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भोपाल में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय हर्बल मेला 2024 में पहुंचे छिंदवाड़ा जिले के वन उत्पाद महामहिम राज्यपाल श्री पटेल ने की सराहना अब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भी शीघ्र ही उपलब्ध होंगे छिंदवाड़ा जिले के वन उत्पाद, जिला प्रशासन कर रहा तैयारी

 

रिपोर्ट  अर्जुन मर्रापे

छिंदवाडा़ :-अपने वन उत्पादों, श्रीअन्न (मिलेट्स) और वन औषधियों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां की आचार, चिरौंजी, शहद, आंवला, हर्रा, बहेड़ा, महुआ, अर्जुन, कोदो, कुटकी, ज्वार, मक्का आदि उत्पादों की सराहना बीते दिनों भोपाल में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वन मेले में महामहिम राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल द्वारा भी की गई है। प्रधानमंत्री जनमन अभियान के अंतर्गत छिंदवाड़ा जिले के ये वन उत्पाद अब शीघ्र ही ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध होंगे, जिसकी कार्ययोजना जिला प्रशासन द्वारा बनाई जाकर क्रियान्वयन भी प्रारंभ हो गया है। आज इसी सिलसिले में कलेक्टर श्री मनोज पुष्प ने अपने कक्ष में वनमण्डलअधिकारी पूर्व वनमण्डल श्री बृजेन्द्र श्रीवास्तव से चर्चा भी की और सदस्यों द्वारा की जा रही पैकेजिंग देखी। उन्होंने वन विभाग को इन वन उत्पादों के साथ ही एलोवेरा और अन्य वन उत्पादों को भी कार्ययोजना में शामिल करने की दिशा में प्रयास करने का सुझाव दिया । जिले के अधिकांश वन उत्पादों को प्रधानमंत्री वन धन केंद्रों के माध्यम से भारिया महिलाओं द्वारा संग्रहित किया जाता है। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से इनकी ट्रेडिंग से इन प्रधानमंत्री वनधन केंद्रों से जुड़े इन भारिया परिवारों को पीएम जनमन अभियान की मंशा के अनुरूप दोहरा आर्थिक लाभ मिलेगा।

वनमण्डलाधिकारी पूर्व वनमण्डल श्री श्रीवास्तव ने बताया कि मध्यप्रदेश शासन वन एवं मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज संघ भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी 24 से 28 जनवरी 2024 तक अन्तर्राष्ट्रीय हर्बल मेला-2024 का आयोजन किया गया, जिसका शुभारंभ महामहिम राज्यपाल श्री पटेल, वनमंत्री और राज्य वनमंत्री द्वारा किया गया। इस वन मेले में पूर्व छिंदवाड़ा वनमण्डल के वनधन केन्द्र चिलक व छिंदी द्वारा अपने उत्पादनों की प्रदर्शनी लगाई गई। इस प्रदर्शनी में वनधन केन्द्र के सदस्यों द्वारा संग्रहित कर आकर्षक पैकेजिंग कर उत्पादों की बिक्री की गई। इसमें मुख्यतः शहद, आंवला, हर्रा, बहेड़ा, महुआ, अर्जुन, कोदो, कुटकी, ज्वार, मक्का, अचार-चिरौंजी एवं वनों में पाई जाने वाली औषधियां थी। प्रधानमंत्री वनधन केन्द्र को 15 समूहों जिसमें प्रत्येक समूह में 20 सदस्य इस प्रकार कुल 300 सदस्यों द्वारा संचालित किया जाता है। इन समूहों में 90 प्रतिशत से अधिक भागीदारी महिलाओं की है, जिसमें भारिया समुदाय प्रमुखतः है। इन्ही सदस्यों द्वारा ग्रामीणों से वनोत्पाद संग्रहित कर प्रसंस्करण के उपरांत विक्रय किया जाता है। इस वर्ष वन मेले में दोनों पीएम वनधन केन्द्रों से लगभग 2 लाख रूपये की सामग्री का विक्रय किया गया। इस राशि से समूह के सदस्यों के जीविकोपार्जन में मदद तो मिली ही है, उनकी आय में इजाफा होने और सराहना मिलने से अपने कार्य के प्रति उनमें उत्साह भी बढ़ा है। भविष्य में इन्हें ई-कॉमर्स ट्रेडिंग की ओर अधिक लाभ पहुंचाने की योजना है। महामहिम राज्यपाल द्वारा वन मेले में आये जिले के उत्पादों की प्रशंसा की गई। वन विभाग के अंतर्गत प्रधानमंत्री वनधन केन्द्रों को कुशलतापूर्वक संचालित किया जाकर उनके आर्थिक उत्थान की ओर अग्रसर किया जा रहा है।

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