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किसान नेता व वकालत के छात्र रुबजी सलाम को निःशर्त रिहा किया जाए: भारतीय किसान यूनियन (टिकैत)

पत्रकार : संतोष यादव

बस्तर संभाग : भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के प्रदेश अध्यक्ष संजय पंत, बस्तर संभाग प्रभारी शिवा सोनी और जगदलपुर संयोजक सुभमसिंह की एक टीम ने नारायणपुर पुलिस अधीक्षक से मुलाकात कर भारतीय किसान यूनियन के नारायणपुर जिला अध्यक्ष एवं वकालत के छात्र रुबजी सलाम को निःशर्त रिहा करने की मांग किया है। प्रतिनिधि मंडल ने कहा है कि गैर कानूनी निरोधक गतिविधि (यूएपीए) के तहत रुबजी सलाम को फर्जी तरीके से उनके अनुसूचित जनजाति छात्रवास से गिरफ्तार किया गया है। जिस मामले को लेकर उसकी गिरफ्तारी बताई जा रही है वह भी फर्जी है क्योंकि जिस 02-03 जून की घटना का हवाला दिया जा रहा है उस दौरान रुबजी सलाम तेंदूपत्ता संग्राहकों की मांगों को लेकर मंत्री केदार कश्यप से मिले थे (जिसका समाचार लेख यहाँ देखा जा सकता है घटना पर फर्जी तरीके से नाम जोड़े जाने का विरोध स्वयं रुबजी ने पुलिस अधीक्षक से कही थी और अनुविभागीय अधिकारी पुलिस नारायणपुर ने इसे गलती से नाम शामिल होना स्वीकार किया था तथा नाम हटाने की आश्वासन भी दिया था।

रुबजी सलाम अपनी वकालत की पढ़ाई के साथ- साथ किसान आदिवासियों की विभिन्न मांगों को लेकर शासन प्रशासन को अवगत कराते रहा है। छोटे फरसगांव (नारायणपुर) के निवासी 27 वर्षीय रुबजी सलाम इस समय कांकेर में वकालत की पढ़ाई कर रहे थे और उनकी गिरफ्तारी अनुसूचित जनजाति के छात्रों के होस्टल से ही हुई है। एक किसान युवा नेता के रूप में रुबजी ने अपने क्षेत्र के किसानों की समस्याओं को उजागर करने के लिए पूरी मेहनत की और इसे राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई बार उठाया। इसी कारण वे नारायणपुर के सभी पुलिस और प्रसानिक अधिकारियों से और नारायणुर के समस्त जन प्रतिनिधियों से अच्छी तरह से परिचित हैं। उन पर प्रतिबंधित माओवादी पार्टी का आरोप झूठा ही नहीं बल्कि हास्यास्पद है। यह गिरफ्तारी केवल एक मजबूत और साहसी नेता को चुप कराने के प्रयास के रूप में ही समझी जा सकती है।

दिनांक 22 अक्टूबर 2024 को माढ़ बचाओ आंदोलन ने ओरछा में थल सेना को दी जा रही अबूझमाढ़ की 54,543 हे भूमि के विरोध में शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन किया, जिसमें भी रुबजी सलाम ने युवा किसान नेता की भूमिका निभाते हुए, अबूझमाढ़ से विस्थापित होते हुए किसान परिवारों के भविष्य में चिंता जताई। इसके तुरन्त बाद 26 अक्तूबर 2024 को इनकी गिरफ्तारी से तो यही संदेश मिलता है कि जो कोई भी शासन-प्रशासन की किसान आदिवासी विरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाता है, उसे पुलिस उत्पीड़न का सामना करना पड़ेगा।

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