हसदेव अरण्य उजाड़कर मोदी अपने चहेतों को कर रहें उपकृत तुरंत रोक लगनी चाहिये- इन्द्र साव

रिपोर्ट -शत्रुहन प्रसाद साहू
भाटापारा- दबंग केसरी -देश में न कोयले की कमी है और न ही इनकी खदानों की। परंतु केंद्र की भाजपा सरकार एक लंबे समय से इसका कृत्रिम अभाव पैदा कर आम-नागरिकों को छलने के काम में लगी हुई है। जिसका परिणाम रेल्वे प्रशासन के रवैये से हमेशा साफ झलकते हुुये दिखता है। उदाहरणार्थ यात्री टेªने चाहे वे एक्सप्रेस, मेल या सुपर फास्ट ट्रेनों को रोककर कोयले से लदी या इस कार्य में लगी मालगाड़ियों को निकालने में रेल्वे प्रशासन सदैव सक्रिय दिखता है। भले ही इसके कारण यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता हो, इससे उनका कोई लेना-देना नहीं रहता। बहरहाल, इसी कोयले के कारण आजकल छत्तीसगढ़ के पेण्ड्रामार व हसदेव के जंगलों के पेड़ों की कटाई का मामला सुर्खियों में है। वहां के वनवासी आक्रोशित होकर कई दिनों से आंदोलनरत है।
भाटापारा के विधायक इन्द्र साव ने इस संदर्भ में बात करते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ के सरगुजा अंचल के अंतर्गत हसदेव जंगल के घाटबर्रा कोल परियोजना के अंतर्गत लगभग 91 हेक्टेयर जमीन पर लगे पेड़ों के जंगल की कटाई शासन द्वारा करवाई जा रही है। जो 500 जवानों (पुलिसकर्मी) की सुरक्षा में कोल कंपनी के अधिकारियांे की मौजुदगी में वनवासियों की नाराजगी व आंदलोन के बावजूद बदस्तूर जारी है। इसके लिए वन विभाग व शासन ने अनुमति भी दे दी है।
देश का कोई भी आम नागरिक जिसके कार्य में बाधा डालने वाले एक-दो पेड़ों को काटने के लिए संबंधित विभागों की अनुमति लेने के लिए वर्षाें चक्कर लगाना पड़ता है। वहीं देश के प्रधानमंत्री के खास मित्रों को उपकृत करने व उनको लाभ पहुंचाने की गरज से इतनी बड़ी मात्रा में पेड़ांे को काटने की अनुमति देना अनेको प्रकार के संदेहों को जन्म देता है।
हसदेव अरण्य छत्तीसगढ़ की प्राचीन विरासत व धरोहर है। जहां एक ओर इससे आदिवासी समाज का जीवन जुड़ा है। इससे वनवासियों के घर के साथ-साथ उनके देवी-देवता, पूजन स्थल व प्राचीन संस्कृति को भी नष्ट किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर इससे पर्यावरण को भी नुकसान होने के साथ जंगल में निवास करने वाले बड़ी मात्रा में जीव-जन्तु व पशु-पक्षियों के जीवन पर भी खतरा मंडराने लगा है।