जाय परन्तु, बच्चों को, समय समय पर, अच्छे बुरे का जिक्र करके फ़िक्र करें, हर वो बात भी ना माने की उनको, और उनके भावी भविष्य के लिए, सोचनीय हो जाये, मेरा आशय है
एक सुशीलऔर संस्कारो वाला परिवार ही अच्छे राष्ट्र का निर्माण करता है