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उपस्वास्थ्य केंद्र पेंची में जड़ा ताला बिना उपचार कराए निराश होकर मरीज लौट रहे

पत्रकार भगवान दयाल गोलू बैरागी

चाचौड़ा

गांव में मौसमी बीमारियों से चलते ग्रामीण ग्रस्त हैं वहीं उप स्वास्थ्य केंद्र पेंची में ताला जड़ा हुआ है। यहां प्रतिदिन पहुंच रहे मैरिज गर्भवती महिलाएं बिना उपचार के लौटना पड़ रहा है हालत गंभीर होने पर मजबूरन निजी अस्पताल या झोलाछाप डॉक्टरो से अपना उपचार करना पड़ रहा है । मामला चाचौड़ा विकासखंड ग्राम पेंची उप स्वास्थ्य केंद्र का बताया गया कि गांव की गर्भवती महिलाएं एवं बीमारियों से ग्रस्त होकर मरीज अपना उपचार करने आते हैं तो स्वास्थ केंद्र पर ताला लगा देखकर निराश होकर लौट जाते हैं और मजबूरन अपना उपचार निजी अस्पताल या झोलाछाप डॉक्टर से कराना पड़ रहा है। झोलाछाप डॉक्टर मरीज से मोटी रकम वसूलते हैं जिसके चलते कही गरीब परिवार अपना उपचार नहीं करा पाता और बो बड़ी बीमारी का शिकार हो जाता हे । एवं गर्भवती महिलाएं भी बहुत परेशान है वो भी समय पे अपना उपचार नहीं करा पाती उनको भी कही तकलीफों का सामना करना पड़ता है। इसके चलते बीमारियां बढ़ जाती है फिर उनको बड़े हॉस्पिटल भोपाल या इंदौर गरीबों को कर्ज लेकर अपने मरीज को ले जाना पड़ता है ।

*शासन के आदेश की अव्हेलना*

बता दें कि कुछ दिन पूर्व ही मप्र शासन ने शासकीय अधिकारी, कर्मचारियों के लिए कार्यालयीन समय सुबह 10 से शाम 06 बजे तक निर्धारित किया है। बावजूद इसके कर्मचारी अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं। शासन के आदेश की अव्हेलना का सिलसिला बदस्तूर जारी है। कर्मचारी कार्यालयीन समय पर नहीं पहुंच रहे है। ग्रामीणों को योजनाओं और स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। एक मामला ग्राम पेंची के उपस्वास्थ्य केंद्र में देखने को मिल रहा है। केंद्र कभी तो ताला लगा मिलता हे तो कभी 12 बजे या 1 बजे तक 1 नर्स द्वारा कुछ समय के लिए खोला जाता है। स्वास्थ्य केंद्र बहुत लापरवाह हो रहा हे । जिम्मेदारों का कोई ध्यान नहीं है कोई निगरानी या दबाव न होने से केंद्र में पदस्थ स्वास्थ कर्मचारी अपनी मनमर्जी चला रहे हैं पिछले कहीं वहां से इसी तरह की मन मनी जारी है।

बताया गया कि इस तरह के हाल अकेले पेची उपस्वास्थ्य केन्द्र क नहीं है। बल्कि अधिकांश केन्द्रों में इसी तरह की स्थिति बनी हुई है। केन्द्रों के बंद रहने, स्टॉफ की अनुपस्थिति या संसाधन नहीं होने के कारण ऐसे गांव में रोगियों का उपचार नीम-हकीमों पर निर्भर है। ग्राम के जागरूकजनों के अनुसार यदि ग्रामीण स्वास्थ सेवाएं बेहतर हो जाए तो निश्चित तौर पर ग्रामीणों को राहत मिलेगी। वहीं जिला अस्पताल में भी इसका भार नहीं पड़ेगा। लेकिन शासन प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। पूरा फायदा नीम-हकीम, झोलाछाप चिकित्सक सहित निजी अस्पताल वाले उठा रहे हैं।

जिसके जिम्मेदार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व डॉक्टर है न ही तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण नहीं किया जाता जिसके चलते स्वास्थ केंद्र के डॉक्टर नर्स निजी अस्पताल व झोलाछाप डॉक्टर अपनी मनमानी कर रहे हे और जनता से मोटी रकम लेते हैं। इनकी जांच करके ऐसे डॉक्टरों को सेवा से निरस्त कर उचित कार्रवाई करनी चाहिए इनको पता चले गरीबों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने का क्या परिणाम होता है।

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