नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मनाई गई जयंती

रिपोर्ट, धिरज सिंह चंदेल
23 जनवरी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती अवसर पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विचारों को मानने वाले एवं साहित्य जगत से जुड़े हुए लोग साथ ही भूतपूर्व सैनिको एवं विद्यार्थियों द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती का आयोजन किया गया।।
जयंती के अवसर पर एक ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका मुख्य विषय था
वर्तमान दौर में युवाओं की सोच और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विचार कार्यक्रम का संचालन मोबाइल वाणी के पत्रकार योगेश गौतम द्वारा किया गया आभार प्रदर्शन अर्जुन बनारसे द्वारा एवं कार्यक्रम का विषय परिचय लोहियावादी चिंतक डॉ अनूप सिंह द्वारा किया गया ।
कार्यक्रम में देश के कई राज्यों के लोगों ने ऑनलाइन सहभागिता की कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय की *प्रोफेसर डॉ शिव श्रीवास्तव* ने सुभाष चंद्र बोस के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सुभाष बाबू और गांधी जी के बीच कई प्रकार की समता विद्यमान थी, दोनों अपने कार्य और विचार के प्रति प्रतिबद्ध थे।
दोनों के अंदर देश को स्वतंत्र कराने और समाज में समता लाने की प्रबल इच्छा थी, जो लोग यह कहते हैं की गांधी जी और सुभाष चंद्र बोस में मतभेद था वे लोग न गांधी को पढ़ना चाहते हैं ना सुभाष चंद्र बोस को पढ़ना चाहते हैं जबकि सच्चाई तो यह है की विदेशी धरती पर जाने के बाद आजाद हिंद फौज की स्थापना करने के बाद सुभाष चंद्र बोस ने बापू को पत्र लिखें और कहा कि अब आपके आशीर्वाद की जरूरत है। सुभाष चंद्र बोस ने अपने नारे तूम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा के साथ भारत के नौजवानों को आजादी की लड़ाई में जोड़ने का काम किया सुभाष चंद्र बोस एक प्रतिबद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे जिन्होंने आईसीएस जैसी परीक्षा पास करने के बाद भी नौकरी छोड़ दी और देश सेवा के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया आज के युवाओं को भी चाहिए कि सुभाष चंद्र बोस जी से प्रेरणा ले और आगे बढ़कर के देश के अंदर समाज के अंदर और राजनीति के अंदर आ रही को कुप्रवृत्तियों को समाप्त करें ।।
संगोष्ठी में विषय परिचय कराते हुए डॉ अनूप कुमार सिंह ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस का नाम लेते ही हम लोगों के सामने प्रतिबद्धता और विचारधारा की धारा बहने लगती है सुभाष चंद्र बोस जी अपने विचारों से कभी समझौता नहीं करते थे वह हमेशा कहा करते थे कि किसी भी देश की युवा में यह ताकत होती है कि वह व्यवस्था को ध्वंस कर सकता है और बिगड़ी हुई व्यवस्था का निर्माण कर सकता है युवाओं को हमेशा चाहिए की बिगड़ी हुई व्यवस्था को तोड़कर उसके जगह पर एक अच्छी व्यवस्था एंव समता मूलक व्यवस्था स्थापित करें।
सुभाष चंद्र बोस ने हमेशा यह कहा है की परमपिता ने गांधी जी को इसलिए बनाकर भेजा है कि देश को आजाद कर सके उन्होंने हमेशा गांधी जी का सम्मान किया और गांधी जी हमेशा सुभाष बाबू का सम्मान करते रहे दोनों के बीच कई मुद्दों पर एकता थी ,मतभेद थे परंतु मनभेद नहीं था ।आज के युवा जहां अपने आप को राजनीति में कुर्सी और सत्ता के करीब ले जाना चाहता है वही सुभाष बाबू अपने आप को सत्ता और कुर्सी से दूर रख करके जनसत्ता के लिए अपने को जन सेवा के लिए समर्पित कर दिए ।।
कार्यक्रम में बोलते हुए भूतपूर्व सैनिक प्रदीप कलसकर ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस हम लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत है उनका जीवन अनुशासन भरा था इसलिए हर भारत के नागरिक का जीवन अनुशासन से भरा होना चाहिए विदर्भ के नेता नरेश निमजे ने संबोधित करते हुए कहा कि की नेताजी सुभाष चंद्र बोस धार्मिक उन्माद फैला करके राजनीति नहीं करना चाहते थे बल्कि वह सभी धर्म को एक समान मानते थे भूतपूर्व सैनिक के सी सिंगोतिया ने बोलते हुए कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे हर भारतीयों के दिलों में बसते हैं और हर भारतीयों को अपने-अपने तरीके से प्रभावित करते हैं कार्यक्रम में शासकीय महाविद्यालय लोधी खेड़ा के विद्यार्थी शासकीय महाविद्यालय सौसर के विद्यार्थी एवं प्राध्यापकों के साथ-साथ देश की कोने-कोने से तमाम विद्वान वर्ग जुड़े हुए थे।।