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महा शिवरात्रि पर लगेगा तोरणमाल मे मेला

रिपोर्टर शंकर सिरसाठ

खेतिया नगर से 45 किमी दूर सीमावर्ती महाराष्ट्र राज्य के सतपुड़ा अंचल में बसे तोरणमाल में महाशिवरात्रि पर तीन दिनी मेला लगता है। यह स्थान धार्मिक के साथ-साथ पर्यटन स्थल के नाम से प्रसिद्ध है। इस स्थल को देखने के लिए 13 पाइंट है। तीन दिनी महाशिवरात्रि पर लगने वाले तोरणमाल के मेले में जाने के लिए महाराष्ट्र राज्य परिवहन के शहादा डिपो ने महाराष्ट्र सीमा पर स्थित ग्राम खेड़ के बस स्टैंड पर यात्रा स्पेशल बसों की सुविधा भी की गई।

तोरणमाल में शिवरात्रि पर यहा धधकती आग पर सवा क्विंटल आटे का रोट बनाया जाता है। इसमें मावा-मिष्ठान्न भी मिलाया जाता है। धधकती आग होने के बावजूद सूत जलता नहीं और रोट सिंक जाता है। इसी प्रकार ये सूत अगले वर्ष के लिए रख दिया जाता है। ये कोई चमत्कार से कम नहीं है कि रोट का महाप्रसाद अंगारों में जलता नहीं और ये प्रसादी खत्म भी नहीं होती हैं। यहां आए हर श्रद्धालुओं को प्रसादी बांटी जाती है।

तोरणमाल में जड़ी-बूटियों का खजाना है। गहरी खाइयों में दुर्लभ जड़ी-बूटियों को खोजने वाले वनवासियों को माहरिया कहा जाता है। शिवारात्रि पर ये वनवासी जड़ी-बूटियों को तोड़ कर बेचने आते हैं। वहीं कुछ माहरिया तंत्र-मंत्र में भी पांरगत होते है।

तोरणमाल के दर्शनीय स्थल

तोरणदेव मंदिर, यशवंत तालाब, गोरखनाथ मंदिर,नार्गाजून मंदिर, सहित कई छोटे-छोटे दर्शनीय स्थल है।

तोरणमाल में महाशिवरात्रि को लेकर तीन दिनी मेला लगाता है। मेले में राज्य के साथ-साथ सीमावर्ती मप्र, गुजरात और राजस्थान से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पर्यटक शिव दर्शन के लिए आते हैं। इसके अतिरिक्त यहां पर वर्ष में होली महोत्सव, भगोरिया महोत्सव, इंद्र देवता और वाघ देवता को पूजा जाने वाला इंदल पर्व क्षेत्रवासी हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। यहां स्थित पोखर का पानी कई प्रकार के चर्मरोग से मुक्ति दिलाता है। यहां पर स्थित वन विभाग की नर्सरी में कई प्रकार की प्रजातियों के वन औषधियों के पौधे देखे जा सकते हैं। पर्यटकों को यशवंत सरोवर में बोटिंग का आनंद लेने के लिए पैर से चलाने वाली बोट की सुविधा है।

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