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रामकिशोर यादव “मुखिया जी ” बुंदेलखंडी विधा का मर्यादित गायक 

रिपोर्टर विनय कुमार सिन्हा

ललितपुर

बुन्देलखण्ड और यहां की माटी ने अनगिनत गायक कलाकारों को जन्म दिया है। यहां के गायक कलाकारों ने भारत और भारत से बाहर कई देशों में अपने देशज संगीत और परंपरागत संस्कृति से जुड़े हुए हर विधा पर अपना प्रभाव डाला है। बुन्देलखण्ड में अगर शिखर तक पहुँचने वाले कलाकारों का नाम लिया जाता है तो एक नाम रामकिशोर यादव”मुखिया जी ” के बिना वो फेहरिस्त अधूरी सी प्रतीत होती है।

रामकिशोर मुखिया जी का जन्म ललितपुर जनपद में 1969 हुआ तथा बचपन से ही रामकिशोर मुखिया जी को संगीत एवं कला से जुडाव रहा। समयचक्र चलता रहा और रामकिशोर मुखिया जी ने अपने संगीत प्रेम को सर्वोपरि रखते हुए सर्वप्रथम श्री रामलीला समिति नरसिंह मंदिर ललितपुर के तत्वावधान में भरत के अभिनय के साथ शुरू की ।मुखिया जी ने सन 1984 से 1987 तक श्री रामलीला समिति ललितपुर को सेवाएं दी तथा इसके बाद सन 1987 में बुन्देलखण्ड के सुप्रसिद्ध गायक श्री पंडित चंद्र भूषण पाठक जी के सानिध्य में रह कर बुन्देलखण्ड की देशज शैली का संगीत अध्ययन किया और उनके साथ विभिन्न शहरों और गांवों में अपनी आवाज का जादू बिखेरा। सन 1990 में आकाशवाणी भोपाल को सेवाएं देने के उपरांत कन्हैया कैसेट झाँसी के साथ मिलकर कैसेट की दुनिया का एक चर्चित चेहरा बन गए। सन 1994 से सन 1995 तक शास्त्रीय संगीत की शिक्षा हेतु ललितपुर नगर के सुप्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत गुरू श्री सुशील सिन्हा जी से अनवरत शिक्षा ली और अपनी गायकी में निखार लाया। रामकिशोर मुखिया जी ने सन 2010 तक बुन्देलखण्ड की भाषा में ही लोकगीत गाये और खूब ख्याति बटोरी तत्पश्चात सन 2011 से मुखिया जी ने भजन संध्या की ओर रुख किया और आज तक बुन्देलखण्ड की गायन विधा और संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं। रामकिशोर मुखिया जी को भारत के कई शहरों में सम्मान से नवाजा गया जिसमें से सन 2018-19 में उत्तर प्रदेश श्रम मंत्री तथा गौ-पुत्र सेना ललितपुर द्वारा बुन्देली भजन सम्राट की उपाधि से सम्मानित किया गया।

सन 2023 में खजुराहो फेस्टिवल में अपनी शानदार प्रस्तुति के साथ सम्मानित किये गये।

सितंबर 2024 को रामकिशोर मुखिया जी को पंडित स्व श्री देशराज पटैरिया सम्मान से तत्कालीन विधायिका श्रीमती ललिता यादव छत्तरपुर मध्य प्रदेश द्वारा सम्मानित किया गया।

रामकिशोर मुखिया जी से बातचीत से पता चला कि उनकी इस गायन विधा को उनका पुत्र हृदयेश यादव बख़ूबी आगे बढ़ा रहे हैं। मुखिया जी ने बताया कि आज कल की युवा पीढ़ी जो बुन्देलखण्ड के संगीत को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है उनसे उन्होंने मर्यादित गायन का विशेष ध्यान देने की हिदायत दी है। संगीत एक साधना है कला है और पूज्य विधा है जिसमें अश्लीलता और द्विअर्थी शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ।मुखिया जी ने एक मुहिम भी चला रखी है कि जो कलाकार अश्लील और द्विअर्थी शब्दों का प्रयोग करके सस्ती लोकप्रियता बटोर रहे हैं उनका बहिष्कार करना हमारा नैतिक दायित्व है।

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