केवलारी में नहीं हुआ विरोध दर्ज, क्या भाजपा का है ठाकुर रजनीश पर कोई कर्ज?

रिपोर्टर – प्रांशु बघेल
मध्य प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल के “भिखारी” वाले बयान से सूबे की राजनीति में उबाल आ गया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के आदेश पर पूरे प्रदेश में कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए, विरोध प्रदर्शन हुआ, पुतले जलाए गए, लेकिन केवलारी विधानसभा में न कोई प्रदर्शन हुआ, न कोई नारेबाजी। आखिर ऐसा क्यों?
क्या ठाकुर रजनीश की चुप्पी में छिपा है कोई राज?
केवलारी विधानसभा से कांग्रेस विधायक ठाकुर रजनीश सिंह के भाजपा नेताओं से मधुर संबंध की खबरें आम हो चली हैं। स्थानीय लोग फुसफुसा रहे हैं कि क्या ठाकुर रजनीश भाजपा पर कोई एहसान उतार रहे हैं? या फिर भाजपा ने उन पर कोई एहसान कर रखा है?
जब पूरा प्रदेश कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन की आग में जल रहा है, तब केवलारी में ठंडी राख क्यों बिछी है? क्या यह ठाकुर रजनीश की रणनीतिक चुप्पी है या फिर भाजपा के प्रति उनकी गुप्त निष्ठा?
जनता की आवाज़ या दिखावटी सक्रियता?
केवलारी विधानसभा में सड़कों की बदहाली, जल संकट, बेरोजगारी, किसान समस्याएं जैसी अनगिनत परेशानियां हैं। लेकिन विधायक महोदय इन मुद्दों पर मुखर नहीं होते। जनता के सवालों की गूंज विधानसभा में नहीं पहुंचती, लेकिन शादियों, भागवत कथाओं में उनकी शिरकत जरूर देखी जाती है।
क्या केवलारी के लोगों ने विधायक चुनकर कोई भूल कर दी? या फिर यह राजनीतिक सेटिंग का नतीजा है?
प्रदेश में गरजा कांग्रेस, केवलारी में मौन साधना क्यों?
प्रदेश के कोने-कोने में कांग्रेस कार्यकर्ता सरकार के खिलाफ हल्ला बोल रहे हैं, लेकिन केवलारी में कांग्रेस कार्यकर्ता भी खामोश हैं। सवाल यह है कि क्या उन्हें विधायक से कोई दबाव है? या फिर वे भी “ऊपर” से मिले इशारे का इंतजार कर रहे हैं?
क्या कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी ठाकुर रजनीश की चुप्पी का अनुसरण करने का आदेश है? या फिर केवलारी की कांग्रेस अब सिर्फ नाम की रह गई है?
केवलारी की जनता मांगे जवाब!
अब केवलारी की जनता को तय करना है कि वह एक निष्क्रिय विधायक को ढोती रहेगी या फिर जवाब मांगेगी?
अब जनता को फैसला करना है – सवाल उठाएगी या मौन रहेगी?