बीमा कंपनी कैसे ङिसाइल करती है चोरी हुई कार की किंमत ?

रिपोर्ट-संजय मस्कर
सोलापूर, महाराष्ट्र
वाहन का बीमा कराते समय इंश्योरेंस डिक्लेयर्ड वैल्यू (IDV) शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। इसको शॉर्ट में आईडीवी भी कहते हैं। बहुत से लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं होती है। आसान भाषा में समझें तो आईडीवी को कार की बाजार कीमत के रूप में समझा जा सकता है। यानी मौजूदा समय में आपको गाड़ी की कितनी कीमत मिल सकती है। कार खरीदने का सपना हर कोई देखता है। लेकिन बहुत कम लोग ही ये सपना पूरा कर पाते हैं। ऐसे में जब कोई नई गाड़ी खरीदता है तो उसकी सेफ्टी खास ख्याल रखना भी बहुत जरूरी हो जाता है। इसके लिए हम गाड़ी का इंश्योरेंस करवाते हैं। हम यहां इसी से जुड़े कुछ सवालों के जवाब देने वाले हैं जिनको लेकर ज्यादातर लोग कन्फ्यूज रहते हैं।
इंश्योरेंस डिक्लेयर्ड वैल्यू क्या है?
वाहन का बीमा कराते समय इंश्योरेंस डिक्लेयर्ड वैल्यू (IDV) शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। इसको शॉर्ट में आईडीवी भी कहते हैं। बहुत से लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं होती है। आसान भाषा में समझें तो आईडीवी को कार की बाजार कीमत के रूप में समझा जा सकता है। यानी मौजूदा समय में आपको गाड़ी की कितनी कीमत मिल सकती है।
यदि आपकी कार चोरी हो जाती है या मरम्मत से परे क्षतिग्रस्त हो जाती है तो यह आपके कार बीमा कंपनी द्वारा आपको दी जाने वाली उच्चतम राशि होती है।
इंश्योरेंस को प्रभावित करता है IDV
जैसा कि पहले बताया इंश्योरेंस के वक्त आईडीवी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और इसके बारे में न जानना नुकसान भी करा सकता है। आईडीवी इंश्योरेंस को भी प्रभावित करता है। इसमें कई कारक काम करते हैं।
कार की उम्र- कार की उम्र उसकी आईडीवी के प्रमुख निर्धारकों में से एक है। जैसे-जैसे कार का बाजार मूल्य समय के साथ कम होता जाता है, उसकी आईडीवी भी कम होती जाती है। इसलिए, नई कार की तुलना में पुरानी कार की आईडीवी कम होती है।
कार का प्रकार- बाजार में विभिन्न प्रकार की कार मौजूद हैं जिनमें सेडान, हैचबैक, कॉम्पैक्ट एसयूवी, एसयूवी और एमयूवी शामिल हैं। ऐसे में हर किसी के लिए अलग-अलग आईडीवी होती है।
पंजीकृत शहर- आपकी गाड़ी किस शहर में पंजीकृत है। यह भी आपकी आईडीवी को प्रभावित करता है।
एक्सेसरीज- नई गाड़ी खरीदते वक्त कुछ लोग अतिरिक्त एक्सेसरीज भी खरीदते हैं तो आईडीवी गणना के दौरान इन सामानों के मूल्य में उनकी उम्र और कामकाजी स्थिति के आधार पर इनका भी हिसाब लगाया जाता है।