देपालपुर की सड़कों पर बेकाबू यातायात: तेज रफ्तार बड़े वाहनों और प्रशासन की लापरवाही से मंडरा रहा हादसे का खतरा

रिपोर्ट राकेश पाटीदार
देपालपुर मप्र । नगर में यातायात की स्थिति हर दिन बद से बदतर होती जा रही है। सड़क पर जाम लगना अब आम बात हो गई है, लेकिन स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब बेटमा की ओर से आने वाले बड़े वाहन बेलगाम गति से गुजरते हैं। इन वाहनों के लिए न कोई स्पीड लिमिट तय है और न ही कोई सख्ती। तेज रफ्तार में फर्राटा भरते ये ट्रक और भारी वाहन किसी भी दिन बड़े हादसे को जन्म दे सकते हैं, लेकिन प्रशासन और जनप्रतिनिधि अब तक मूकदर्शक बने हुए हैं।
बिना संकेतकों के बाजार और रहवासी इलाकों में दौड़ रहे तेज रफ्तार वाहन
देपालपुर के प्रमुख बाजार और रहवासी इलाकों में इन भारी वाहनों की बेलगाम रफ्तार लोगों के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है। एमपीआरडीसी (मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम) ने अब तक कोई गति नियंत्रण संकेतक (स्पीड लिमिट बोर्ड) नहीं लगाए हैं। सड़कों पर स्पीड ब्रेकर भी नदारद हैं, जिससे वाहन चालक बिना किसी डर के तेज गति से वाहन दौड़ा रहे हैं। व्यापारी, रहवासी और स्थानीय लोग कई बार प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता ने लोगों में आक्रोश बढ़ा दिया है। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी इस गंभीर मुद्दे को नजरअंदाज कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं होगा, तब तक प्रशासन जागेगा ही नहीं। सवाल यह उठता है कि क्या किसी दर्दनाक दुर्घटना के बाद ही जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि हरकत में आएंगे?
आरटीओ का सिस्टम से गायब होना चिंता का विषय
यातायात को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी संभालने वाला आरटीओ (क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय) देपालपुर जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में पूरी तरह निष्क्रिय नजर आ रहा है। ऐसा लगता है कि आरटीओ अधिकारियों को इन सड़कों की कोई सुध ही नहीं है। भारी वाहनों की जांच-पड़ताल, ओवरलोडिंग पर नियंत्रण और यातायात नियमों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए आरटीओ का कोई सक्रिय हस्तक्षेप नहीं दिखता। सवाल यह उठता है कि जब प्रशासन और आरटीओ अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ चुके हैं, तो आम जनता अपनी सुरक्षा के लिए किस पर भरोसा करे?
स्थानीय लोग बोले: “अब सहन नहीं करेंगे, जल्द होगी सड़कों पर कार्रवाई की मांग”
क्षेत्रीय व्यापारियों और आम नागरिकों में बढ़ती यातायात अव्यवस्था को लेकर भारी गुस्सा है। लोगों का कहना है कि यदि जल्द ही कोई समाधान नहीं निकाला गया, तो वे आंदोलन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। व्यापारियों का कहना है कि अव्यवस्थित यातायात न केवल उनकी दुकानों के लिए खतरा बन चुका है, बल्कि ग्राहकों की आवाजाही पर भी असर डाल रहा है।
क्या किया जाना चाहिए? समाधान की दिशा में जरूरी कदम
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने की आवश्यकता है:
1. स्पीड ब्रेकर और संकेतक लगाना: मुख्य बाजार, स्कूलों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में गति नियंत्रण संकेतक और स्पीड ब्रेकर तुरंत लगाए जाएं।
2. आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस की सक्रियता: आरटीओ को अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए यातायात नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना होगा।
3. नियमित चेकिंग और चालानी कार्रवाई: ओवरलोड और तेज रफ्तार में चलने वाले वाहनों पर नियमित रूप से जुर्माने की कार्रवाई की जाए।
4. जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही तय करना: क्षेत्रीय विधायक, पार्षद और अन्य जनप्रतिनिधियों को इस गंभीर समस्या का समाधान निकालने के लिए बाध्य किया जाए।
समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो बड़ी दुर्घटना तय
देपालपुर की जनता अब इंतजार नहीं कर सकती। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी, वरना जल्द ही कोई बड़ा हादसा हो सकता है, जिसकी जिम्मेदारी इन पर ही आएगी। जब तक सख्त कार्रवाई नहीं होती, तब तक देपालपुर की सड़कें हर दिन एक संभावित हादसे का इंतजार कर रही हैं।