इंदौर-मनमाड़ लाइन पर 160 किलोमीटर की स्पीड से दौड़ेगी ट्रेन
रिपोर्टर सुमित कुमार
इंदौर से मनमाड़ के बीच बिछ रही नई रेलवे लाइन पर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलेगी। इस ट्रैक पर कवच सिस्टम से सिग्नल ऑपरेट होंगे। मप्र में 17 नए स्टेशन बनाए जाएंगे। चार जगह रेलवे गोदाम बनेंगे। दो रेल गोदाम इंदौर के पास कैलोद और धार जिले के ग्यासपुरखेड़ी में जबकि दो महाराष्ट्र के न्यू धुले और मालेगांव में बनेंगे। इस ट्रैक का फ्रेट कॉरिडोर (समर्पित माल ढुलाई गलियारा) की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।
रेल लाइन को लेकर ये जानकारी मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी। मुख्यमंत्री इंदौर आए थे, जबकि वैष्णव वर्चुअली जुड़े थे। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘309 किमी लंबा ये प्रोजेक्ट 18 हजार 36 करोड़ रुपए का है। प्रोजेक्ट को 2029 तक हर हाल में पूरा कर लिया जाएगा।
सीएम ने बताया कि, इसे प्रदेश के लिए इकोनॉमिक के साथ धार्मिक कॉरिडोर के रूप में भी विकसित करेंगे। देश के मध्य में होने से पूरे देश को इसका फायदा मिलेगा। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिमी भारत की सीधी कनेक्टिविटी हो जाएगी।
रेल मंत्री ने बताया कि इस रूट पर अभी सिंगल लाइन डाली जाएगी, लेकिन सभी 35 रेलवे ओवरब्रिज को डबल लाइन के हिसाब से बनाया जाएगा। भविष्य में अगर इस रूट को डबल लाइन करना पड़े तो नए सिरे से ब्रिज नहीं बनाने पड़ेंगे। 1420 हेक्टेयर निजी जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा।
एमपी में 18 और महाराष्ट्र में 16 रेलवे स्टेशन होंगे
इंदौर से मनमाड़ तक कुल 34 रेलवे स्टेशन इस लाइन पर आएंगे। इनमें से 30 नए बनेंगे जबकि चार पहले से हैं। मध्यप्रदेश में 17 नए स्टेशन मिलाकर कुल 18 रेलवे स्टेशन होंगे। इंदौर की तरफ से देखें तो महू (पहले से है), कैलोद, कमदपुर, झाड़ी बरोदा, सराय तालाब, नीमगढ़, चिक्त्या बड़, ग्यासपुरखेड़ी, कोठड़ा, जरवाह, अजंदी, बघाड़ी, कुसमारी, जुलवानिया, सली कलां, वनिहार, बवादड़ और मालवा स्टेशन महाराष्ट्र बॉर्डर पर बनेगा।
महाराष्ट्र में 16 स्टेशन होंगे, जिसमें से तीन पहले से बने हुए हैं। ये स्टेशन सांगवी, लोकी, शिरपुर, दभाक्षी, नदाना (पहले से है), न्यू धुले (पहले से है), कस्बे ललिंग्नान, पूरमपेड़ा, झांझ, छीकाहोल, मालेगांव, यसगांव बीके, मेहुन, चोंधी, खटगांव और मनमाड़ (पहले से है) होंगे।
सीएम बोले- ये आदिवासियों की विकास लाइन
सीएम मोहन यादव ने कहा कि ये रेल नहीं, आदिवासियों के लिए विकास लाइन है। रेलवे ट्रैक नहीं होने से आजादी के कारण यहां से बड़ी संख्या में आदिवासियों का पलायन हुआ है। यह रुक जाएगा। उन्होंने कहा कि ये त्र्यंबकेश्वर से महाकालेश्वर को जोड़ने वाला रास्ता है। इससे माइनिंग से मिलेट्स, नासिक के प्याज, मालवा के आलू को बड़ा मार्केट मिलेगा। लॉजिस्टिक हब भी विकसित होगा।