विश्व आदिवासी दिवस पर सभा और जुलुस का आयोजन हुआ
रिपोर्ट राकेश पाटीदार
रुणजी गौतमपुरा मप्र विश्व आदिवासी दिवस पर सभी जनजातीय भाइयो ने सभा का आयोजन कर जागरूकता रैली के रूप में नगर के मुख्य मार्गो पर भव्य डी जे के साथ रैली निकाली, महिलाओ की भी उपस्थिति रही, आदिवासी संगठन के कई पदाधिकारी के भाषण हुऐ,
रुणजी स्थित श्री भगवान रामदेवरा में सभी पदाधिकारीयों का स्वागत हुआ और फलाहार किया गया, जागरूकता में कई बाते की गई, जिसमे देश को अपनी उपयोगीता की बाते और सामाजिक कल्याण में सरकार की पहल की बाते हुई, इसमें
तहसील अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष की उपस्थिति रही, और भव्य जुलुस निकाला गया, पुलिस व्यवस्था और प्रसानिक अधिकारी भी मौजूद रहे,
*क्यों मनाते हैँ आदिवासी दिवस*
भारतीय संस्कारो में पुरातन कालीन सभ्यता जल, जंगल, जमीन, को संजोने में महत्वपूर्ण भूमिका
स्वदेशी (आदिवासी) आबादी के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी सुरक्षा के लिए प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को विश्व के आदिवासी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। यह घटना उन उपलब्धियों और योगदानों को भी स्वीकार करती है जो जनजातीय लोग पर्यावरण संरक्षण जैसे विश्व के मुद्दों को बेहतर बनाने के लिए करते हैं। यह पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दिसंबर 1994 में घोषित किया गया था, 1982 में मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की मूलनिवासी आबादी पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की पहली बैठक का दिन। खासकर, इसे भारत के आदिवासियों द्वारा धूम धाम से मनाया जाता है, जिसमें रास्तों पर रैली निकाली और मंच में झमाझम कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। सामाजिक कार्यकर्ता राकेश देवडे़ बिरसावादी के अनुसार भारत के अनुसूचित जनजाति के लिए सरकारों द्वारा 09 अगस्त को राष्ट्रीय अवकाश घोषित नहीं किया गया है जो संयुक्त राष्ट्र की अवमानना है। आदिवासी समुदाय अहिंसक निसर्गवादी समुदाय है और अपनी विशेष सांस्कृतिक पहचान के लिए विश्व प्रसिद्ध है।माननीय सुप्रीम कोर्ट ने जनजाति समुदाय को मूल मालिक की संज्ञा दी है।