दिल्ली-मुंबई रूट पर 1386 किमी लंबे 885 किमी में यात्री सुरक्षा में लगा कवच

रिपोर्टर मोहम्मद अय्यूब शीशगर
इंदौर/रतलाम। रेल दुर्घटनाओं से सबक लेकर रेलवे ने अब फोकस कवच (स्वचालित ट्रेन सुरक्षा) प्रणाली को तेजी से लगाने पर किया है। नई दिल्ली-मुंबई रूट पर 2026 में ट्रेनें ‘कवच’ से लैस होकर दौड़ेगी। 3000 किमी लंबे दिल्ली-मुंबई व दिल्ली-हावड़ा रूट पर ‘कवच’ इंस्टॉल किया जा रहा है। 1386 किमी लंबे दिल्ली-मुंबई रूट में से 885 में लगे सिस्टम का परीक्षण हो चुका है। नागदा से मुंबई तक 789 किमी रूट में से 405 किमी में ट्रायल हो चुका है।इधर रतलाम रेल मंडल में 4 फरवरी को गुड्स ट्रेनों की औसत गति 33.19 किमी प्रति घंटा दर्ज की गई जो मंडल के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। 3 जनवरी को गुड्स ट्रेनों की औसत गति 32.69 किमी प्रति घंटा को पीछे छोड़ते हुए नई गति का रेकॉर्ड बनाया है।
*इंजन में माइक्रोप्रोसेसर, जीपीएस ऐसा है कवच सिस्टम*
स्वदेशी टक्कररोधी प्रणाली कवच को रिचर्स डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) ने बनाया। यह एक ही ट्रैक पर आमने-सामने आ रही ट्रेनों को ट्रैक कर स्वतः ब्रेक लगा देगा। इसके लिए इंजन में माइक्रोप्रोसेसर, जीपीएस सिस्टम लगाए जाते हैं। ये रेडियो संचार के जरिए सिग्नल सिस्टम और कंट्रोल टावर से जुड़े रहते हैं।
*पश्चिम रेलवे में ‘कवच’ सिस्टम की प्रगति
■ 96 किमी वडोदरा-अहमदाबाद खंड में परीक्षण हो चुका, अंतिम परीक्षण, कमीशनिंग प्रक्रिया में।
■ विरार-सूरत-वडोदरा के 336 किमी में 201 में कवच’ लगे।
■ वडोदरा-रतलाम-नागवा के 303 किमी लंबे खंड में 108 किमी ट्रैक के साथ 90 में से 60 इंजन में ट्रायल हो चुका।
■ मुंबई सेंट्रल-विरार 54 किमी में दिसंबर 2023 से काम जारी
दिल्ली-मुंबई व दिल्ली-हावड़ा रूट पर अब तक के काम का ब्यौरा
■364 दूरसंचार टावर लगाए
■285 कवच लगाए स्टेशनों पर
■319 कयच लोको में
■1384 किमी में लगे उपकरण
■81 किमी रेल खंड पर दिल्ली-मथुरा में लगा कवच
■ 399 किमी मथुरा-कोटा-नागदा रूट पर कवच इंस्टॉल
■ 405 किमी नागदा-रतलाम-मुंबई रूट पर कवच
*3 जनवरी को गुड्स ट्रेनों की औसत गति को पीछे छोड़ते हुए नई गति का रेकॉर्ड बनाया*
इधर रेल मंडल के जनसंपर्क अधिकारी खेमराज मीणा ने बताया रेल मंडल के नागदा-गोधरा, नागदा-भोपाल, रतलाम-चित्तौड़गढ़, इंदौर-भोपाल सहित मंडल के अन्य खंडों में प्रतिदिन औसतन 200 से अधिक यात्री गाडियों का परिचालन किया जाता है। इतनी बड़ी संख्या में यात्री गाडियों के परिचालन के मध्य गुड्स ट्रेनों की गति 33 किमी प्रति घंटा से अधिक प्राप्त करना मंडल के लिए बड़ी उपलब्धि है और यह हुआ है ट्रेन परिचालन से जुड़े विभिन्न विभागों के आपसी समन्वय के कारण। इसके साथ ही लोको एवं मानवशक्ति का अधिकतम उपयोग, 49 क्रैक ट्रेनों का परिचालन जो एक दिन में कुल गुड्स ट्रेनों के इंटरचेंज का लगभग 38 प्रतिशत हैं तथा क्रैक ट्रेनों के पाथ का लगातार मॉनिटरिंग इस उपलब्धि को प्राप्त करने में काफी उपयोगी साबित हुआ है।
*कार्यप्रणाली एवं कार्यक्षमता में तेज गति से सुधार हो रहा है।*
गुड्स ट्रेनों की मॉनिटरिंग के कारण गति बढ़ने से जहां अधिक संख्या में गुड्स ट्रेनों का परिचालन किया जा सकता है वहीं पैसेंजर ट्रेनों के लिए सुगम पाथ उपलब्ध होता है। इसके साथ ही इस प्रकार की उपलब्धियां बताती है कि रेलवे की कार्यप्रणाली एवं कार्यक्षमता में तेज गति से सुधार हो रहा है। रेल मंडल न केवल यात्री ट्रेनों की गति बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं बल्कि गुड्स ट्रेनों के परिचालन की भी उचित निगरानी की जा रही है ताकि गुड्स ट्रेनों की डिटेंशन को कम कर एवं मानवशक्ति का अधिकतम उपयोग कर उनकी अधिकतम गति को प्राप्त की जा सके।