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श्री शिव महापुराण कथा का पंचम दिवस- भगवान की दिव्य कृपा से ही कथा सुनने का मिलता है सौभाग्य – शुभम कृष्णा दुबे

रिपोर्ट सुनील राठौर

बेतुल । भौरा नगर के माँ बीजासेन मंदिर प्रांगण में सात दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा के पंचम दिवस में कथा प्रवक्ता भागवताचार्य पंडित शुभम कृष्णा दुबे महाराज ने श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि शिव का स्वरुप परम कल्याणकारी है। अनेकता में एकता का संदेश देने की कथा श्री शिव महापुराण में वर्णित है । श्री शिव महापुराण की कथाएं जीवन को पवित्र बनाने वाली कथाएं हैं । भगवान शिव सभी को आनंदित करने वाले हैं । इसमें किसी तरह भेदभाव नहीं करते, सगुणता और निर्गुणता का जैसा सामंजस्य भगवान शंकर में है, वैसा और कहीं नहीं दिखाई पड़ता । संसारी होकर भी शिव विदेही है और विदेही होकर भी संसारी है । दुर्गुण में भी गुण देखने वाले भगवान शिव ही है।श्मशानवासी कहलाते है, लेकिन कैलाश की सुन्दर वादियों में विचरण करते है। श्री शिव महापुराण अलौकि ग्रंथ हैं, जो पूरे समाज को परिष्कृत करने के लिए जागृत करता है । हमारा समाज के प्रति क्या कर्तव्य है और समाज की हमारे लिए क्या उपयोगिता है । महाराज श्री ने कहा कि जीवन में सुख और शांति के लिए श्री शिव महापुराण का अध्ययन परम आवश्यक है । हमारा मन पानी की तरह है और पानी सदा नीचे की तरफ बहता है । उसे ऊपर चढ़ाने के लिए जैसे प्रयास करना पड़ता है, उसी प्रकार मन को भी साफ रखने के लिए प्रयास करना पड़ता है तभी यह सही दिशा में जाएगा ।

भगवान की दिव्य कृपा से ही कथा सुनने का मिलता है सौभाग्य :

शिवमहापुराण कथा के पांचवे दिन शुक्रवार को पंडित कृष्णा दुबे ने प्रवचन में कहा कि जब भगवान की दिव्य कृपा होती हैं। तब श्री शिव महापुराण कथा सुनने का सौभाग्य प्राप्त होता है और अवरणीय सतगुणों का जब संग्रह होता है तब श्री शिव महापुराण कथा कराने के लिए लोग प्रयत्नशील होते है । महाराज श्री ने कहा कि ईश्वरीय विधान को नहीं मानने वाले, उल्लंघन व विरोध करने वाले लोग दूसरे जन्म में कष्ट पाते हैं ओर नरक की योनि भुगतनी पड़ती है। पूजा करने वक्त क्रोध नहीं करना चाहिए क्रोध से नैतिक मूल्य नष्ट हो जाते है ।

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