शिव महापुराण का दूसरा दिन: कथा वाचक ने कहा – मनुष्य के उद्धार के लिए धर्म और ज्ञान से बड़ा कोई दूसरा विकल्प नहीं

रिपोर्ट सुनील राठौर
बैतुल ।भौरा नगर के मां बिजासन मंदिर प्रांगण में शिव महापुराण कथा का आयोजन किया जा रहा है. कथा के दूसरे दिन बुधवार को इंदौर हातोद के कथाचार्य शुभम कृष्णा दुबे ने धर्म और ज्ञान से जुड़ी हुई बातों से भक्तों को अवगत कराया और कहा कि ‘इस भूतल पर कल्याण के लिए इस कथा से उत्तम दूसरा कोई साधन नहीं है। उन्होंने कहा कि इस महापुराण के पठन अथवा ज्ञान से अवश्य ही पापी, दुराचारी लोग शुद्ध हो सकते हैं. उन्होंने बताया कि कुछ प्राचीन इतिहास का वर्णन मुनियों ने कुछ इस प्रकार से दिया है, जिसके श्रवण या पठन से पापों का संपूर्ण नाश हो जाता है। कथाचार्य पंडित शुभम कृष्णा दुबे ने बताया कि ‘भगवान शिव की आराधना मनुष्य को मोक्ष प्रदान करती है. इसलिए समस्त मानव जाति को भगवान शिव की निर्मल मन से उपासना करनी चाहिए।उन्होंने कहा कि आज सनातन धर्म के प्रति लोग जागरूक हुए हैं अब लोगों में धर्म के प्रति आस्था जगी है। उन्होंने कहा कि महादेव की भक्ति करें सिर्फ वही है जो आपका भविष्य तय करते हैं। शंकर भगवान का भजन करें वही दुनिया का भाग्य लिखने वाले है। शिव महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन कथाचार्य पंडित दुबे ने भगवान शिव जी की महिमा का व्याख्यान करते हुए बताया कि ‘मनुष्य के उद्धार के लिए धर्म और ज्ञान से बड़ा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. धर्म को न मानने वाले लोग अधर्मी और अशुद्ध होते हैं। संगीतमय शिवपुराण कथा में कथावाचक ने कहा कि शिव मंदिर शिवालय या अन्य देव स्थानों पर लगातार ईश्वर से अपने लिए गुहार लगाने का अर्थ पूजा नहीं हैं यदि आप सच्चे और निस्वार्थ भाव से किसी दुखी के चेहरे पर मुस्कान ला देते हैं तो यह सबसे बड़ी पूजा है। यदि व्यक्ति काम, क्रोध, लोभ और मोह को त्याग दे तो उसे भगवान शंकर प्राप्त हो जाते हैं। उन्होंने गुरू की गरिमा और गुरू का महत्व बताते हुए कहा कि भगवान शिव सबसे बड़े गुरू है और साधारण से साधारण मनुष्य भी उनका शिष्य है और जो भी व्यक्ति अशक्ति से दूर हो जाता है वह शिव तत्व पा लेता है। भगवान शंकर की आराधना और उनके प्रति आस्था से सैकड़ों लोग कष्टों से मुक्त हुए हैं, इसीलिए कथा अवश्य सुननी चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्य को ईश्वर की पूजा अर्चना कर तत्काल फल की कामना नहीं करनी चाहिए। क्यूंकि महादेव भी पहले परीक्षा लेते हैं इसीलिए हमें भी प्रतिक्षा करनी चाहिए।