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जवान और किसान का दर्द एक ही है: किसान नेता संजय पंत

 

रिपोर्टर /संतोष यादव

 

जगदलपुर / आदिवासी कार्यकर्ता एवं भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष संजय पंत ने प्रेस नोट जारी कर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की महिला जवान द्वारा भारतीय जनता पार्टी की नवनिर्वाचित सांसद कंगना रनौत को चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर थप्पड़ मारने की घटना पर टिप्पणी की है।

किसान नेता आगे कहते हैं कि भारतीय लोकतंत्र में निर्वाचित सांसद का पद गरिमामयी एवं संवैधानिक है तथा समाज में किसी भी प्रकार की हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है लेकिन यह घटना किन परिस्थितियों में घटी इस पर विचार करना बहुत आवश्यक है। नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाये गए तीन काले कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए किसान आंदोलन के दौरान सैकड़ों किसान भाइयों, माताओं एवं बहनों ने अपने जानों की आहुति दी है। यह तीन काले कृषि कानून अंग्रेजों की सामंतवादी व्यवस्था की याद दिलाते हैं जिसकी चाबी आधुनिक समाज में पूंजीपतियों के हाथों में रखी हुई है। किसान आंदोलन को सफल बनाने के लिए देश के कोने-कोने से किसान भाइयों एवं बहनों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया एवं कई प्रकार की यातनाएं सहीं। उस समय फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत ने आंदोलन में बैठी महिलाओं के संबंध में कहा था कि ऐसी महिलाएं तो 100-100 रूपये में मिलती हैं। सीआईएसएफ की जिस महिला जवान ने कंगना रनौत को थप्पड़ मारा उसकी मां भी आंदोलन में कई दिनों से बैठी हुई थी।

किसान नेता आगे कहते हैं कि देश और दुनिया का पेट भरने वाले अन्नदाताओं के संबंध में कोई भी सामान्य व्यक्ति ऐसी निम्न स्तर की टिप्पणी नहीं करता है। कंगना रनौत फिल्म इंडस्ट्री के माध्यम से अपना जीवन यापन करती हैं और यदि उनके हक एवं अधिकार को छीना गया तो क्या वह आवाज नहीं उठाएंगी। और यदि वह आवाज उठाती है तो क्या वह भी 100-100 रुपये में उपलब्ध है। एक महिला को दूसरी महिला का सम्मान अवश्य करना चाहिए। किसानों के ऊपर कही गई इस टिप्पणी से बौखलाई महिला जवान को जब कंगना रनौत अपने सामने दिखाई दी तो उसने अपना आपा खो दिया। इस पूरी घटना ने इस बात को सिद्ध कर दिया कि देश एवं समाज में जवानों और किसानों का दर्द एक ही है क्योंकि जवान ही किसान का बेटा है। देश और दुनिया में राष्ट्रभक्ति का ढोल पीटने वाले भाजपा के कितने मंत्रियों एवं नेताओं के बच्चे देश की सीमा की रखवाली करते हैं यह देश अच्छे से जानता है। केंद्र सरकार में सर्वोच्च स्तर के एक मंत्री के सुपुत्र तो क्रिकेट बोर्ड के सचिव पद पर कुंडली डालकर राष्ट्रभक्ति कर रहे हैं। एयरपोर्ट पर ड्यूटी में तैनात महिला जवान ने इस पूंजीवादी एवं शोषणकारी तंत्र को थप्पड़ मारा है, कंगना रनौत तो एक चेहरा मात्र है।

बस्तर क्षेत्र में आरक्षित सीटों से चुने गए सांसद एवं विधायकों के सामने भी यह समस्या भविष्य में खड़ी हो सकती है क्योंकि वह भी अपने समाज की समस्याओं को समझने एवं उसका निपटारा करने में विफल रहे हैं। नक्सल हिंसा के नाम पर जिस प्रकार आदिवासियों को मारा जा रहा है वह एक आम आदिवासी के संयम की परीक्षा है। जिस दिन वह संयम टूटेगा बस्तर के जनप्रतिनिधियों को भी आम आदिवासियों के क्रोध का सामना करना पड़ेगा। भारतीय किसान यूनियन किसी भी प्रकार के हिंसा का समर्थन नहीं करता है।

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