भोपाल का जहरीला कचरा पीथमपुर में ही जलेगा: सुप्रीम कोर्ट का रोक से इनकार, पहला ट्रायल आज

रिपोर्टर मोहम्मद अय्यूब शीशगर
भोपाल/इंदौर, भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के रासायनिक कचरे को पीथमपुर में जलाने से रोकने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में आज (27 फरवरी) इस मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा की याचिकाकर्ताओं के सभी पक्षों को हाईकोर्ट ने सुन लिया है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कोई सुनवाई नहीं करेगा। कोर्ट के इस रुख के बाद पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के रासायनिक कचरे के निष्पादन का ट्रायल आज से शुरू होगा। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की टीम रामकी एनवायरो कंपनी में मौजूद है। फैक्ट्री में कचरा जलाने का दूसरा ट्रायल 4 मार्च और तीसरा 12 मार्च से शुरू होगा। इधर, कचरा जलाने के ट्रायल को लेकर प्रशासन सतर्क है। 3 जनवरी को हुए विरोध को देखते हुए प्रशासन कोई कोताही नहीं बरतना चाहता है। लिहाजा, इंदौर देहात और धार जिले के 24 थानों से 500 से ज्यादा पुलिसकर्मी पीथमपुर में रामकी एनवायरो फैक्ट्री के पास तैनात किए गए हैं।
30 मीट्रिक टन कचरा जलाने के लिए 3 ट्रायल रन दरअसल, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निपटान के ट्रायल रन की मंजूरी दी है। इसके तहत 30 मीट्रिक टन कचरा जलाने के लिए तीन ट्रायल रन किए जाएंगे। पहले चरण में 135 किलो वेस्ट प्रति घंटा, दूसरे में 180 किलो और तीसरे चरण में 270 किलो कचरा प्रति घंटा नष्ट किया जाएगा।
*12 कंटेनर में 5 तरह का कचरा*
*• मिट्टी:* फैक्ट्री के कैम्पस में बिखरे कचरे को जमा करने के साथ मिट्टी को भी इकट्ठा किया।
*• रिएक्टर अवशेषः* फैक्ट्री में कीटनाशक रिएक्टर में बनता था। इसके अवशेष जमा किए।
*• सेविन अवशेषः* सेविन नाम का कीटनाशक बनता था। बचा हुआ कीटनाशक कचरे में है।
*• नेफ्थॉल अवशेषः* जिस एमआईसी गैस के प्लांट से रिसाव हुआ था, वो नेफ्थॉल से बनाई जाती थी।
*• सेमी प्रोसेस्ड पेस्टीसाइड:* कीटनाशक बनाने की प्रक्रिया रुकने के कारण प्रोसेस के बीच में बचा केमिकल।
*डबल बेंच ने पहले नंबर इस केस की सुनवाई की*
गैस राहत विभाग के डायरेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह ने भास्कर को बताया कि यूका के रासायनिक कचरे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पिटिशन लगी थी। जस्टिस गवई और जस्टिस मसीह की डबल बेंच ने पहले नंबर इस केस की सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए इस मामले को डिस्पोज ऑफ किया कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में पहले ही यह मामला विचाराधीन है। उसमें एक्सपर्ट्स और कमेटी के इन्वॉल्वमेंट के होने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि इसके डिस्पोजल का आज 27 तारीख को ट्रायल रन होने वाला है।
*सुप्रीम कोर्ट ने 2 ट्रायल रन का भी संज्ञान लिया*
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 और 2015 में हुए दो ट्रायल रन का भी संज्ञान लिया। सीपीसीबी के टेस्ट रिपोर्ट्स का अवलोकन भी किया। उसके आधार पर डबल बेंच ने पिटिशन को डिस्पोज किया। अगर याचिकाकर्ता को किसी तरीके से कोई भी तथ्य या आपत्ति करना है तो एमपी हाईकोर्ट में दे सकते हैं।
*एमपी हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर कार्रवाई*
आज ट्रायल रन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जैसा मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का आदेश है उसके आधार पर आगे कार्रवाई की जाए। एक्सपर्ट्स के मार्गदर्शन में जो कार्रवाई चल रही है, उसको भी एप्रिशिएट किया। कोर्ट ने राज्य सरकार, सीपीसीबी और एमपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा किए गए प्रयासों को भी सराहा।
*पीथमपुर में तीन दिन चला था हिंसक प्रदर्शन*
एक जनवरी की रात को भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री परिसर से करीब 358 मीट्रिक टन जहरीला कचरा 10 कंटेनर में भरकर पीथमपुर भेजा गया था। इसे रामकी एनवायरो इंडस्ट्रीज में जलाया जाना है। जहरीले कचरे के निष्पादन के खिलाफ पीथमपुर में लगातार तीन दिन विरोध प्रदर्शन हुए थे। आत्मदाह की कोशिश में दो युवक झुलस गए थे। 4 जनवरी को तारपुरा गांव से लगी रामकी एनवायरो इंडस्ट्रीज की फैक्ट्री पर पथराव किया गया। इसमें कुछ वाहनों के कांच टूट गए। इसके बाद पुलिस ने लोगों को फैक्ट्री के पास से खदेड़ा था। प्रदर्शन के सिलसिले में पुलिस ने तीन मुकदमे दर्ज किए हैं।
*भोपाल गैस त्रासदी या गैस कांड क्या था?*
भोपाल में अमेरिका की यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन ने 1969 में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड का प्लांट शुरू किया था। इस फैक्ट्री में मिथाइल आइसोसाइनेट (मिक) और अल्फा नेफ्थॉल के फॉर्मूलेशन से सेविन ब्रांड का कीटनाशक बनाया जाता था। मिक इतना खतरनाक था कि अमेरिका इसे एक-एक लीटर की स्टील की बोतलों में दूसरे देशों को सप्लाई करता था लेकिन नियमों को ताक पर रखकर भारत में इसे स्टील के कंटेनरों में अमेरिका से मंगाया जाता था। 1978 में भोपाल के फैक्ट्री परिसर में अल्फा नेफ्थॉल और 1979 में मिक बनाने की यूनिट लगाई गई थी। एमआईसी का स्टोरेज टैंक 610 अपनी क्षमता से अधिक भरा हुआ था। 2 दिसंबर की रात 8.30 बजे ठोस अपशिष्ट से भरे पाइपों को पानी से साफ किया जा रहा था। यह पानी लीक वाल्वों के कारण एमआईसी टैंक में घुसने से टेंक में ‘रन अवे रिएक्शन’ शुरू हो गया, जिस कारण टैंक 610 फट गया और उसमें मौजूद एमआईसी गैस हवा में लीक हो गई। रातभर में ही गैस के रिसाव से 3828 लोग मारे गए। 2003 तक 15,000 से ज्यादा मौत होने के दावे किए गए। 30,000 से अधिक लोग हादसे से प्रभावित हुए थे। यह आंकड़ा अब 5.5 लाख हो गया है।
*दावा- 347 टन के अलावा भी 1 लाख टन से ज्यादा कचरा*
कचरा जलाने के लिए करीब 505 मीट्रिक टन चूना, 252.75 टन एक्टिवेटेड कार्बन के साथ 2250 किग्रा सल्फर पाउडर की आवश्यकता होगी। इंसीनेटर में ग्रिप गैस उपचार प्रणाली यानी स्प्रे ड्रायर (बुझाने वाला), धूल को इकट्ठा करने वाला यंत्र, ड्राई पाउडर केमिकल ऑब्जर्वर सिस्टम, फिल्टर बैग हाउस, धुंध एलिमिनेटर और एलईडी पंखे के साथ अमोनिया, क्लोरीन या सल्फर जैसे कैमिकल को गैस में से हटाने के लिए क्षार स्क्रबर और उसके बाद 35 मीटर की चिमनी लगाई गई है। मर्करी और भारी धातुओं को अवशोषित करने के लिए कचरे और चूने के साथ सल्फर पाउडर डाला जाएगा। इससे वातावरण में न तो धुआं जाएगा और न ही पानी। कचरा बर्न होने के बाद उससे 4 गुना ज्यादा राख बचेगी। ज्ञात रहे साल 2005 में फैक्ट्री परिसर में फैले 95 टन सेविन और अल्फा नेफ्थॉल, 56.4 टन सेमी प्रोसेस्ड कीटनाशक, रिएक्टर का अवशेष और साथ ही 165 टन संक्रमित मिट्टी सहित 347 मीट्रिक टन कचरे को स्टील के ड्रम और प्लास्टिक के बोरों में भरकर आरसीसी की फर्श वाले गोदामों में रख दिया गया था। यही खतरनाक केमिकल भोपाल गैस त्रासदी का कचरा है। दावा किया जाता है कि इस 347 टन के अलावा भी 1 लाख टन से ज्यादा संक्रमित मिट्टी और केमिकल तालाब और फैक्ट्री में मौजूद है। कचरे के निपटान की प्रक्रिया कितनी सुरक्षित? 358 मीट्रिक टन कचरे को पीथमपुर के रामकी एनवायरो के इंसीनरेटर में 1200 डिग्री तापमान पर जलाया जाएगा। कचरे में 60 प्रतिशत मिट्टी होने का दावा किया गया है। यह संक्रमित मिट्टी है। इस कचरे को जलाने के लिए चूना, एक्टिवेटेड कार्बन और सल्फर का इस्तेमाल किया जाएगा।
🌑 *याचिकाकर्ता बोले- विधि विशेषज्ञों की राय लेंगे*
सुप्रीम कोर्ट में पीथमपुर में कचरा जलाने से रोक लगाने की याचिका दायर करने वाले चिन्मय मिश्रा ने कहा- हमें और उस क्षेत्र के लोगों के मन में जो शंकाएं और डर है, उसी को लेकर हम हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए थे।
_हमारी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अब सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर का अध्ययन करने के बाद विधि विशेषज्ञों से राय लेकर आगे बढ़ेंगे।_
*चिन्मय मिश्रा* याचिकाकर्ता
🌑 _हाईकोर्ट के आदेशानुसार अनलोड हो चुके कंटेनर के कचरे को नियमानुसार मिक्सिंग करने और फिर इसके जलाने की प्रोसेस शुरू करेंगे।_
*दीपक सिंह* संभाग कमिश्नर, इंदौर