महाराष्ट्र में सियासी तौर पर कुछ बड़ा हो सकता है राजनीतिक घटनाक्रम

रिपोर्टर-संजय मस्कर
महाराष्ट्र में कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना के बीच अंदरूनी तौर पर मनमुटाव बढ़ने लगा है। पार्टी के नेता सियासी नफा नुकसान का आकलन करते हुए आगे की सियासी राह की भी चर्चा करने लगे हैं। जानकारों का मानना है कि अगले कुछ दिनों के भीतर महाराष्ट्र में सियासी तौर पर कुछ बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हो सकता है। यह घटनाक्रम जरूरी नहीं कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना के बीच हो। चर्चा जितनी आयएनङीआयए के घटक दल के बीच आपसी तनातनी की हो रही है, उतनी ही चर्चा एनङीए के घटक दलों के बीच मनमुटाव की सामने आ रही है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि महाराष्ट्र की सियासत में अंदरूनी तौर पर बहुत कुछ हो रहा है।
दरअसल, महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के बाद आयएनङीआयए और एनङीए के घटक दलों के बीच तमाम तरह की अंदरूनी चर्चाएं हो रही हैं। महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा विधान परिषद के शिक्षक स्नातक एमएलसी को लेकर हो रही है। दरअसल, महाराष्ट्र में होने वाले एमएलसी के चुनाव को लेकर उद्धव ठाकरे की शिवसेना और कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं। कांग्रेस पार्टी से जुड़े नेताओं का कहना है कि जब गठबंधन में उद्धव ठाकरे की शिवसेना और कांग्रेस दोनों हैं, तो एमएलसी के चुनाव में प्रत्याशी का चयन भी पूछताछ के साथ होना चाहिए था। लेकिन हुआ यह कि महाराष्ट्र में एमएलसी की सीटों पर उद्धव ठाकरे की सेना ने चारों प्रत्याशी उतार दिए। जानकारी के मुताबिक कांग्रेस पार्टी ने ऐसी असहज स्थिति में आलाकमान से भी चर्चा की है।
महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की है कि जिस तरीके से आयएनङीआयए गठबंधन में उद्धव की सेना को ज्यादा सीटें देने के बाद भी उस तरह के परिणाम नहीं आए, उस पर घटक दलों के बीच अंदरूनी चर्चाएं हो रही हैं। सियासी जानकार बताते हैं कि कहा यह तक जा रहा है कि कम सीटों के बाद भी कांग्रेस ने जिस तरीके का प्रदर्शन महाराष्ट्र में किया है, वह सबसे बेहतर है। ऐसे में गठबंधन के घटक दलों को कांग्रेस के साथ मिल बैठकर आगे की सियासत पर बात करनी चाहिए। हालांकि यह बात आयएनङीआयए गठबंधन से पहले ही कही जा चुकी है कि जो गठबंधन हुआ था वह लोकसभा के चुनावों के मद्देनजर ही था। ऐसे में अगर घटक दलों के बीच का कोई भी राजनीतिक दल अपने प्रत्याशी उतरता आगे कोई भी चुनाव में उतारता है, तो वह अब ऐसा करने में स्वतंत्र है।
महाराष्ट्र में सिर्फ कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना में ही नहीं, बल्कि भारतीय जनता पार्टी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना समेत अजीत पवार की पार्टी के बीच भी कई बातें सामने आ रही है। अजीत पवार की पार्टी से तो एनडीए गठबंधन में कोई मोदी मंत्रिमंडल में नहीं शामिल हुआ। इसी बीच एकनाथ शिंदे की पार्टी से महाराष्ट्र ज्यादा सांसद जीतने के बाद भी मोदी मंत्रिमंडल में मिले राज्यमंत्री के पद पर सियासत शुरू हो गई। पार्टी के नेतओं ने इस बात पर सवाल उठाया कि उनकी पार्टी से महाराष्ट्र कितने सांसद दिए वाबजूद इसके एक राज्य मंत्री का पद मिलना कम है। सियासी जानकार और पत्रकार अरुण मोघे बताते हैं कि जिस तरीके की महाराष्ट्र में सियासी बयान बाजियां चल रही हैं।