वन विभाग के अधिकारियों का खेल, रेंजर पास, बीटगार्ड फेल सीसीएफ और डीएफओ का असर, हाई कोर्ट का आदेश भी रेंजर के आगे बेअसर

रिपोर्ट मो0 जावेद
अनूपपुर। । संभाग से लेकर जिलेभर में वन विभाग की कार्यप्रणाली वनों की सुरक्षा छोड अब छोटे कर्मचारियों पर दवाब बनाकर भ्रष्टाचार का नया सिलसिला निर्मित किया गया है। अनूपपर जिले के सभी परिक्षेत्र में ऐसे कई छोटे कर्मचारी मिल जायेंगे, जहां अधिकारियों के प्रताडना से परेशान होकर मानसिक पीडा से गुजर रहे है। विभाग के उच्चाधिकारियों केे खिलाफ न तो कुछ बोल पा रह है और न ही उनकी कोई पूछ-परख लेने वाला कोई जिम्मेदार अधिकारी उन तक पहुंचता यही कारण है कि लगातार एक के बाद एक कार्यवाही नियमों के विपरीत की जा रही है और परिणाम छोटे कर्मचारियों को निलंबित होकर भुगतना पड रहा है।
वनरक्षकों को बना रहे टारगेट
बीते वर्षो से देखा जाये तो वनमंडल अनूपपुर अंतर्गत दर्जनों वनरक्षक व बीटगार्ड अधिकारियों के शिकार हो चुके है, उनके ऊपर के एक भी कर्मचारी किसी भी जांच में दिखाई नही दिये और यदि जांच भी हुआ तो इनके नाम में आंच नही आता है, जबकि किसी भी कार्य में परिक्षेत्र सहायक और परिक्षत्राधिकारी का सहयोग 90 प्रतिशत रहता है, तभी जाकर किसी भी तरह के लापरवाही व भ्रष्टाचार छोटे कर्मचारी कर पाते है, लेकिन वन विभाग के जंगलराज कानून ने वनरक्षकों के जीवन को सूखे पेड की तरह बना दिया है। इसके पूर्व निलंबन कार्यवाही झेल चुके वनरक्षकों में सतीष परस्ते, बाल सिंह परस्ते, शिवकुमार साहू, दिनेश रौतेल, राजीव पटेल, शिवकुमार तिवारी, अंगेश्वरलाल साहू आदि आरक्षकों को भ्रष्ट अधिकारियों का शिकार होना पडा है।
नये वर्ष में दिया निलंबन का तोहफा
एक जनवरी को जहां सभी को शुभकामनाएं मिल रही थी, वही वनमंडलाधिकारी वन मंडल अनूपपुर एस.के. प्रजापति ने बिजुरी परिक्षेत्र के थानगांव बीटगार्ड सुनील कुमार बैगा को निलंबित करते हुए दो वेतन वृद्वि रोक दी। जबकि बिजुरी रेंजर जीतू सिंह व परिक्षेत्र सहायक पर किसी भी तरह की कार्यवाही नही की गई, जबकि इस खेल व लापरवाही में केवल बीटगार्ड ही शामिल नही था, बल्कि परिक्षेत्राधिकारी जीतू ङ्क्षसह पर पहले से ही उच्च न्यायालय ने जांच के आदेश दिये हुए है, लेकिन मुख्य वन संरक्षक लखल लाल उइके का हस्ताक्षेप होने के कारण महिला रेंजर पर जांच की आंच भी नही आ सकती है। बल्कि बीटगार्ड पर कई तरह के आरोप लगाते हुए कदाचार पत्रक तैयार कर बताया गया कि बीट थानगांव अंतर्गत बांस वृक्षारोपण आर.एफ. 521 रकवा 25 है. वर्ष 2021-22 में कैम्पा मद से 15625 नग यांस पौधों का बृसारोपण किया गया है, द्वितीय निंदाई प्रमाणको के भुगतान पूर्व निरीक्षण किया गया। उक्त निरीक्षण की सूचना आपको पूर्व से दी गई, किन्तु निरीक्षण के समय आप उपस्थित नहीं हुये। निरीक्षण के दौरान 40 प्रतिशत क्षेत्र घूमा गया, जिसमें ड्रोन कैमरा लगभग 60 प्रतिशत क्षेत्र में होना पाया गयाचे फोटो प्रतिशत में किसी प्रकार का निदाई कार्य नहीं पाया गया। फोटोग्राफी करायी गई। वृक्षारोपण क्षेत्र में प्रथम निदाई, द्वितीय निंदाई के प्रमाणकों के आधार पर निरीक्षण किया गया तो केवल सामने की तरफ निंदाई कार्य पाया गया तथा 50 प्रतिशत क्षेत्र में किसी प्रकार का कोई निंदाई कार्य नहीं पाया गया। 40 प्रतिशत गड्ढ़ों में कोई पौधे नहीं पाये गए, केवल जंगली सुअर द्वारा खोदे गड्ढे का निशान पाया गया। वृक्षारोपण क्षेत्र में चौकीदार के लिये हट का निर्माण कार्य नहीं होना पाया गया तथा चौकीदार से पूछे जाने पर उसके पास टार्च होना नहीं पाया गया, जिससे वह रात्रि गश्ती करने में असमर्थता व्यक्त की गई।
यह भी लगे आरोप
वृक्षारोपण क्षेत्र में फेसिंग का निरीक्षण किये जाने पर पीछे से खुली पायी गई, जिसमें आम लोगों के आने-जाने का रास्ता बना हुआ है तथा वृक्षारोपण क्षेत्र से समीपस्थ लोगों द्वारा निजी वाहन जैसे मोटर सायकल, ट्रेक्टर आदि आना-जाना पाया गया। वृक्षारोपण क्षेत्र में लगभग 20 मीटर फेसिंग नहीं पायी गई। इस प्रकार बांस वृक्षारोपण आरएफ. 521 रकवा 25 है. वर्ष 2021-22 प्रथम निंदाई का प्रमाणक बिना पूर्ण कार्य के ही प्रस्तुत कर भुगतान राशि रुपये 65213/- का प्राप्त किया गया तथा द्वितीय निंदाई के प्रमाणक बिना पूर्ण कार्य के ही राशि रुपये 57969/- के प्रस्तुत किये गए है।
और बना दिया अनुशासनात्मक कार्यवाही का भागी
आपके बीट धानगांव अंतर्गत मिश्रित वृक्षारोपण आरएफ. 523 रकवा 50 हे. वर्ष 2019-20 में कैम्पा मद से 50000 पौधों का वृक्षारोपण किया गया है, जिसका अधोहस्ताक्षरकर्ता द्वारा दिनाक 22.12.2023 को द्वितीय निदाई प्रमाणकों के भुगतान पूर्व निरीक्षण किया गया, जिसमें 40 प्रतिशत कार्य प्रथम निंदाई के पाया गया तथा द्वितीय निंदाई केवल वृक्षारोपण के गेट के सामने पायी गई, जोकि 20 प्रतिशत क्षेत्र होगा तथा 80 प्रतिशत क्षेत्र में किसी प्रकार का कोई कार्य नहीं किया गया। उक्त निरीक्षण के समय परिक्षेत्राधिकारी बिजुरी पूर्व परिक्षेत्र सहायक एवं वर्तमान परिक्षेत्र सहायक दोनो मौजूद रहे हैं। इस प्रकार मिश्रित वृक्षारोपण आर.एफ. 523 रकवा 50 हे, वर्ष 2019-20 प्रथम निदाई का प्रमाणक बिना पूर्ण कार्य के ही ही प्रस्तुत कर भुगतान राशि रुपये 231875/- का प्राप्त किया गया तथा द्वितीय निदाई के प्रमाणक बिना पूर्ण पूर्ण कार्य के ही राशि रुपये 185500/- के प्रस्तुत किये गए है। उपरोक्तानुसार शासकीय कर्तव्यों के प्रति घोर उदासीनता, लापरवाही एवं फर्जी प्रमाणक तथा वरिष्ठ को निर्देशों की अवहेलना किया जाकर आपने अपने आपको म0प्र0 सिविल सेवा वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 की धारा 16 के अंतर्गत अनुशासनात्मक कार्यवाही का भागी बना दिया गया।
जवाब देने से कतरा रहे सीसीएफ और डीएफओ
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुख्य वन संरक्षक लखन लाल उइके और अनूपपुर वन मंडलाधिकारी एस.के. प्रजापति का आपसी मतभेद चल रहा है, हांलाकि इसके पूर्व कई परिक्षेत्राधिकारियों ने डीएफओ के खिलाफ भेदभाव के आरोप लगाये थे, लेकिन विभागीय मैनेजमेंट से दबा दिया गया। वही बिजुरी की महिला रेंजर पर कई आरोप लगते आ रहे है, शपथ-पत्र के माध्यम से शिकायत होने के बावजूद भी महिला रेंजर पर कार्यवाही न होना सीसीएफ का हस्ताक्षेप बताया जा रहा है। इस तरह से वन विभाग में चल रहे भर्रेशाही की जानकारी जब मीडिया ने मोबाइल के माध्यम से उच्चाधिकारियों से लेना चाहता तो किसी भी बात करने की जहमत नही उठाई व फोन रिसीव करना ही मुनासिब नही समझा।