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निगम मंडल में नियुक्ति के लिए जुगाड़ – जद्दोजहद शुरू  गरियाबंद जिला से लगभग दर्जन भर नाम चर्चे में 

रिपोर्ट  (डीके) ठाकुर

गरियाबंद (राजिम) । पॉंच वर्षों की सियासी गर्दिशे झेलने के बाद दिसंबर 23 में हुए विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश सत्ता में अप्रत्याशित ढ़ंग से शानदार वापसी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में मंत्रीमंडल गठन के पश्चात प्रदेश के लगभग तीन दर्जन से अधिक निगम, मंडल, आयोगो सहित प्राधिकरणों में होने वाली नियुक्तियों के लिए भाजपा संगठन स्तर पर जुगाड़ और जद्दोजहद के दौर के साथ गरियाबंद जिले से दर्जन भर से अधिक नाम चर्चे में है।

छत्तीसगढ़ राज्य को अस्तित्व में आए तेईस वर्ष पूरे हो गये हैं लेकिन कैबिनेट दर्जा प्राप्त गौसेवा आयोग अध्यक्ष ब्रह्मलीन संतश्री पवन दीवान के कार्यकाल को छोड़ इन संस्थाओं में जिले व यहां के नेताओं को माकूल- सम्मानजनक प्रतिनिधित्व आज पर्यंत नही मिल पाया चाहे सरकार किसी भी पार्टी की रही हो ।

सन् 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की 68 सीटों से जिले की जनता के साथ कांग्रेस जनो को एक मंत्री पद के साथ कम से कम 2-3 निगम – मंड़लो में नियुक्ति की बड़ी उम्मीदें थी लेकिन यें उम्मीदें पॉंच वर्षो तक उम्मीदें ही बनी रहीं । अविभाजित मध्यप्रदेश केदौर में तीन दफे मुख्यमंत्री देनें वाले राजिम विधानसभा सीट लगभग 54 हजार के ऐतिहासिक – रिकॉर्ड मतो के अन्तर से चुनाव जीतने वाले पूर्व मुख्यमंत्री स्व.श्यामाचरण शुक्ला व पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व. विद्याचरण शुक्ला के इकलौते सियासी वारिस प्रदेश के प्रथम पंचायत मंत्री अमितेश शुक्ला को मंत्री पद की प्रतीक्षा में पॉंच वर्षों का कार्यकाल पूरा करना पड़ा, वही निगम मंडल के मामले में कैबिनेट दर्जा प्राप्त नियुक्ति की आस में बैठे विपक्ष में रहते कडे़ संघर्ष करने वाले बाबूलाल साहू को बीज प्रमाणन बोर्ड के सदस्य के साथ जिले के एक अन्य नेता को तेलघानी बोर्ड के सदस्य के रूप में झुनझुना पकड़ा दिया गया जिसमें क्षेत्र व यहाँ की जनता के हितो के लिए कुछ कर गुजरने का अवसर ही नही था । ग़ौरतलब है कि कांग्रेस शासन काल में 2 – 3 किश्तों मे हुई नियुक्तियों में ही लगभग डेढ़ से ढाई वर्ष का समय लग गया, नियुक्तियों में एक नेता विशेष के समर्थकों के दबदबे के साथ क्षेत्रीय असंतुलन भी देखने में आया

पार्टी के अधिकत्तर जमीनी नेताओं सहित संगठन के करीबी नेताओं को पूरे पॉंच वर्षों तक हांसियें पर पड़े रहना पडा़ ।उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ की कुल आबादी के लगभग 22 – 24 फीसदी आबादी वाले छत्तीसगढ़ साहू समाज की आराध्य देवी ‘भक्तिन माता राजिम ‘ की कर्मस्थली, देश- विदेश में धर्म -धरा प्रयागराज भगवान श्रीराजीवलोचन -कुलेश्वरनाथ महादेव की नगरी के रुप पर्यटनिक खाका में चिन्हित, छत्तीसगढ़ के गांधी कहे जाने वाले प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. सुंदरलाल शर्मा, पृथक छत्तीसगढ़ राज आंदोलन के जननायक सुप्रसिद्ध भगवताचार्य ब्रह्मलीन संतश्री पवन दीवान जी की कर्मभूमि,महाप्रभु वल्लभाचार्य जी की जन्मस्थली चंपारण देवो की भूमि देवभोग को निकटता से समेटे हुए प्रचुर वनसंपदा, हीरा और अलेक्जेंडर खदानों सहित अन्य खनिज संसाधनों के साथ जतमई, घटारानी, विश्वप्रसिद्ध भूतेश्वरनाथ महादेव, निरई माता धाम, चिंगारपारा वाटरफॉल, झरझरा वाटरफॉल, जैसे प्राकृतिक -पर्यटनिक संसाधनों से परिपूर्ण अतिपिछड़ा आदिवासी बाहुल्य गरियाबंद इनके विकास -विस्तार के साथ मूलभूत सुविधाओं की दिशा में अपार आवश्यकताएं हैं जिसकी पूर्ति बिना सत्ता में भागीदारी के संभव नहीं है। यदि पर्यटन, वन विकास, खनिज, अजा.-पिछड़ा वर्ग आयोगो जैसी संस्थाओं जिले के नेताओं की यथोचित भागीदारी सुनिश्चित की जाती है तो गरियाबंद जिले में विकास की एक नई ईबारत लिखने के साथ ही आदिवासी विकासखंडो छुरा, मैनपुर, देवभोग, गरियाबंद आदि क्षेत्रों में शिक्षा स्वास्थ्य सड़क बिजली पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए जद्दोजहद करते हुए गरीब तबके के अंतिम छोर के अंतिम व्यक्ति तक विकास की रौशनी पहुँचाने का पुरजोर कोशिशों के साथ विकास के मामले में मुकम्मल मुकाम हासिल किया जा सकता हैं ।

यदि सूत्रों की माने तो आधे से अधिक संस्थाओं में नियुक्तियां लोकसभा चुनाव के आचार संहिता लगने के पहले कर लिए जाने की तैयारियां भाजपा संगठन द्वारा अंदरूनी तौर पर की जा रही हैं। शेष नियुक्तियां लोकसभा चुनाव के दौरान नेताओं -कार्यकर्ताओं से बेहतर परफारमेंस लेने के लिए बतौर ‘लॉलीपॉप ‘ पेंडिंग रखी जायेगी चुनाव निपटते ही परफारमेंस के आधार पर इन पर भी नियुक्तियां की जायेंगी। नियुक्तियों के मामले में ऐसा माना जा रहा हैं कि नियुक्तियों का पैमाना बड़े नेताओं की सिफारिश न होकर संघ सूत्रो से मिले फीडबैक के आधार पर साफ- सुथरी बेदाग छबि के साथ सोशल इंजीनियरिंग को ध्यान में रखते हुए किए जाने की तैयारी है कुल जमा फार्मूला वैसा ही होगा जैसे विधानसभा चुनाव के दरमियान टिकट वितरण में था।ऐसे में जिले से संघ की पृष्ठभूमि से जुडे़ हुए कुछ चौकाने वाले नये नाम भी आ सकते हैं ।

बहरहाल नियुक्तियों के लिए जिले में जिन नामों की चर्चा हो रही हैं उनमें सिरकट्टी आश्रम के संत- भगवताचार्य गोवर्धनशरण महराज जी, कांडसर आश्रम देवभोग के बाबा उदय नाथ जी, ये दोनों ही विश्व हिन्दू परिषद् से जुड़े हुए हैं समूचे जिले में धर्म – समाज सेवा के साथ गौशाला संचालनकर्ता के रूप जनमानस में अपनी विशिष्ट पहचान बनाये हैं ।बीते विधानसभा चुनाव में टिकट के प्रमुख दावेदारों में शुमार रहे क्रमशः प्रदेश भाजपा प्रवक्ता संदीप शर्मा, संघ पृष्ठभूमि से संबंधित भाजपा के जिलाध्यक्ष राजेश साहू, वरिष्ठ नेता मुरलीधर सिंहा, संघ की पृष्ठभूमि से संबंधित किसान – स्वदेशी आंदोलन से जुडे़ प्रदेश साहू समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष भुनेश्वर साहू, दशकों से भारतीय मजदूर संघ के बैनर तले जिले के सक्रिय मजदूर नेता, श्रमिक कल्याण मंडल के पूर्व सदस्य गैंदलाल साहू, छात्र जीवन से संघ शाखाओं का संचालन करने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता अशोक राजपूत, छत्तीसगढ़ यादव समाज में अहम दखल के साथ पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय भाजपा नेता यशवंत यादव,अल्पसंख्यक कोटे से गरियाबंद नगरपालिका अध्यक्ष गफ्फू मेमन, राजिम नगर पंचायत से दो दफे निर्वाचित मौजूदा अध्यक्ष रेखा सोनकर, महिला मोर्चा नेत्री -पार्षद पूर्णिमा चंद्राकर, विंद्रानवागढ़ क्षेत्र के जिला भाजपा में लगातार महामंत्री का दायित्व निभाने वाले पुनित सिंहा, संघ परिवार – राम मंदिर निर्माण से जुडे़ नरोत्तम साहू, महिला मोर्चा नेत्री विभा अवस्थी के नामों के साथ राजिम के नवनिर्वाचित विधायक रोहित साहू के करीबी बोधन साहू, जिला पंचायत सदस्य चंद्रशेखर साहू, वरिष्ठ भाजपा नेता भागवत हरित आदि प्रमुख हैं ।

यह तो आने वाला समय ही बतायेंगा कि चर्चित नामों की सूची में से कितने नामों को भाजपा आलाकमान की रजामंदी मिलती हैं और निगम मंडल में किनकी ताजपोशी होती हैं…?

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