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कब बनेगा पंचकोशीय परिपथ, यात्रियों को इंतजार

रिपोर्ट – डीके ठाकुर

गरियाबंद (राजिम) । सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन करते हुए आज भी हजारों की संख्या में लोग जनवरी माह में पंचकोशी यात्रा करते हैं। इस परिक्रमा में प्रदेश भर के लोग सम्मिलित होते हैं। महिलाएं पुरुष बच्चे सभी अपने रोजमर्रा के सामानों को उठाकर पैदल नंगे पांव चलते हैं ज़ुबा में महादेव का नाम होता है और पग आगे बढ़ते जाते हैं। राजिम से निकालकर प्रथम पड़ाव पटेश्वरनाथ महादेव पटेवा होता है। यहां से निकलकर सीधे राजिम से पूर्व दिशा में स्थित चंपारण के चम्पकेश्वर नाथ महादेव पैदल ही पहुंचाते हैं। यह दोनों शिवधाम रायपुर जिला वर्तमान अभनपुर ब्लॉक में स्थित है। तीसरा पड़ाव बम्हनी के ब्रह्मकेश्वरनाथ महादेव वर्तमान महासमुंद जिला में स्थित है यहां से होकर गरियाबंद जिला के फिंगेश्वर के फणिकेश्वरनाथ महादेव तथा कोपरा के कर्पूरेश्वरनाथ महादेव से होकर वापस तीन नदी के संगम में स्थित पंचमुखी कुलेश्वरनाथ महादेव राजिम पहुंचते हैं और यात्रा का समापन करते हैं। इन पांचो पीठों में आने-जाने में तकरीबन डेढ़, दो सौ किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ता है। सभी शिव पीठ अलग-अलग जिला में स्थित है। रास्ता घुमावदार,कंक्रीट तथा पैडगरी, नदी, नाले पार करते हुए आगे बढ़ते हैं इस यात्रा में अधिकतर उम्र दराज लोग रहते हैं। यदि पंचकोसी परिक्रमा परिपथ का निर्माण हो जाए तो लोगों को आने-जाने में सहूलियत होगी। सदियों से चली आ रही इस यात्रा पर न ही केंद्र सरकार ने अभी तक ध्यान दिया है और न राज्य सरकार ने कोई फिक्र की है। यात्रीगण अपनी सुविधा के अनुसार आना-जाना करते हैं यहां तक की सरकार इन यात्रियों के हाल-चाल पूछने के लिए भी उपस्थित नहीं होते। प्रशासन कोई ध्यान नहीं देती। नतीजा सुविधाओं का मोहताज होना पड़ता है। स्नान के लिए तालाब में कई जगह पानी कम रहते हैं नतीजा मटमैले पानी पर ही डुबकी लगाने की मजबूरी होती है। दिशा मैदान जाने के लिए शौचालय नहीं होते हैं। यात्रियों को इधर-उधर भटकना पड़ता है। ढ़ेर सारे समस्याओं से गुजर रहे यात्रियों से जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ का यह महत्वपूर्ण यात्रा है। उत्तर प्रदेश में 84 कोसी यात्रा होती है जिसमें सरकार पूरी सुविधाएं देती है। छत्तीसगढ़ में पंचकोशी यात्रा सदियों से चली आ रही है पर सरकार और प्रशासन यात्रियों के हाल-चाल पर पलट कर नहीं देखते हैं। यह बहुत बड़ी विडंबना है। इस संबंध में नवदीप जनकल्याण सेवा समिति के अध्यक्ष अशोक मिश्रा ने कहा कि बृजमोहन अग्रवाल के मंत्री बनते ही हमने 20 सदस्यों के साथ राजधानी रायपुर पहुंचकर पंचकोशीय कॉरिडोर बनाने के लिए आवेदन दिए हैं। इसके माध्यम से सभी पांचों शिवपीठों को जोड़ा जाना चाहिए तथा यात्रियों को पूरी सुविधाएं मिलनी चाहिए। बहुत पहले से पंचकोशी यात्रा में लोगों की श्रद्धा है इस यात्रा को करने के बाद मनुष्य पुण्य के प्रतिभागी बनते हैं। अलौकिक एवं धार्मिक परंपरा का निर्वाह करने वाले श्रद्धालुओं को पूरी सुविधाएं मिलनी चाहिए और उनके आने-जाने में कोई तकलीफ ना हो इसके लिए पंचकोशी परिपथ शीघ्र बनाया जाना चाहिए। फिंगेश्वर केनगर पंचायत उपाध्यक्ष रूखमणी मांड़ले, भाजपा नेता किरणेश सोनी, कांग्रेस नेता बिसौहा हरित, पार्षद सुनीता श्रीवास, हरिशंकर श्रीवास्तव, जिला पंचायत गरियाबंद के सभापति मधुबाला रात्रे ने कहा कि यात्रीगण जिस रास्ते से होकर आगे बढ़ते हैं उन्हें चिकनी और सुंदर बनाया जाए क्योंकि यात्रा में अधिकतर उम्रदराज लोग भी रहते हैं उन्हें चलने में कोई परेशानी ना हो इस बात का ख्याल रखना बहुत जरूरी है। कवि एवं साहित्यकार संतोष कुमार सोनकर मंडल ने कहा कि छत्तीसगढ़ सौभाग्यशाली है कि उन्हें पंचकोशीय धाम मिला हुआ है। इस यात्रा को सहज और सरल बनाने के लिए राज्य सरकार को आगे आना चाहिए। यात्रा के दौरान यात्रियों के ठहराव स्थल पर रहने तथा स्नान करने के अलावा दिनचर्या के सारी सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए। स्थानीय वरिष्ठ नागरिक लीलाराम साहू, तुकाराम कंसारी,टीकम सेन,भीखम सोनकर ने कहा कि यात्रियों के लिए प्रशासन पानी पिलाने के लिए एक टैंकर तक उपलब्ध नहीं कर पाते यह बड़ी विडंबना का विषय है। जबकि आम जनता यात्रियों के सुविधाओं का ख्याल रखते हुए रास्ते भर उन्हें चाय पिलाते हैं तो कोई सब्जी व चावल भेंट करते हैं।

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