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संविधान सभी विधानों का विधान है, यह अंतर हम सभी को समझना चाहिए – कलेक्टर कोचर

रिपोर्टर सलमान खान

यदि भारत राष्ट्र की आत्मा को समझना है, तो उससे अच्छा कोई और सोर्स नहीं हो सकता-पुलिस अधीक्षक सोमवंशी

दबंग केसरी दमोह, संविधान दिवस का कार्यक्रम पूर्व वित्तमंत्री एवं दमोह विधायक जयंत कुमार मलैया की गरिमामय मौजूदगी में आज प्रधानमंत्री एक्सीलेंस ज्ञानचंद्र श्रीवास्तव शासकीय महाविद्यालय दमोह में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया गया। कार्यक्रम में भाजपा जिलाध्यक्ष प्रीतम सिंह लोधी, कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर, पुलिस अधीक्षक श्रुतकीर्ति सोमवंशी, वनमंडल अधिकारी ईश्वर जरांडे, अपर कलेक्टर मीना मसराम, एडीशनल एसपी संदीप मिश्रा, गौरव पटैल, वरिष्ठ समाजसेवी श्री पटैल, महाविद्यालय के प्राचार्य डा.आलोक कुमार जैन मंचासीन रहे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुये पूर्व वित्त मंत्री एवं दमोह विधायक जयंत कुमार मलैया ने कहा देश के अलग-अलग क्षेत्र के 385 विशेषज्ञों को संविधान सभा में रखा गया, उस समय विदेश में भी महिलाओं को तवज्जो नहीं मिलती थी, लेकिन उस समय भी हमारी संविधान सभा में 15 महिलाएं थी यह एक बड़ी अच्छी बात है। डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर जी के नेतृत्व में संविधान बना है। हमारा संविधान बहुत स्ट्रांग भी है और इसमें लचीलापन भी है, समय की मांग को देखते हुए जब-जब भी आवश्यकता पड़ती है, इसमें संशोधन किया जाता है, और समय-समय पर संशोधन होता भी रहा है, अभी सबसे महत्वपूर्ण 106 वां संविधान संशोधन में एक तिहाई सीटे लोकसभा की और विधानसभा की सीटे महिलाओं के लिए आरक्षित की गई है, वर्ष 2025 में जनगणना होगी जिसमें आबादी के हिसाब से तय किया जाएगा कि विधानसभा में कितनी आबादी रहेगी और लोकसभा में कितनी आबादी रहेगी, सीटे तय हो जायेंगी। उन्होंने कहा संविधान में हमें कुछ अधिकार भी दिए हैं और कुछ कर्तव्य भी दिए हैं, जिनका पालन करते हुये हमें आगे बड़ना है। उन्होंने संविधान दिवस की सभी को शुभकामनाएं दीं।कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने कहा हम विधि के विधान के आगे नतमस्तक होते हैं और ऐसे ही हमारे संविधान के प्रति हम नतमस्तक होते हैं, इन दोनों चीजों में हमें फर्क समझना चाहिए यह दोनों चीज देश के महापुरुषों की देन है, महापुरुषों ने हमें यह बताया कि देश कैसे बनता है और देश के संविधान ने हमें यह बताया कि देश कैसे चलता है। महापुरुषों ने देश बनाया और संविधान ने हमें देश चलाना सिखाया। संविधान सभी विधानों का विधान है, यह अंतर हम सभी को समझना चाहिए। संविधान कोई कानून नहीं है, लेकिन जितने भी कानून बने हैं सभी संविधान के आधार पर बने हैं। उन्होंने कहा संविधान केवल अक्षरों का दस्तावेज नहीं है, बल्कि संविधान निर्माताओं की सपनों और सोच का जीवंत दस्तावेज है, इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है, जो कि पूरे संविधान को परिभाषित करती है, वह है व्यक्ति की गरिमा, देश में हर व्यक्ति चाहे वह बड़ा हो, छोटा हो, अमीर हो, गरीब हो, हर व्यक्ति को अपना जीवन एक न्यूनतम गरिमा के साथ जीने का हक है। प्राणों का अधिकार और जीवित रहते हुए अपना जीवन गरिमा के साथ ‍बिताने का हक है।            कलेक्टर कोचर ने कहा यह संविधान हम सभी को मौलिक अधिकार देता है। आपको अपने आसपास देखना चाहिए कि क्या कोई गरीमा के अधिकार से वंचित है, क्या लोगों को गरिमा पूर्ण जीवन जीने का हक मिल रहा है, यदि नहीं मिल रहा है तो क्या हम उसे वह हक दिलाने में अपना कोई योगदान कर सकते हैं, इस योगदान के लिए कोई उम्र और पद की आवश्यकता नहीं है, किसी भी व्यक्ति को किन्हीं चीजों के अभाव के कारण यदि वह गरिमा पूर्ण जीवन नहीं जी पा का रहा है और यदि आप उसमें कोई मदद कर सकते हैं, तो आप संविधान के सच्चे ध्वजवाहक बनकर खड़े होंगे।

उन्होंने कहा आज की पीढ़ी को संविधान की मूल भावनाओं को समझने की बहुत आवश्यकता है, संविधान बनाने में जिन्होंने भी अपना योगदान दिया है उनके योगदान के प्रति नमन करता हूं। आज यदि हम आजादी की खुली हवा में सांस ले रहे हैं, नियम और विनियम के माध्यम से इस देश को चला पा रहे हैं तो इसका पूरा श्रेय संविधान सभा को जाता है, उन सभी के प्रति नमन करते हुए आपसे आवाहन करता हूं कि अपने जीवन में मौलिक अधिकारों और मौलिक कर्तव्यों के प्रति सचेत रहें, सजग रहे हैं, इनका पालन करते हुए यदि हम जीवन जियेंगे तो यह संविधान सभा के सभी सदस्यों के चरणों में हमारी असली श्रद्धांजलि होगी।            पुलिस अधीक्षक श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने कहा भारत का संविधान सबसे बड़ा संविधान है, लेकिन जिस प्रकार की हिस्ट्री, जियोग्राफी और कल्चरल डायवर्सिटी भारत में उपलब्ध है उसमें किसी भी पक्ष को यह महसूस ना हो की संविधान में उसकी शक्ति और आवाज नहीं दी गई है, इसलिए उनको भरपूर सहयोग, सपोर्ट और तमाम तरह की शक्तियां और कर्तव्य संविधान में उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा यदि आपको राष्ट्र निर्माण को समझना है और राष्ट्र निर्माण में जो व्यक्ति निर्माण है तो संविधान सभा की जो पुस्तक हैं उनमें जो डिस्कशन हुए हैं उन्हें जरूर पढ़ें, उसमें सभी कुछ डिस्कस किया गया है और यदि भारत राष्ट्र की आत्मा को समझना है, तो उससे अच्छा कोई और सोर्स नहीं हो सकता है। सभी छात्रों को एक बार उसे पढ़ने का प्रयास जरुर करना चाहिए। भारतीय संविधान में जो बातें लिखी गई है, यदि उनका ठीक से पालन किया जाए तो राष्ट्र निर्माण में कहीं कोई कमी नहीं आने वाली है।            पुलिस अधीक्षक सोमवंशी ने कहा आज का दिन डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी को याद करने वाला दिन है, ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर जी को याद करने का दिन है और संविधान सभा के सभी सदस्यों ने उसमें जो-जो अपना योगदान दिया है उसको भी याद करने का दिन है। संविधान की वे सभी बातें जो एक इंडिविजुअल व्यक्ति पर डायरेक्ट की गई है चाहे वह उसकी मौलिक कर्तव्य हो या उसके अधिकार हो, उनको समझने का भी दिन है। उन्होंने कहा संविधान में दिए गए अधिकारों की रक्षा हर नागरिक को करनी है और अपने संविधान के दिए हुए सभी अधिकारों के साथ-साथ अतिरिक्त व्यक्तियों के अधिकारों की भी रक्षा करनी है।            वन मंडलाधिकरी ईश्वर जरांण्डे ने कहा 26 नवंबर 1949 को संविधान को मूर्त रूप देकर हमने आत्म अर्पित किया था, इस पावन दिवस को आज 75 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं, जिसका समारोह पूर्वक आयोजन किया जा रहा हैं। उन्होंने कहा बहुत ही गर्व की बात है कि हम भारत जैसे लोकतांत्रिक गणराज्य में निवास करते हैं, इस लोकतांत्रिक गणराज्य की नीव संविधान में रखी गई है। स्वतंत्रता के बाद देश के सामने एक बड़ी चुनौती थी भारत जैसे विविधता पूर्ण और विशाल देश के लिए एक ऐसा संविधान बनाना जो हम सभी को एकता में बांधकर रखे, यह एक बहुत ही बड़ी चुनौती थी, उसी चुनौती के साथ-साथ नए स्वतंत्र देश में एक एस्पिरेशन की भी गूंज थी, इन सभी को लेकर संविधान को बनाया गया, उसमें सार्वभौमिक मताधिकार, मौलिक अधिकार, मौलिक कर्तव्य, राजनीति के मार्गदर्शन के सिद्धांत आदि महत्वपूर्ण बातें संविधान में निहित की गई है।           अपर कलेक्टर मीना मसराम ने कहा भारत का संविधान एक बृहद और विस्तृत राष्ट्रीय दस्तावेज है, 26 नवंबर 1949 को नवनिर्मित संविधान पर हस्ताक्षर किए गए, संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया इसके उपलक्ष्य में हम सभी 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाते हैं। उन्होंने कहा संविधान के निर्माण के लिए एक संविधान सभा का गठन किया गया था जिसकी पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को आयोजित की गई थी, संविधान निर्माण के लिए 9 समितियां का गठन किया गया था, डॉ भीमराव अंबेडकर संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे एवं डॉ राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष थे।           कार्यक्रम के दौरान मातृभूमि पर गीत की प्रस्तुति भाग्यश्री कुरेरिया ने प्रस्तुत किया। संविधान के ऊपर बनी एक डाकूमेंट्री फिल्म दिखाई गई। पूर्व वित्तमंत्री एवं दमोह विधायक श्री मलैया ने सभी को संविधान की उद्देशिका का वाचन किया जिसे उपस्थित अधिकारियों एवं छात्र-छात्राओं ने दोहराया। राष्ट्रगान से कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम का संचालन विपिन चौबे ने किया। आभार महाविद्यालय के प्राचार्य डा.आलोक कुमार जैन ने व्यक्त किया।

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