कृषि क्षेत्र में आधुनिकता एवं बाजारवाद का गहरा प्रभाव

रिपोर्ट-शत्रुहन प्रसाद साहू
हमारा देश कृषि प्रधान देश है और छत्तीसगढ़ प्रदेश धान का कटोरा के नाम से जाना जाता है ।
भाटापारा -दबंग केसरी -हमारा देश कृषि प्रधान देश है और छत्तीसगढ़ प्रदेश धान का कटोरा के नाम से जाना जाता है । परन्तु आधुनिकता के आगमन शहरीकरण के प्रवेश , पूंजीवाद की दखल तथा बाजारवाद की चमक से सबसे ज्यादा जिस क्षेत्र पर प्रभाव पड़ा वह कृषि का क्षेत्र है, जहां लोग कृषि कार्य को छोड़कर नौकरी की ओर अधिक रूचि लेने लगे है । जिसके चलते खेती की ओर रुझान कम और गांवों से पलायन कर कृषक दूसरे प्रदेशों मे जाकर मजदूरी को कृषि के बजाय अधिक प्राथमिकता देनें लगे,इन परिस्थतियों के पीछे सबसे महत्वपूर्ण वजह कृषि मे लागत का भी मुश्किल से निकल पाना जिससे खेती दिनों दिन महंगी होती जा रही ,छत्तीसगढ मे भी कमोबेश यही दृश्य उपस्थित होनें लगे, लेकिन राज्य स्थापना के बाद इस क्षेत्र में संजीदगी का वातावरण बनता हुआ दिखाई दिया एवं सरकारें कृषि की प्राथमिकता की राह पर चलती हुई दिखाई दी,देश मे भी महज कर्जा माफी की नीति के उलट कृषि उन्नयन की अन्य कारणों की ओर चिंतन के स्वर सुनाई देनें लगे।
पहले कृषि उपज खासकर छत्तीसगढ मे धान की खरीदी महज कृषि उपज मंडी और व्यापारियों के भरोसे पर टिकी होती थी जिसके चलते भावों के उतार चढ़ाव का पूरा नियंत्रण व्यापारियों के हाथ मे होता था,लिहाजा किसानों को सही दाम मिलने की परिस्थितियां निर्मित नहीं हो पाती थी,सरकार द्वारा समर्थन मूल्य के निर्धारण ने किसानों के धान को एक सम्मान प्रदान कर दिया है, अब राजनैतिक दलों द्वारा कृषि और किसानों को लेकर चल रही प्रतिस्पर्धा एक तरह से इस क्षेत्र की प्राथमिकता को बढ़ाती हुई प्रतीत हो रही है। कहा जाता है कि जहां लाभकारी माहौल बनता है वहां बीमारी का भी प्रवेश होता है उसी तर्ज पर दिनों दिन बढ़ रही कृषि को तवज्जो एवं योजनाओं की बाढ़ के बीच अव्यवस्था की बीमारी का प्रवेश भी होता है, बिचौलियों का प्रवेश अन्य राज्यों से धान की आवक की आती खबरों के साथ ही धान खरीदी केन्द्रों मे भेदभाव एवं पैसे के लेनदेन के आरोप भी लगते हुए नजर आ रहें है,विगत दिनों भाटापारा के ग्राम खैरी के धान खरीदी केन्द्र मे किसानों द्वारा केन्द्र व्यवस्था पर भेदभाव एवं लेन देन का आरोप लगाये जाने की खबरे भी सामने आ रहीं है,जो कि एक चिंताजनक है।ऐसे लोगों पर कठोर कार्यवाही किए जाने की आवश्यकता है।
विभिन्न राजनैतिक दलों एवं सरकारों के बीच जिस पैमाने पर कृषि और किसानों के हितैषी बनने की होड़ मची है एवं नित नयी योजनाओं के माध्यम से इस कार्य को किया जा रहा है ,इसके बावजूद इस क्षेत्र में चारों ओर उदासीनताओं के चलते अव्यवस्थाओं का घेरा एवं फर्जीवाड़ा बढ़ता जा रहा है जिसके चलते योग्य लाभार्थियों तक लाभ पंहुचने के बजाय अयोग्य के लाभान्वित होने की संभावना बढ़ रही है,अफसर शाही एवं बिचौलियों का प्रभाव धान एवं किसान के उन्नयन मे बड़ा रोड़ा बनते हुए प्रतीत हो रहें है,अगर इस दिशा मे आवश्यक एवं उचित कदम नहीं उठाए गये तो योजनाएं महज नाम की रह जाएंगे एवं कृषि एवं किसान फिर वहीं के वहीं खड़े नजर आयेंगे,चूंकि यह विडम्बना लंबे समय से जारी है इसलिए आम जनता को आस है कि नयी सरकार व्यवस्थाओं को प्राथमिकता देते हुए इस दिशा मे आवश्यक कदम उठाएगी, जिससे कृषि एवं किसान वाकई उन्नति का ऐहसास कर सकें।