शारदा मां को पिला रहा कोटे के चावल की पंचूचही खिचड़ी, और श्रधालुओं के आस्था के धन में डाल रहा डांका

रिपोर्टर शिवांश तिवारी
माई के धाम में यूं तो भिक्षा वृत्ति करने वालो का जमावड़ा है जिनका उदरपालन भीख मांगने से ही चलता है, लेकिन भीख मांगने के धंधे को भी यदि सजाया जाय तो वो आपको सोने में लाद देगा ये सिद्ध कर दिखाया एक भीखमंगे ने जिसके पास न कोई धंधा था न व्यापार आदतों और आचरणों से गिरा यह भीखमंगा कोई ऐसा कर्म न रहगया होगा जिसे इसने पैसा कमाने के लिए न आजमाया हो, जमीन हथियाना फ्रॉड करना फोरजरी करना अपराधियों को संरक्षण देकर जुंआ खिलवाना न जाने क्या क्या, सब में फैल होने के बाद बाप और बड़े बाप के पाखंडी धंधे में उतर गया, यानी कहा जाए कि इसका यह धंधा नया नहीं बड़े बाप के पाखंड के धंधे से विरासत में मिला है बड़ा बाप देवी प्रसाद भभूत देकर भक्तो की आस्था से खेलता था तो भतीजा खिचड़ी पिला के ठग रहा है, जिस धंधे को वरदान बताकर मजलूमों की सेवा बता रहा देखो दुनिया वालो इसका ये धंधा व्ही आई पी से भरे रोपवे में गुंडई से अतिक्रमण करके चमका हुआ है,
सोचो आस्थावान भक्तो की ये कोटे के चावल से पांसोसा खिचड़ी को महाभोग बता रहा है क्या माई शारदा यही पांसोसा खिचड़ी पी रही है, तो क्या माई को बीमार कर रहा है ये भीखमंगा, इसकी बीमारू खिचड़ी किसी मरीज को दस दिन पिला दो तो वो फिर से अस्पताल में भर्ती हो जाएगा, और अस्पताल में पिला दो तो मर ही जाएगा, माई को खिचड़ी पिलाता है खुद मेवा पेल रहा है,
इसने खिचड़ी की दुकान में दान मांगने को एक नाउआ रखा है जो दिन भर गाना गाके दान मांगता है, ये खिचड़ी का दुकानदार कोई धर्मात्मा नहीं बल्कि बहुत बड़ा शातिर चोट्टा है ऐसा हम क्यूं कह रहे है, ?
मां शारदा देवी मंदिर समिति के पूर्व प्रशासक विनय जैन ने अन्नकूट नाम से भक्तो के लिए भोजन प्रसाद की एक योजना की शुरुआत 2008 में किया था जिसके चालू होने के बाद मां शारदा के दर्शन को आने वाले भक्तों ने योजना का लाभ तो लिया ही साथ वे अपने मृत बुजुर्गो, जन्म दिन शुभ अवसर इत्यादि व मान्यताओं में अन्नकूट में भंडारे का आयोजन कराने लगे जिससे समिति को मोटी आमदनी होने लगी धीरे धीरे समिति की इस व्यवस्था में सेंध मारी कर कर्मचारी इंजीनियर शैलेंद्र सिंह की गैंग की गरीबी दूर होने लगी अन्नकूट प्रसाद आलय व्यापार बन गया और लगातार 2008 से इस अन्नकूट की देखरेख करने वाला कर्मचारी करोड़पति बन गया प्रशासक का आलम यह कि आज तक भी वो कर्मचारी न तो हटाया गया और न ही उसकी जांच हुई,
यही सब देख कर इस बेरोजगार फर्जी ने नेताओ का सहारा लेकर रोपवे में अपना खुद का धंधा तैयार कर लिया जिसे ये माई का भोग बताकर भक्ति की आस्था से खेलने लगा और पैसा कमाने लगा पैसों के लिए ये इतना गिरा हुआ खानदान है कि इसने अपने बाबा बड़े बाप बाप और अवैध नियुक्त पुजारी पवन की फोटो बैनर लगाकर धंधे को चमकाया हुआ, इतना ही नहीं कुछ दिनों पहले तक तो ये माई के नाम की चिट्ठी के नाम की योजना खोला था और उससे भी खूब धन कमाया,
अब सवाल है कि माई के धाम को सुबह शाम पूरा कुनबा धंधा बनाया है, क्या ये बता सकता है कि किस सोर्स से खिचड़ी के धंधे में व्यय करता है,?
खुद को पुण्य आत्मा लिखवा रहा है ये दुराचारी जिसे ये मालूम होना चाहिए कि वृहद पापों के बाद परमात्मा ऐसी सजा देता है कि भीख मांगते पूरा जीवन वितित हो जाता है, जरा सोच की तेरे कौन से पाप है जो बेटो को पढ़ाया लिखाया लेकिन काबिल नहीं बना पाया उसे भी मैहर बुलाकर अपराधी चेलों के संगत में झोंक दिया,
मैं चाहता तो तेरा ये खिचड़ी का धंधा कब का उखड़वा के फेंका दिया होता, लेकिन मैं चाहता था कि तो इसी भिखमंगई के धंधे में रहे,
और अब मैं तेरे घमंड की शाख मैहर के विधायक श्रीकांत चतुर्वेदी के वचन पूर्ति का इंतजार कर रहा हु, देखना है कि विधायक अपने वचन को निभाता है या समाज में जनता के बीच आपने वचनों को मिथ्या करता है,,
इस पापी आत्मा खिचड़ी बेचैय्या का अगला एपिसोड जल्द,,