दिवा स्वप्न साबित हुई उदवहन सिंचाई परियोजना… सिंचाई के नाम पर सिर्फ खड़ी कर दी है वॉल पेटियां, न पानी मिला है , न जिम्मेदारों का है ता पता
रिपोर्ट दिनेश समाधान
बिस्टान। बिस्टान उदवहन सिंचाई परियोजना का कार्य शत प्रतिशत पूर्ण हो जाने का सरकारी दावा पिटा जा रहा है। जबकि धरातल पर किसान जगत अभी भी परियोजना का पानी खेत में खेतों में पहुंचने की बांट जोह रहे हैं। 374.64 करोड रुपए की लागत की इस परियोजना से खरगोन, गोंगावा और भगवानपुरा तहसील की 22 हजार हेक्टेयर भूमि में सिंचाई होने की बात कही गई थी।
तहसीलों के 92 ग्राम के 24 हजार किसानों को सिंचाई लाभ मिलना था।लेकिन खेत आज तक रिते हैं। योजना की पाइपलाइन तो खेतों में पहुंच गई है ।वॉल पेटियां भी खड़ी कर दी गई हैं। लेकिन पानी का अता पता नहीं है।हालत यह हैं कि लंबे समय से बिछी पड़ी पाइपलाइने उखड़ कर जमीन पर आ गई है वही वॉल पेटियां हवा आंधी में उड़ गई हैं। परियोजना से वंचित भगवानपुरा बिस्टान तहसील टप्पा क्षेत्र के किसान लच्छू मालू,,बद्री पहाड़ सिंग,महेश पाटिल, माणकचंद गुप्ता आदि ने ने बताया कि परियोजना का लाभ मिलना मिथ्या साबित हुआ है। किसान आज भी खेतों में पानी पहुंचने की बाट जोह रहे है।
वर्जन….
भातुड़ क्षेत्र के किसान लच्छीराम बंजारा ने बताया की उनके खेत में योजना के पानी की एक बूंद भी नहीं पहंची है।खेत की सीमा के समीप ही आउटलेट खड़े हैं।पानी कब मिलेगा इस संबंध में जानकारी देने वाले कोई जिम्मेदार नहीं है।फसलों की सिंचाई का सपना धारा ही रह गया है।
पासपोर्ट फोटो ..लच्छीराम बंजारा
वर्जन….
बन्हेर क्षेत्र के कृषक शशांक त्रिवेदी ने बताया कि योजना घोषणा के समय से खेत में मां नर्मदा के आगमन की खुशियां मना रहे है।लेकिन योजना दिव्य स्वप्न साबित हुई है।अभी तक जमीनें सुखी पड़ी है।परियोजना की जानकारी किससे ले और कहां से ले।जल समितियों के कार्य क्या है,यह भी पता नहीं है ।
पासपोर्ट फोटो…शशांक त्रिवेदी