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शारीरिक श्रृंगार नहीं,  शारीरिक रक्षा की शिक्षा दी गई।

पत्रकार संजू चौहान

हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं।

जहां लड़कियां शारीरिक श्रृंगार में डूबकर वास्तविकता भूल चुकी है।इसलिए उन्हें सिर्फ श्रृंगार ही नहीं शारीरिक रक्षा की भी शिक्षा दी जानी चाहिए। इसलिए यह ज़रूरी है कि लड़कियाँ खुद की सुरक्षा करना सीखें। मातृशक्ति अहिल्या अखाड़ा के नेतृत्व में तीन दिनो की निशुल्क विशेष कार्यशाला के माध्यम से, हमारी संस्था बहुद्देश्यीय सेवा समिति की बालिकाओं को आत्मरक्षा तकनीकों में प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिसमें लाठी डंडे तलवार का उपयोग शामिल है, ताकि आत्मविश्वास, लचीलापन और चुनौतीपूर्ण वातावरण में सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक कौशल विकसित किया जा सके। शिविर के अंतिम दिन मातृशक्ति अहिल्या अखाड़े के सहयोगी सुधीर कुमार पाण्डेय के द्वारा बालिकाओं का उत्साह वर्धन किया गया और साथ ही प्रशिक्षक आशा परमार ने बालिकाओं को कहा कि आप सभी लगातार इसका अभ्यास करते रहना है, अखाड़े के सदस्य विनोद सिंह जनक भाई पटेल, नीतू सिंह, शारदा यादव, सीनू तिवारी उपस्थित रहे।

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