बुरहानपुर जिला अस्पताल की महिला चिकित्सक पर लगा लापरवाही का आरोप, तीन दिन से भर्ती प्रसूता एवं नवजात की मौत पर बवाल, परिजन बोले- महिला डॉक्टर की लापरवाही से गई दो जाने

रिपोर्ट डॉ.आनंद दीक्षित
दबंग केसरी में बड़ा खुलासा
बुरहानपुर जिला अस्पताल फिर सुर्खियों में तब आ गया जब तीन दिन से भर्ती प्रसूता एवं नवजात शिशु की मौत हो गई। जिला अस्पताल जैसे राम भरोसे चल रहा हैं। हमेशा यहां कौई न कोई कांड होते रह रहे हैं। जैसे सिविल सर्जन का कोई कंट्रोल ही नहीं हैं अपने अधिकारियों कर्मचारियों पर? RMO को अपने कार्य से ज्यादा प्रोग्रामों में फीता काटने से फुर्सत नहीं हैं। जबकि जिला चिकित्सालय की संपूर्ण जिम्मेदारी सिविल सर्जन एवं RMO की होती हैं।
जिला चिकित्सालय में मंगलवार शाम ऑपरेशन के बाद मृत बच्चा पैदा होने और महिला को रैफर करने के बाद उसकी भी मौत होने पर जमकर हंगामा हुआ। परिजनों ने आरोप लगाया है कि महिला को रविवार को अस्पताल में भर्ती किया गया था और दो दिन से परिवार ऑपरेशन करने को कह रहा था लेकिन डॉक्टरों ने ध्यान नहीं दिया। मंगलवार दोपहर महिला की तबीयत बिगड़ने पर ऑपरेशन किया तो बच्चा मृत पैदा हुआ। शाम को महिला ने भी दम तोड़ दिया। हालांकि पूरे मामले को लेकर अस्पताल प्रबंधन का कहना है महिला का स्वास्थ्य पहले से खराब था।
रविवार को फतेहपुर की रहने वाली रूबीना पति मुश्ताक को जिला अस्पताल के प्रसव वार्ड में भर्ती किया गया था। रूबीना का गर्भ नौ माह से ज्यादा का हो गया था। परिवार ने बताया रविवार को भर्ती करने के समय ही रूबीना को दर्द हो रहा था। हमने सीजर करने का कहा लेकिन डॉक्टर नहीं मानें और सोनोग्राफी के लिए कहा। सोमवार को सोनोग्राफी देखकर नॉर्मल डिलीवरी होने की बात कही। लेकिन मंगलवार दोपहर रूबीना बेहोश हो गई। हालत बिगड़ने पर तुरंत सीजर किया लेकिन मृत बालक पैदा हुआ। सीजर के बाद रूबीना की हालत भी खराब हो गई। शाम को उसे रैफर किया। लेकिन एंबुलेंस में ले जाते समय ही उसने दम तोड़ दिया। उसकी मौत के बाद गुस्साए परिजन अस्पताल पहुंचे और प्रसव वार्ड में जमकर हंगामा किया। अस्पताल प्रबंधन महिला को खून की कमी और बच्चेदानी के फटने की बात कह रहा है। लेकिन भर्ती कराने वाली आशा कार्यकर्ता ने कहा खून की कमी की बात डॉक्टर ने कही ही नहीं।
*मुंह से फेस आने लगा तो डिलीवरी के लिए ले गए*
आशा कार्यकर्ता ने बताया रविवार को प्रसूता को अस्पताल में भर्ती किया था। हमने सीजर करने का कहा तो बोले रंगीन सोनोग्राफी कराओ। सोमवार को सोनोग्राफी देखकर डॉक्टर ने कहा नॉर्मल डिलीवरी होगी। मंगलवार दोपहर प्रसूता का स्वास्थ्य बिगड़ा और मुंह से फेस आने लगा। तब उसे सीजर के लिए ले गए। वहां मृत बच्चा पैदा हुआ। डॉक्टर अब खून की कमी की बात कर रहे हैं, जो झूठ है। दो दिन में एक बार भी खून की कमी की बात नहीं की। लापरवाही से महिला की जान गई है।
*दबंग केसरी की पड़ताल, महिला चिकित्सक डॉ. पूनम रायकवार (सिंघल) ने किया था प्रसूता को रविवार को भर्ती*
जिला चिकित्सालय में नवजात एवं प्रसूता की मौत प्रकरण में दबंग केसरी की पड़ताल में कई चौंकाने वाली जानकारी प्राप्त हुई हैं। रविवार को जब फतेहपुर की रहने वाली महिला को जिला अस्पताल के प्रसव वार्ड में भर्ती किया गया उस दिन डॉ. पूनम रायकवार (सिंघल) की ड्यूटी थीं। प्रसूता को भर्ती के समय से ही दर्द आ रहे थे। उसके बाद भी उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया ऐसा आरोप परिजनों ने लगाया हैं। मंगलवार को जिस समय प्रसूता की हालत बिगड़ने लगी उस दिन भी ड्यूटी डॉ. पूनम रायकवार (सिंघल) की ही थीं। नाम न छापने की शर्त पर परिजन ने बताया कि ड्यूटी पर उपस्थित स्टाफ ने दोपहर से ही ड्यूटी महिला चिकित्सा अधिकारी को कई बार मोबाईल से सूचना दी गई परंतु ड्यूटी महिला चिकित्सा अधिकारी ने गंभीरता से नहीं लिया। इस बात की पुष्टि ड्यूटी पर मौजूद स्टाफ के कॉल डिटेल से सिद्ध हो सकती हैं। यदि यह सही हैं तो इससे प्रसूता एवं नवजात की मौत वाकई लापरवाही से हुई होगी। वही जिला चिकित्सालय की ओर से डॉक्टर आर्यन गढ़वाल का यह बयान की महिला दो दिन से भर्ती थी और गंभीर थी तो सवाल उठाना लाज़िम हैं कि जब महिला गंभीर थी तो उसे क्यों स्टाफ के भरोसे छोड़ा गया? उसकी सतत निगरानी एक्सपोर्ट चिकित्सक जिसकी ड्यूटी थी ने क्यों नहीं। की?
*जिला चिकित्सालय की ओर से डॉक्टर आर्यन गढ़वाल ने दी सफाई, महिला की हालत गंभीर थी*
महिला दो दिन से भर्ती थी और उसकी हालत गंभीर थी। उसे तीन से चार यूनिट खून की जरूरत थी। मंगलवार सुबह महिला की बच्चादानी फट गई। उसे गायनिक आईसीयू में भेजने का कहा था, लेकिन परिजन नहीं ले गए। महिला को अस्पताल से रैफर करते समय पल्स और ऑक्सीमीटर लगाकर भेजा था। लापरवाही की बात गलत है। यह कहना हैं जिला चिकित्सालय के एक चिकित्सक जो कि ब्लड बैंक के इंचार्ज हैं डॉ. आर्यन गढ़वाल के तो सवाल उठता हैं कि जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन एवं RMO क्यों सामने नहीं आए? क्यों उन्होंने ब्लड बैंक के इंचार्ज डॉ. आर्यन गढ़वाल को आगे कर दिया?
*जिला चिकित्सालय के सभी सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डों सुरक्षित करना चाहिए*
जिला चिकित्सालय के महिला विंग की मुख्य महिला चिकित्सकों के आने जाने का कोई समय निश्चित नहीं हैं और महिला चिकित्सकों की कमी के चलते यह संभव भी नहीं है। परंतु महिला विंग में पदस्थ महिला चिकित्सा अधिकारी जिन की ड्यूटी होती हैं वह भी नारद रहती हैं? नाम न छापने की शर्त पर हमारे सूत्र ने बताया कि मंगलवार को ड्यूटी महिला चिकित्सा अधिकारी हॉस्पिटल में मौजूद ही नहीं थी। जिन्हें स्टाफ ने दोपहर दो बजे से कई बार फोन किए परंतु ड्यूटी महिला चिकित्सा अधिकारी लगभग 4.45 पर जिला चिकित्सालय पहुंची। इन सब बिंदुओं को जांच में शामिल किया जाना आवश्यक है और इनकी सत्यता की जांच के लिए जिला चिकित्सालय में लगे सभी सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग सुरक्षित करना एवं मौजूद स्टाफ की कॉल डिटेल की जांच की जाना आवश्यक हैं।