चित्रकूट: अलौकिक स्थान है ऋषियों की तपोस्थली ऋषियन

रिपोर्ट: विवेक मिश्रा
भगवान श्री राम की तपोभूमि चित्रकूट में कई ऐसे रहस्यमय प्राकृतिक स्थान हैं जहां आज भी एक अलौकिक ऊर्जा का आभास अस्थावनों को होता है. ऐसा ही एक स्थान है ऋषियन जिसे ऋषि मुनियों की तपोस्थली कहा जाता है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से संरक्षित ये अति प्राचीन प्राकृतिक स्थान जंगल पहाड़ व गुफाओं से सुशोभित है. वर्ष भर यहां श्रद्धालुओं का आवागमन बड़ी संख्या में होता है.
इस महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान को अपने अथक प्रयासों से सुव्यवस्थित करने वाले क्षेत्र के युवा ऋषियन स्थान के प्रमुख इंद्रेश त्रिपाठी ने बताया कि ये स्थान भगवान शिव का अति पावन प्राचीन धाम है. चूंकि अयोध्या से वनवास के लिए जाते समय श्री राम ने साढ़े ग्यारह वर्ष चित्रकूट में बिताए और ऐसी मान्यता है कि श्री राम इस स्थान से भी होकर गुजरे और तपस्यारत ऋषियों का आशीर्वाद लिया इसलिए जब जब अयोध्या में कोई भव्य धार्मिक कार्यक्रम होता है तो यहां भी कोई न कोई कार्यक्रम अवश्य रखा जाता है. इसी के तहत अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर में विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में ऋषियन स्थान में भववान शिव का भव्य पूजन, आरती, हनुमान चालीसा पाठ, सुंदरकाण्ड का पाठ एवम् प्रसाद वितरण, व वृक्षारोपण का कार्य किया गया जिसमें तमाम लोगों ने भाग लिया, ऋषियन स्थान प्रमुख ने कहा की हम सब प्रभू श्री राम के पद चिन्हों पर पूर्णतया सहमत होते हुए चले तभी हमारी सब की रामराज्य की परिकल्पना पूर्ण रूप से साकार होगी, अपनी संस्कृति को बचाने का सभी का उत्तरदायित्व होता है. धाम में वृक्षारोपण करते हुए संदेश दिया गया कि वृक्ष से ही हमारा जीवन सुरक्षित रह सकता है यदि प्रकृति को नहीं सुरक्षित रखा गया तो आने वाले दिनों में गंभीर परिस्थितियों का सामना भी करना पड़ सकता है इस अवसर पर निषाद समाज व आदिवासी समाज के लोग भी उपस्थित रहे क्योंकि चित्रकूट में प्रभु श्री राम ने अपने वनवास काल में निषादों और आदिवासियों को भी गले लगाया था इसलिए ट्रस्ट की ओर से इन लोगों का भी भरपूर सम्मान किया गया इस अवसर पर पुलिस प्रशासन के लोग भी मौजूद रहे जिसमें राम कीर्ति यादव हलका इंचार्ज एवं सिपाहियों ने भी मिलकर वृक्षारोपण किया साथ ही यह कहा कि वृक्ष को हमें इस तरह से पालना चाहिए जैसे हम अपने बच्चों का लालन पालन ध्यान रखते हुए करते हैं ,इस अवसर पर चंद्रेश कुमार, प्रवेश नारायण, दीपनारायण , मुरली निषाद आदि मौजूद रहे।