बरखेड़ा में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन,छठे दिन की कथा में महारास, मथुरा गमन, कंस वध का हुआ वर्णन,कंस वध और रुकमणी विवाह प्रसंग सुनकर भाव विभोर हुए श्रद्धालु

रिपोर्ट -विष्णु प्रसाद
दबंग केसरी न्यूज़
चौमहला -गंगधार क्षेत्र के बरखेड़ा में चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत ज्ञान कथा के छठवें दिन व्यास पीठ से भागवत भूषण पं.कालूराम जी व्यास महाराज चौमहला(सरवर )वाले के मुखारविन्द से कंस वध व रुकमणी विवाह के प्रसंगों का चित्रण किया। भागवत भूषण ने बताया कि भगवान विष्णु के पृथ्वी लोक में अवतरित होने के प्रमुख कारण थे, जिसमें एक कारण कंस वध भी था।कंस के अत्याचार से पृथ्वी त्राह त्राह जब करने लगी तब लोग भगवान से गुहार लगाने लगे। तब कृष्ण अवतरित हुए। कंस को यह पता था कि उसका वध श्रीकृष्ण के हाथों ही होना निश्चित है। इसलिए उसने बाल्यावस्था में ही श्रीकृष्ण को अनेक बार मरवाने का प्रयास किया, लेकिन हर प्रयास भगवान के सामने असफल साबित होता रहा। 11 वर्ष की अल्प आयु में कंस ने अपने प्रमुख अकरुर के द्वारा मल्ल युद्ध के बहाने कृष्ण, बलराम को मथुरा बुलवाकर शक्तिशाली योद्धा और पागल हाथियों से कुचलवाकर मारने का प्रयास किया, लेकिन वह सभी श्रीकृष्ण और बलराम के हाथों मारे गए और अंत में श्रीकृष्ण ने अपने मामा कंस का वध कर मथुरा नगरी को कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिला दी। कंस वध के बाद श्रीकृष्ण ने अपने माता-पिता वसुदेव और देवकी को जहां कारागार से मुक्त कराया, वही कंस के द्वारा अपने पिता उग्रसेन महाराज को भी बंदी बनाकर कारागार में रखा था, उन्हें भी श्रीकृष्ण ने मुक्त कराकर मथुरा के सिंहासन पर बैठाया। कथा को श्रवण करने के लिए आसपास के सुनारी, बरखेड़ा पुआरखेड़ी, ढाबला,सेंकला, चरुड़ी लूनाखेड़ा सहित कई दर्जन भर गांव से श्रद्धालुओं ने लिया भाग l