नोहलेश्वर महोत्सव को देश और विदेश में भी मिलेगी विशेष पहचान – मंत्री धर्मेन्द्र सिंह लोधी

रिपोर्ट/अर्जुन सिंह लोधी
दमोह/ नोहलेश्वर महोत्सव कार्यक्रमों की श्रृंखला में सातवें दिवस मंगलवार रात को सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ विराट कवि सम्मेलन हुआ। देर रात तक चल इस कवि सम्मेलन में मशहूर कवि शैलेंश लोढ़ा को सुनने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ा। लोग कवियों के व्यंग्यों, हास्य, कविताओं का जमकर लुप्त उठाया। नोहलेश्वर महोत्सव के सातवें दिवस की विधिवत शुरूआत अतिथियों द्वारा श्री गणेश के पूजन और दीप प्रज्ज्वलन के साथ की गयी। तत्पश्चात कार्यक्रम के संयोजक नितेन्द्र लोधी द्वारा अतिथियों का स्वागत पुष्प हार पहना कर किया गया। कार्यक्रम में संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेन्द्र सिंह लोधी, भाजपा जिला अध्यक्ष श्याम शिवहरे, अभिषेक गोपाल भार्गव, पूर्व विधायक विजय सिंह राजपूत, पूर्व मंत्री दशरथ सिंह लोधी, पूर्व सांसद चंद्रभान सिंह, पूर्व जिला अध्यक्ष भाजपा नरेंद्र व्यास, जिला संघ चालक डॉक्टर अश्वनी नामदेव, जिला प्रचारक भैयान जी, जनपद पंचायत दमोह अध्यक्ष प्रतिनिधि राज ठाकुर, जिला पंचायत सदस्य कौशल पोर्ते, संजय खरे, अनवर खान, युवा मोर्चा जिला अध्यक्ष प्रिंस जैन, पूर्व जिला अध्यक्ष भरत यादव, अमर सिंह राजपूत, संजय यादव, लक्ष्मण सिंह, अंबालाल पटेल मंचासीन रहे जिनका आयोजन समिति द्वारा स्वागत किया गया। राज्य मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने कहा कि 19 फरवरी से 28 फरवरी तक नालेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है जिसमें संस्कृति एवं पर्यटन विभाग द्वारा पांच दिवस देश-विदेश की प्रसिद्ध कलाकारों की प्रस्तुतियां हुई साथ ही हेलीकॉप्टर के माध्यम से लोगों ने अपने और अपने परिवार के सपनों को पूरा किया। ऐसे ही लोगों के अपार स्नेह और सहयोग के लिए सभी का धन्यवाद और आगामी वर्षों में यह महोत्सव प्रदेश में ही नहीं देश और विदेश में भी पहचाना जाएगा। रात को सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बाद विराट कवि सम्मेलन हुआ। विराट कवि सम्मेलन में शैलेश लोढ़ा, संजय झाला, सुनील समैया, ने कविताएं सुनाई। रात को शुरू हुए कवि सम्मेलन में शैलेश लोढ़ा को सुनने के लिए हजारों श्रोता रात तक जमें रहे। इससे पहले स्थानीय कलाकारों के साथ श्रुति अधिकारी और साथी कलाकारों ने प्रस्तुति दी। महोत्सव में मशहूर कवि शैलेंश लोढ़ा ने लोगों को प्रणाम कर कविता व व्यंग्य की प्रस्तुति दी। लोढ़ा ने कहा कि
*”सच है इरादे हमारे विध्वंसक नहीं है, अकारण युद्ध के हम भी प्रशंसक नहीं है, अहिंसा के पुजारी हम है लेकिन, सुनले दुनिया अहिंसक हैं हम नपुंसक नहीं है”
*21वीं सदी का बस इतना सा प्रभाव है, पहले अभाव में खुशियां थीं, अब खुशियों का अभाव है।
सहजता थी सादगी थी बंदगी थी ये वाट्सअप और फेसबुक नहीं थी, तब ज़िंदगी थी। कुछ ऐसी ही कविता और शायरी के माध्यम से शैलेश लोढ़ा ने हास्य के साथ जीवन के लिए महत्वपूर्ण सीख दी। मनु वैशाली शिवपुरी, मध्य प्रदेश से हैं। ये श्रृंगार रस में अपनी रचनायें लिखती हैं और तरन्नुम में गाती हैं। इन्होंने अन्य रचनाओं के साथ मशहूर मोहिनी छंद की प्रस्तुति नैनन को मीच-मीच नैन कोर खीच-खींच, मोटी कजरारी कारी धार करे मोहिनी, मुस्काये मंद – मंद मन में ही मीत संग मीठी-मीठी मौन मनुहार करे मोहिनी, देख हाल चाल-ढाल आइना करै कमाल, जाने कौन बात पे विचार करे मोहिनी, बिसराय सुध-बुध खोई खड़ी ऐसन कि, करके श्रृंगार बार-बार करे मोहिनी कवि सम्मेलन के पूर्व भोपाल से आई हुई श्रुति अधिकारी एवं उनके साथियों द्वारा प्रसिद्ध पंचनाद के माध्यम से विभिन्न गीत संगीत और भजनों की प्रस्तुति दी।