नगर गौरव आचार्य श्री 108 वर्धमान सागर जी महाराज का 75 वा वर्षवर्धन दिवस मनाया गया।
रिपोर्ट विपिन जैन
सनावद:-
20 वी सदी के प्रथमा चार्य चारित्र चक्रवती की मूल बाल ब्रह्मचारी पट्ट परम्परा के पंचम पट्टाधिश राष्ट्र गौरव वात्सल्य वारिधि तपोनिधि 108 आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी का आज सनावद नगर में 75 वा वर्ष वर्धन दिवस बड़ी धूमधाम एवम भक्ति भाव से मनाया गया।
सन्मति जैन काका ने बताया की पर्युषण पर्व के तृतीय दिवस भादव सुदी सप्तमी के पावन बेला के अवसर पर प्रातः सर्वप्रथम बड़ा जैन मंदिर व संत निलय में भव्य रूप में पंचामृत अभिषेक व पूजन सभी भक्तों के दुवारा बहुत ही भक्ति भाव से किया गया ।इस अवसर पर शांति धारा करने का सौभाग्य सुधीर कुमार चौधरी परिवार को प्राप्त हूवा । इस अवसर पर नगर में चातुर्मासरत आर्यिका सरस्वती माताजी ससंघ के सानिध्य में वृहद स्तर पर प्रथम बार मुनि हितेंद्र सागर जी महाराज द्वारा रचित आचार्य श्री वर्धमान सागर विधान का आयोजन किया गया जिसमे प्रमुख सोधर्म इंद्र इंद्राणी बनने का सौभाग्य हितेश मेघा पांड्या अमर ज्योति बस परिवार को प्राप्त हूवा।
इस अवसर पर आर्यिका अनंतमति माताजी ने अपनी गुरु के प्रति अपनी विनियांजली प्रकट करते हुवे कहा की सनावद नगरी बहूत ही पुण्यशाली नगरी है जहां आज इतने बड़े आचार्य का जन्म हुवा जहाँ की आज भी 20 वी सदी के प्रथमाचार्य आचार्य श्री 108 शान्ति सागर जी महाराज की परंपरा का निर्वहन भली भाति रूप से कर रहे है आप वर्तमान में पारसोला राजस्थान में विराजमान होकर इतने बड़े संग का सफल व कुशल रूप में संचालन कर रहे है। ऐसे गुरू बिरले होते है। किस प्रकार समर्पण का भाव होना चाहिए किस प्रकार आचार्य श्री आज भी अपने गुरुदेव की चर्या का निर्वहन कर रहे हे वो आचार्य श्री से ही देखने को मिलती हे। इसी कड़ी में दोपहर में आर्यिका माताजी के सानिध्य में जिनवाणी पूजन करवाई गई जिसका सौभाग्य कुसुमकुमार जैन काका एवम श्रीमती रेखा राकेश जैन परिवार को प्राप्त हुवा अगली कडी में शाम को श्रीजी की एवम आचार्य श्री की 75दीपो से मंगल आरती की।गई प्रशांत चौधरी,प्रांशुल पंचोलिया, संगीता पाटोदी, पूर्णिमा जैन,द्वारा भव्य भक्ति व आरती प्रस्तुत की गई।
*आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज का जीवन परिचय*
जैसा की ज्ञात हों की भरत चक्रवती के नाम पर अवतरित भारत देश मे राज्य मध्यप्रदेश में कई भव्य आत्माओं ने अवतरित होकर श्रमण मार्ग अपनाया है
इसी राज्य खरगौन जिले के सनावद नगर जो कि सिद्ध क्षेत्र श्री सिद्धवरकूट श्री सिद्धक्षेत्र पावा गिरी ऊन श्री सिद्ध क्षेत्र चूल गिरी बावनगजा बड़वानी के निकट है।
इन सिद्ध क्षेत्रों से करोड़ो मुनि मोक्ष गए है
ऐसी पवित्र नगरी सनावद में पर्युषण पर्व के तृतीय दिवस उत्तम आर्जव दिवस पर एक प्रतिभा शाली कुल परिवार नगर का मान बढ़ाने वाले यशस्वी बालक का जन्म माता श्रीमती मनोरमा देवी की उज्जवल कोख से प्रसवित हुआ आपके पिता श्री कमल चंद जी थे 18 सितम्बर 1950 भादव शुक्ला 7 सप्तमी संवत 2006 को अवतरित होनहार भाग्यशाली पुत्र यशवंत कुमार के रूप में जन्म लिया। आप ने सन 1967 में श्री मुक्तागिरी सिद्ध क्षेत्र में आर्यिका श्री ज्ञानमति माताजी से आजीवन शूद्र जल त्याग और 5 वर्ष का ब्रह्मचर्य व्रत लिया। आप ने 18 वर्ष की उम्र में ही मुनि दिक्षा ग्रहण कर ली थी । आप के सानिध्य में कर्नाटक प्रांत के श्रवणबेलगोला 12 वर्षों में एक बार होने वाले महामस्तकाभिषेक में आप ने तीसरी बार अपना सानिध्य प्रधान किया है ।जो की अपने आप मे बहूत ही आलौकिक एवम गर्व की बात है।आप अभी राजस्थान की पावन धरा पारसोला मेंअपने विशाल संग सहित विराजमान है जो की सनवाद के लिए बहूतगर्व की बात है। इस अवसर पर कुसुम कुमार हेमेंद्र कुमार सन्मति जैन काका परिवार द्वारा प्रभावना वितरण वितरित की गई।
इस अवसर पर सभी समाज जनों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।