सत्ता परिवर्तन का असर नामजद पदाधिकारियों के खिलाफ बेदखली की छिड़ी अघोषित मुहिम

रिपोर्ट:- डेकेश्वर (डीके) ठाकुर
गरियाबंद (राजिम) । सरकार बदलते ही शासनाधीन विभिन्न निकायों – संस्थाओं से राजनीतिक दृष्टिकोण से नामजद पदाधिकारियों के साथ प्रदेश के नगरीय निकायों -पंचायतीराज संस्थाओं के माध्यम से अध्यक्षों को उनके पदों से हटाने की अघोषित प्रदेश स्तरीय मुहिम भाजपा ने छेड़ रखी है इस मामले पर रूतबे में आते ही प्रदेश पदस्थ भाजपा सरकार ने बड़ी पहली कार्यवाही सूबे के लगभग दो दर्जन निगम- मंडल, आयोगो व प्राधिकरणों में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा नामजद अध्यक्षों -सदस्यों को पद से हटाने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से आदेश हुआ।
हालाकि आदेश जारी होने के पूर्व ही विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को मिली करारी हार के चलते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस्तीफा देते ही छत्तीसगढ़ खादी ग्राम उद्योग बोर्ड के अध्यक्ष राजेंद्र तिवारी, रायपुर विकास प्राधिकरण अध्यक्ष सुभाष धुप्पड़ ने अपने इस्तीफे पहले ही दे दिये थे तो वही छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायकव अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष महेंद्र छाबड़ा ने इस्तीफा न देकर पूर्ववर्ती सरकार द्वारा उनके कार्यकाल को दिए गये एक्सटेंशन को आधार बना छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय से स्टे ले लिया गया इस हिसाब से श्रीमती नायक का कार्यकाल 2025 व छाबड़ा का 2024 के अंत चलने का अनुमान है ,वही छत्तीसगढ़ उर्दू अकादमी के इदरीश गांधी को भी न्यायालय से स्टे मिलने के समाचार है ।
सामान्य प्रशासन विभाग के जारी उपरोक्त आदेश के कुछ दिनों बाद ही. नगरीय प्रशासन-विकास विभाग ने आदेश जारी कर अपने अधीनस्थ निगमों, नगर पालिकाओं व नगर पंचायतों में नियुक्त एल्डरमैनों की नियुक्तियां निरस्त की। इसी क्रम में पूर्ववर्ती कांग्रेस द्वारा ही प्रदेश के हाईस्कूलों – हायर सेकंड्री स्कूलों के जनभागीदारी समितियों में बड़े पैमाने पर की गई राजनीतिक नियुक्तियों को आदेश के द्वारा प्रभावहीन कर संबंधित शाला प्राचार्यो को पदेन अध्यक्ष घोषित किया गया ,वही छत्तीसगढ़ शासन उच्च शिक्षा विभाग के अन्तर्गत प्रदेश के समस्त शासकीय महाविद्यालयों की जनभागीदारी समितियों में अध्यक्ष – सदस्यों की नियुक्तियां भी दिनांक 23-01-24 को जारी आदेश के तहत निरस्त कर अध्यक्ष का प्रभार पदेन उपाध्यक्ष -सह- कलेक्टर को आगामी आदेश तक के लिए सौंपा गया है।
वही दूसरी ओर प्रदेश की नगरीय निकायों -पंचायतीराज संस्थाओं में भी भजपा हमलावर दिख रही हैं, यहाँ भी कांग्रेस समर्थित अध्यक्षों को अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से हटाने का सिलसिला शुरू हो गया हैं, अब तक तीन से चार निकाय अध्यक्ष के साथ एक जनपद पंचायत अध्यक्ष पद से हटाये जा चुके हैं,और अनेको निकायों में संख्या बल के आधार पर सियासी गुणा – भाग जारी होने के समाचार हैं ।