बीरी घाट पंचायत के सचिव तुकाराम पंचायत के पैसों से हुए मालामाल और गांव के विकास को कर गया कंगाल
रिपोर्टर, दिलीप नेताम,
बिरी घाट पंचायत एक ऐसा पंचायत है जहां सरपंच को केवल आदिवासी के नाम से नियुक्त किया गया है ना हीं ज्यादा पढ़ी लिखी है और ना ही किसी ग्राम सभा में ग्रामीणों की समस्याओं का निदान की है,, चलती का नाम गाड़ी और बढ़ती के नाम दाढ़ी जैसे सरपंच पिता बुजुर्ग और केवल जी हुजूरी करने वाला जो भी कोई किसी के बारे में बोल दे तो आंख मूंद के स्वीकार कर लेना इसी का पांच वर्षो से फायदा उठाते आ रहा है मैनपुर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाला ग्राम पंचायत के सचिव तुकाराम जो पंचायत के 14वें वित 15 वे वित्त की राशि आहरण के साथ-साथ आदिवासी प्राधिकरण विधायक मद, सी सी रोड निर्माण अपाहिज पेंशन, पुल पुलिया निर्माण, का भी पैसा को हड़प कर गया, इसे इसकी कारस्तानी को देख कर बी री घाट पंचायत से भगाया गया था,, परंतु पुनः वापस बुलाया गया था कि बाकी मदो के पैसों का हिसाब दे सके 14 साल की दिव्यांग बेटी गिरुमति यादव की पंचायत पेंशन को भी डकार गया पी डी एस भवन, सामुदायिक शौचालय आखिर आपने अपने आला अधिकारियों को अपने सिनयरो को , सी ई ओ को कितना रिश्वत देता होगा जो कि केवल जांच का आदेश ही देकर केवल कागजी कार्यवाही ही करता होगा आज अगर जनपद पंचायत मैनपुर में देखा जाए तो इन जैसे खाओ सचिवों के खिलाफ कई आवेदन पेंडिंग में पड़े हुए हैं और तो और इस पंचायत के चपरासी राजेंद्र यादव को भी पगार से वंचित रखा है अपनी चालाकी और धूर्तता की वजह से हो गया है मालामाल और सरपंच ग्रामीणों को कर गया है कंगाल अपने घर पर बड़ी-बड़ी गाड़ियों को अपने घर के पोर्च पर खड़े किए हैं और बेचारे गरीब जनता के घर में साइकिल तक नसीब नहीं ऐसे सचिवों के खिलाफ एक जांच दल बिठाना चाहिए उनके संपत्ति चल, अचल कितना है और कहां-कहां है,, इसके खिलाफ जो कार्यवाही हो तो पूरा बर्खास्त या जनता का पूरा पैसा वापस या फिर जेल भरो आंदोलन, इसी कड़ी को लेकर उप सरपंच कनेश्वर मांझी के नेतृत्व में गरियाबंद के जिला कलेक्टर माननीय दीपक अग्रवाल जी के पास में ज्ञापन सौंपा गया,और अलग से बन सिंग ने भी अलग से आवेदन प्रस्तुत किए,