Dabang Kesari

Latest Online Breaking News

निरंतर 3 सालों से सेवा परमो धर्मः को चरितार्थ करता सेवा सुगंधम सामाजिक संस्था

 

रिपोर्ट  -शत्रुहन प्रसाद साहू

सेवा सुगंधम सामाजिक संस्था कोरोनाकाल से ही जिले मे विगत तीन सालों से रहा निरंतर उल्लेखनीय कार्य

सुलगती धूप मे छाव के जैसा, मन के घाव मे मरहम जैसा था वो

कहा से आया था वो, छूकर हमारे दिल को ,कहा गया उसे ढूढों

भाटापारा-दबंग केसरी -सेवा परमो धर्म, कहा जाता है की मनुष्य जीव के लिये सेवा धर्म से बढकर कोई धर्म नही होता जो की त्याग तपस्या बलिदान व समर्पण भाव का पूरक होता है संसार मे मनुष्य अपने जीविकोपार्जन को लेकर संघर्ष करते हुये परिवारिक दायित्वों का निर्वहन करता है व अपने पीछे अपने वंशो का छोड दुनिया से अलविदा हो जाते है परंतु इन सब के बीच जो समाज के हितो के प्रति नैतिकता भावना को लेकर जो हर स्तर पर सहयोग के लिये सजग व समर्पणशील रहते है उन्हें समाज सेवक का दर्जा दिया जाता है मनुष्य ही पृथ्वी का ऐसा जीव है जो लोक कल्याण लोक हित के लिये अपना सेवा व समय दे सकता है क्योंकि उनका पास बुध्दि विवेक त्याग समर्पण सहिष्णुता व नैतिकता का भाव रहता है पृथ्वी के अन्य जीव इन सबसे परे होते है वहां प्रकृति के संरचना के अनरुप अपना व्यवहार निभाते हुये वंश वृध्दि कर दुनिया से अलविदा हो जाते है क्योंकि उनमे मनुष्य जैसा वह विशेषताएं नही हो पाती

कोरोनाकाल से जिले मे सेवा सुगंधम सामाजिक ट्रस्ट का रहा प्रभाव

गौरतलब है की सन 2020, 21 मे विश्वव्यापी कोरोना महामारी ने संक्रामक बीमारी से लोगों को अपने आगोश मे लेकर निगल रहा था ऐसे नाजुक समय मे लोग महामारी के डर से अपने होकर अपने से ही पीछा छुडाते नजर आते थे परंतु इस भयावह महामारी के समय सेवा सुगंधम जैसा सामाजिक संस्था भाटापारा जिले मे एक सुंदर हवा के झोंके के समान आकर जिले के लोगों को अपने सामाजिक सेवा से बहुत ही कम समय मे बहुत बडी पहचान बना लिया व समाज मे रहकर, मानवता नैतिकता सहिष्णुता की प्रेरणा देता हुये समाज सेवा का एक नया प्रेरणा व परिभाषा प्रस्तुत किया

सेवा सुगंधम सामाजिक ट्रस्ट द्वारा जिले मे कराये मूलभूत सामाजिक कार्य

गौरतलब है कि सेवासुगंधम सामाजिक संस्था की और से जिले मे जनहितार्थ अनेक समाज कार्य निस्वार्थ भाव से समाज कल्याण हेतु किये गये जिसमे मुख्य रुप से कोरोनाकाल मे कोरोना से ग्रसित हजारों मरीजों को कोरोंनटाईन सेन्टर मे जाकर प्रतिदिन गिलोय का काडा बनाकर पीलाना , साथ साथ चना मूंग का अंकुरित पैकेट कोरोनाकाल मे उल्लेखनीय कार्य करने वाले स्वास्थ्य विभाग के नर्स ,डाक्टर, सफाई मित्र, पुलिस, पत्रकार आदि लोगों को करोना वरियर्स का सम्मान देकर प्रोत्साहित किया जाना , दर्जनों निर्धन कन्याओं का सामूहिक विवाह कराया जाना, पर्यावरण सुरक्षा हेतु पेड पौधे लगाना, हजारों गरीब बच्चों को दीपावली मे कपडा का वितरण , ठंड में गरीबों को कंम्बल का वितरण दर्जनों गरीब महिलाओं को सिलाई मशीन वितरण, दर्जनों बिजली मिस्त्रीयों को काम करने के लिये औजार वितरण व प्रेरित किया जाना,प्रवीण्य स्तर मे स्कूलों मे अंक हासिल करने वाले छात्रों को सम्मानित कर प्रोत्साहित किया जाना ,साफ्टवेयर क्रांति के युग मे वेबसाइट के सद उपयोग को लेकर जागरूक किया, अपना धार्मिक व आध्यात्मिक आस्था के प्रति समय समय पर अनेक आध्यात्मिक आयोजन कर लोगों के प्रति धर्म व नैतिकता के प्रति जागरूक किया ऐसे उल्लेखनीय ऐतिहासिक सामाजिक कार्यों के कारण यह संस्था जिले मे अपना विशिष्ट पहचान बनाने हेतु सफल हो पाया जिसकी आगे भी जरूरत समाज के विभिन्न वर्गों को है ताकि उनका लाभ समाज के जरूरत मंदो को मिलता रहे और इन्ही सभी मानवीय गतिविधियों को देखते हुये जिला बलौदाबाजार भाटापारा के पूर्व कलेक्टर सुनील जैन के द्वारा सेवा सुगंधम सामाजिक संस्था को दादा फाल्के साहेब कोरोनावरियर्स के सम्मान से अलंकृत भी किया गया जो की उक्त संस्था द्वारा निस्वार्थ भाव से किये मानवीय समाज सेवी कार्यो को बल देकर समाज सेवा के क्षेत्र मे निरंतर आगे बढते रहने के लिये प्रोत्साहित करता है

परंतु अब सेवा सुगंधम सामाजिक संस्था समाज के लोगों से हो सकते है दूर

प्रसिद्ध फिल्म थ्री इडियट्स के फिल्म का यह गाना जिसे गीतकार ‘स्वानंद किरकिरे’ ने बडे सुन्दर ढंग से लिखकर लोगों को भावुक कर दिया था , इस गाने के एक एक शब्द सामाजिक संस्था ‘सेवा सुगंधम` पर लागू होता है जो कि किसी विशेष कारणों से जिले के लोगों को अपने मानवीय भावों के सामाजिक गतिविधियों से सेवा देने मे हमसे अब फिरहाल खोते नजर आ रहा है

बहती हवा सा था वो, कहा गया उसे ढूंढों

हमको तो थी राहे है चलाती, वो खुद अपने राहे है बनाती

गिरता सम्हलता मस्ती मे चलता था वो,

हमको तो कल की फीकर सताती वो आज का जश्न मनाती , हर लम्हा खुलकर जीता था वो

कहा से आया था वो, छू के हमारे दिल को कहा गया उसे ढूढों

सुलगती धूप मे छाव के जैसा , रेगिस्तान मे गाँव के जैसा,

मन के घाव मे मरहम जैसा था वो

हम सहमे से रहते कुएँ मे, वो नदियां मे गोते लगाता,उल्टी धारा चिर के बहता था वो

कहा गया उसे ढूढों

लाइव कैलेंडर

July 2025
M T W T F S S
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
28293031  
error: Content is protected !!