छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री के भीष्म पितामह मोहन सुंदरानी

रिपोर्ट राकेश कुमार साहू।
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के पश्चात बड़े से बड़े दिग्गज से दिग्गज डायरेक्टर प्रोड्यूसर हुए हैं जिनमे छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री के मोहन सुंदरानी का नाम सर्वप्रथम आता है।
मोहन सुंदरानी की उम्र 73 साल से है 11 साल की उम्र से फिल्मों के प्रति अट्रेक्ट हुआ तब से फिल्मों में काम करने का लगाओ उनका बढ़ गया हालांकि कुछ लोग कहते हैं कि मैं परदेसी हूं अब मैं उसको क्या जवाब दूं अपने काम से ही किसी का मुंह बंद कर सकते हैं चार दर्शन हो गए इतने छत्तीसगढ़ी एल्बम बनाए हैं जिनमें कोई गिनती नहीं कहना यह है की फिल्म कर मोहन सुंदरानी का फिल्म कलाकार फिल्म कार मोहन सुंदरानी है उनका कहना यह है कि कुछ लोग मुझे परदेसिया कहते हैं मैं तो पूरी जिंदगी छत्तीसगढ़ संस्कृति को बढ़ावा देने में लगा दी है अगर मैं बन जाता तो बंद नहीं पता एक सवाल पर कहा कि अगर मैं हीरो बन जाता है तो दूसरों को कैसे बने पता आज आप देख लीजिए इंडस्ट्री में जितने भी सुपरस्टार हैं वह कितने बधाई हैं ईश्वर ने यह सौभाग्य मुझको दिया कि मैं दूसरों को आगे बड़ो छत्तीसगढ़ी इंडस्ट्री में ऐसे कलाकार है जो बचपन से मुझसे जुड़े हैं और आज वे दौलत और शोहरत दोनों कमाई कर रहे हैं।
मोहन सुंदरानी का कहना यह है कि सबसे पहले मैं शादी वाला कमरे में मेकिंग कर बचपन में फिल्म बनाने का काम किया शादी वाला कमरे में मैं शूटिंग को देखा तो मुझे फिल्म बनाने की इच्छा जाहिर हुई और मैं सबसे वीडियो फिल्म बनाया जय मां बमलेश्वरी।
इस फिल्म की अपार सफलता के बाद मेरी फिल्म निर्माण की प्रक्रियाएं आगे जारी रही जिसके चलते बॉलीवुड एवं छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री के प्रति मेरा रुझान सबसे अधिक छत्तीसगढ़ी फिल्मों के निर्माण के लिए अग्रसर हुआ और आज मैं छत्तीसगढ़ी फिल्मों का निर्माण कर रहा हूं।
छत्तीसगढ़ी फिल्मों के भीष्म पितामह एवं गुलशन कुमार के नाम से मशहूर मोहन चंद सुंदरानी आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है छत्तीसगढ़ के कलाकारों को खोज खोज कर तरसना और आगे बढ़ाना उनका जीवन का मकसद है वह कहते हैं कि छोटे-छोटे कलाकारों को आगे बढ़ाने में उन्हें एक सगत अनुभूति का एहसास होता है और आज भी गांव-गांव गली गली में कलाकारों को तलाश में भटकते रहते हैं उन्हें मंच देते हैं उत्साह बढ़ाते हैं इस कड़ी में मोहन सुंदरानी ने 2006 10 अगस्त से 2008 दिसंबर तक 6000 गांव से अधिक लोक कलाकारों का रथ यात्रा आयोजन कर भ्रमण किया सुंदरानी हमेशा गरीबों वह जरूरतमंद लोक कलाकारों की समय-समय पर आर्थिक मदद भी करते हैं नहीं संकोच वहीं पर्यावरण संरक्षण के लिए भी चिंतित भी नजर आते हैं इसी तारतम में मोहन सुंदरानी ने हरियाली को बढ़ावा देने औरप्रदूषण मुक्ति के लिए प्रदेश भर में 1 लाख से अधिक वृक्षारोपण भी किया ऐसी कोई जगह नहीं है जहां सेवा की जरूरत हो और वह न पहुंचे हो जिनका हौसला बुलंद भला कौन रोक सकता है उनको बुलंदियों से कुछ इन्हीं पंक्तियों के साथ छत्तीसगढ़ी इतिहास में अपना नाम दर्ज करने वाले श्री सुंदरानी जो अपने धर्म कर्म और सेवा के बाल भूतों पर प्रेरणाता की उदाहरण बन गए हैं जो बिना रुके बिना थके अपने कदम अनवरत रूप से गांव-गांव शहर शहर और गली-गली को बढ़ावा दे रहे हैं चाहे लोक कला का हो क्षेत्र हो चाहे फिल्म हो सार्वजनिक समारोह कोई भी सामाजिक गतिविधि हो किसी कलाकार की सहायता हो गिरते हुए को उठाना हो या फिर वर्तमान में सबसे बड़ा समस्या कन्या भ्रूण हत्या बेटी बचाओ अभियान हो हर जगह पूरी तन मानता और कर्तव्य निष्ठा के साथ दृढ़ता पूर्वक नजर आते हैं पर्यावरण की पीड़ा को तो मानो वह रग रग में हो जो मती की समस्या से जुड़कर माटी की संधि महक को महसूस करता हो भला कौन ऐसा व्यक्ति के बारे में कौन नहीं जानता वह है मोहन सुंदरानी।
मोहन सुंदरानी नेनाचा गम्मत को उठाने का काम भी बल्कि उसमें अभिनय भी किया नाचा गम्मत के साथ-साथ फिल्मों व रंगमंचों में भी नहीं ने किया मोहन सुंदरानी ने सदैव कला और आस्था से पूरी निष्पक्षता के साथ संगीत गीत भजनों के निर्माण भी किया इसी कड़ी में उन्होंने 200 से भी अधिक सतनाम समाज के गुरु घासीदास बाबा के जीवन पर आधारित कथाएं पंथी गीत भजन ऑडियो कैसेट का भी निर्माण किया जिसमें सतनाम समाज के कलाकारों को प्रोत्साहन व मंच मिला वही साउंड समाज की पूजनीय संत माता कर्मा व राजीव माता के ऑडियो कैसेट का भी निर्माण कर इन भक्ति गीतों को जन-जन तक पहुंचा 500 वर्ष पुरानी छत्तीसगढ़ के लोक कथा लोरी चंदा सुआ गीत गौरी गौरा गीत डंडा गीतों को वीडियो सीडी रूप में निर्माण कर इन पारंपरिक कलाओं का प्रचार प्रसार करते रहे एवं बाल कलाकारों को आगे बढ़ाया।
जिस तरह से बाल कलाकारों को आगे बढ़ाया उसी तरह से बाल फिल्मों का भी निर्माण किया एवं न जाने छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति को सजाय रखने के लिए छत्तीसगढ़ी फिल्मों का निर्माण किया और छत्तीसगढ़ की पारंपरिक वेशभूषा पर आधारित फिल्मों का भी निर्माण उन्होंने शुरू कर दिया इसी कड़ी के अंतर्गत मोहन सुंदरानी ने प्रथम छत्तीसगढ़ी भाषा की फिल्म आई लव यू फिल्म का भी निर्माण किया जिस्म की अनुकृति चौहान मन कुरैशी मुस्कान साहू एवं अन्य कलाकार भी नजर आए हैं इस फिल्म की शुरुआत से उन्होंने छत्तीसगढ़ी फिल्मी इंडस्ट्री में अपना नया अध्याय जोड़कर अपना कीर्तिमान स्थापित किया।
परम पूज्य गुरु घासीदास की जयंती के अवसर पर 18 दिसंबर को पंथी गीतों का भी संचालन किया एवं निर्माण कार्य किया जो की ऐतिहासिक कड़ी के अंतर्गत आता है यह छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री के लिए गौरव की बात है।
छत्तीसगढ़ी भाषा पर आधारित फिल्में हैं जय मां बमलेश्वरी लैडगा मामा हमार माई बाप झन भूलो बहिनी ला बदला नागिन के लोरीक चंदा सग म जिबो सग म मरबो मयारू भौजी जय महामाया तोर मया मा जादू है हीरो नंबर वन गोलमाल के निर्माण के साथ प्रदेश भर के अन्य निर्माता के 80 से अधिक फिल्मों का निर्माण कार्य किया।
मोहन सुंदरानी ने दूरदर्शन केंद्र में 500 से अधिक प्रायोजित कार्यक्रमों का भी प्रसारण करवाया बेटी बचाओ अभियान में कूदे देश प्रदेश में बेटियों की दुर्दशा को देखकर मोहन सुंदरानी ने कन्या भ्रूण हत्या के विरोध में विगत कई महीनो से लगातार इस अभियान से जुड़ने के लिए उन्होंने अपना प्रमुख कार्य निष्पादन किया।
ऐसे लगातार मंच दिए कि सम्मान दिए कि स्वर्गीय झुमुक दास बघेल नायक दास मानिकपुरी स्वर्गीय बरसन नाच जोकर जेठू राम नाचा जोकर पकला आदि अनेक कलाकारों के कार्यक्रमों को भी गांव में करवा नाचा गम्मत के 100 से भी अधिक ऑडियो वीडियो कैसे बनवाएं हमेशा इस बात की सतर्कता राखी की इन कलाओं की मूल तत्व बरकरार रहे इन कलाकारों को राज्य में मंच तो दिए हैं राष्ट्रपति प्रधानमंत्री तथा कई प्रदेशों के मुख्यमंत्री के सामने भी प्रदर्शन के अवसर सुनिश्चित कर आए हैं उन्होंने बांस गीत घोड़ी नाच जैसे विधाओं की कलाकारों की तलाश 2006 से शुरू की जो अब तक जारी है ऐसे कलाकारों के गांव औरनिवास तक पहुंच कर आर्थिक एवं सामाजिक सहायता मुहैया कराई मोहन सुंदरानी ने साथ ही अस्पताल में भर्ती कलाकारों की भी मदद की सरगुजिया करमा नित्य बस्तरिया नृत्य लेजा करमा गीत का प्रचार प्रसार किया बुध देव गौरा गौरी पर आधारित ऑडियो वीडियो सीडी का भी निर्माण कार्य किया निषाद समाज ने पूजनीय केवट राज पर अनेक ऑडियो वीडियो सीडी का भी निर्माण कार्य किया।
मोहन सुंदरानी ने जस गीत की समृद्धि परंपरा जो छत्तीसगढ़ में व्याप्त है इस दिशा में उन्होंने बहुत प्रयास किया पारंपरिक जस गीत जवारा से सेवा गीत सॉन्ग गाना पर आधारित 1200 से अधिक गीतों को तलाश कर उन्हें दुकालू यादव दिलीप सारंगी संतोष थापा अलका चंद्राकर स्वर्गीय पंचराम मिर्झा कुलेश्वर ताम्रकार नीलकमल वैष्णव रामू यादव कविता वासनिक जैसे ख्याति लाभ कलाकारों से गवाया इन यस गीतों को इन गीतों की सीधी अनेक लोक कलाकारों की आवाजों में प्रदेश के कोने-कोने के साथ-साथ अन्य प्रदेशों में पहुंचवाई उन्होंने लोक वाद्य यंत्र जैसे मांडर जांच तबला झुमका ढोलक बैंजो घुंघरू से गीत संगीत की मूल रूप में स्थापित करने का प्रयास किया जिससे लोग वास्तव में पसंद करते हैं इसी कारण से फिल्म इंडस्ट्री में मोहन सुंदरानी को भीष्म पितामह कहा जाता है।
उनकी जब-जब भी छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री में इनके द्वारा निर्मित फिल्में आती है तो दर्शक गण आवश्यक रूप से फिल्मों को देखने के लिए जाते हैं उनकी जो पहली फिल्म आई आई लव यू इस फिल्म को देखने के लिए सिनेमाघर में खचाखच भीड़ लगी हुई थी क्योंकि मोहन सुंदरानी देहाती रूप से किरदार निभाने वाले कलाकारों को चयनित करके इस फिल्म में रखा मन कुरैशी एवं अनुकृति चौहान एवं मुस्कान साहू की जो त्रिकोणीय प्रेम संघर्ष पर आधारित फ़िल्म थी आई लव यू जो दर्शकों को काफी पसंद आया और यह फिल्म छत्तीसगढ़ी नहीं छत्तीसगढ़ के बाहर राज्य जम्मू कश्मीर भी में इस फिल्म को देखा गया एवं पसंद किया गया यह खूबी रहती है कि मोहन सुंदरानी अपनी पूरी तन मन धन लगाकर फिल्मों का निर्माण कार्य करते हैं और उसके प्रति अपना जीवन लगा देते हैं।
हमारे संवाददाता का कहना यह है कि छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री के बेताज निर्माता एवं निर्देशक मोहन सुंदरानी को भीष्म पितामह कहा जाता है इसलिए कहा जाता है कि वह कलाकारों के प्रति अपना पूरा जान लगा देते हैं एवं गांव देहात से कलाकारों को लाते हैं और अपने फिल्मों में जगह देते हैं जिसकी वजह से इन्हें प्रसिद्धि मिलती है उसके कारण इनकी हर फिल्म सुपर डुपर हिट होकर रहती है हमारे संवाददाता ने उनकी पहली फिल्म आई लव यू को 10 से 20 बार देखा एवं पसंद किया मोहन सुंदरानी द्वारा निर्मित आई लव यू फिल्म को।
आज भी मोहन सुंदरानीफिल्म निर्माण कार्य में अपना समय लग रहे हैं कलाकारों के प्रति अपनी बहुमूल्य समय को लगा देते हैं जिसके बदौलत आज छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री में मोहन सुंदरानी को भीष्म पितामह कहा जाता है।