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गुरु है ज्ञान के स्वरूप गुरुदेव शिवानंद बेलगहना

 

रिपोर्ट रवि जायसवाल

लोरमी के समीपस्थ ग्राम विचारपुर में श्री सिद्ध बाबा विकास समिति द्वारा आयोजित नवधा रामायण एवं गुरु दर्शन कार्यक्रम बतौर मुख्य अतिथि स्वामी शिवानंद शामिल हुये गुरु परंपरा की पदवी नहीं है गुरुत्वा अर्जित की जाती है तप बल से गुरु शक्ति संसार को संचालित कर रही है गुरु रूप छलावा है अगर सत्य कुछ है तो गुरु का ज्ञान है ,गुरु के बिना संसार में हर कोई विरुद्ध शक्तियों के मथने की तरह मथा जा रहा है संसार में द्वंद है ज्ञान की विपरीत आज्ञान प्रकाश के विरोध अंधकार श्वास के उल्टा प्रश्वासअपना पराया जय विजय इन विरोध शक्तियों ने मथानी की तरहम मथा जा रहा है इन विरोध शक्तियों ने मन को मथ दिया है रोज आप देखते हैं कि संसार हमेशा अंधेरा छाया रहता है गुरु उसे ज्ञान की दीपक की समान है जो हमें अंधकार से उजाले की ओर ले जाता है गुरु एवं शिष्य पारस्परिक संबंध है गुरु दाता है शिष्य ग्रहीता इतना हर शिष्य जानता है परंतु श्रेष्ठ शिष्य जानता है की उनका कर्तव्य सिर्फ ग्रहण करना नहीं अपितु निछावर करना भी है गुरु अपने शिष्यों को कभी भटकने नहीं देता वह ईश्वर तक ले जाने का मार्ग प्रशस्त करता है साथ ही ईश्वर का साक्षात्कार कराताहै यही गुरु का परम धर्म है समाज में ऐसे गुरुओं की संख्या बहुत कम है आजकल ऐसे ऐसे गुरु बनकर घूम रहे हैं जो खुद को ईश्वर से भी बड़ा मानकर खुद की पूजा करवा रहे हैं अभी हाल ही में चारों पीठ के शंकराचार्य ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में शामिल नहीं हुए इसे साफ पता चलता है वह खुद को ईश्वर से बड़ा मानने लगे हैं ऐसी धर्म गुरुओं का समाज को किस दिशा में ले जाएगा यह सोचने वाली बात है सतगुरु वर्तमान की ओर मोड़ देते हैं सद्गुरु का कार्य अपने शिष्य को संघर्ष मुक्त करना है जैसे श्री कृष्ण ने गोपियों को अखंड अमृत का पान करने के लिए रास रचा एक अमृत मंथन में बटा था और दूसरा रास के दिन अमृत वर्षा हर वर्ष गुरु पूर्णिमा की रात को गुरु नित्य स्वरूप ऐश्वर्या संयुक्त सौंदर्य से परिपूर्ण शिष्य जीव जिसकी आत्मा गुरु है श्रद्धा प्रेम और भावना से परिपूर्ण संकल्प गुरु के मार्ग में चलने का साधन है गुरु के पास कालचक्र को काटने की शक्ति है वह इस क्षमता से परिपूर्ण है अपने अनुग्रह से बंधनो को काट दे स्वामी शिवानंद ने कहा कि साधक ईश्वर की कृपा को प्राप्त करने में सक्षम होने के बाद ही गुरु को प्राप्त करता है सभी शिष्यों द्वारा विश्व भर में यह अनुभव है गुरु मनुष्य के रूप में ईश्वर तक ले जाने का एक माध्यम है वह शब्दों से परे हैं ज्ञात हो कि श्री सिद्ध बाबा आश्रम विचारपुर पहाड़ी के ऊपर तलहटी में मनियारी नदी गुजरती है जिसके सुरम्य दृश्य से आसपास के क्षेत्र में आस्था का केंद्र बना हुआ है क्षेत्रीय लोगों के लिए यह नदी जीवन दाहिनी की भूमिका निभा रही है इस अवसर पर समिति के द्वारा विशाल भंडारे में श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में प्रसाद ग्रहण कर गुरु दर्शन का लाभ लिया

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