बमनौरा संकुल में शिक्षा व्यवस्था पर संकट: बच्चों से करवाई जा रही सफाई, प्रशासन की अनदेखी पर आक्रोश
रिपोर्टर किशन कुशवाहा
घुवारा//छतरपुर: मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लाखों रुपए खर्च कर शिक्षा व्यवस्था कराई जा रही ताकि बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके आपको बता दे की शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को ज्ञान प्रदान करना और उनके भविष्य को संवारना है, लेकिन बमनौरा संकुल में स्थिति इसके बिल्कुल विपरीत नजर आ रही है। संकुल प्राचार्य बसंत लाल प्रजापति की कथित मनमानी के कारण विद्यालयों में बच्चों से जबरन झाड़ू-पोछा करवाने का मामला बार बार सामने आ रहे है। हाल ही में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बमनौरा में ऐसा ही एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें छात्र-छात्राओं को सफाई कार्य में लगाया गया था जिसमे प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जिसका नतीजा यह हुआ कि अन्य विद्यालयों में भी यही प्रवृत्ति देखने को मिल रही है।
*शासकीय प्राथमिक शाला डोगरपुर में दोहराई गई यह घटना*
ताजा मामला शासकीय प्राथमिक शाला डोगरपुर का है, जो बमनौरा संकुल के अंतर्गत आता है। यहां भी बच्चों को पढ़ाई छोड़कर झाड़ू-पोछा करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जिसका वीडियो अब तेज़ी से वायरल हो रहा वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि मासूम बच्चों से सफाई करवाई जा रही है। इससे अभिभावकों और स्थानीय ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि स्कूल शिक्षा देने के लिए होते हैं, न कि बच्चों से श्रम कराने के लिए।
*जिला प्रशासन की अनदेखी से बढ़ रही लापरवाही।*
इससे पहले बमनौरा के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में भी ऐसा ही मामला सामने आया था, लेकिन शिक्षा विभाग और प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इस अनदेखी का नतीजा यह हुआ कि अन्य विद्यालयों में भी प्रधानाध्यापक और प्राचार्य मनमानी करने लगे। संकुल प्राचार्य बसंत लाल प्रजापति की लचर कार्यप्रणाली के चलते शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है और बच्चों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है।
*ग्रामीणों और अभिभावकों में गुस्सा।*
बच्चों से जबरन झाड़ू-पोछा करवाने की घटना से स्थानीय ग्रामीणों और अभिभावकों में रोष व्याप्त है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि दोषी अधिकारियों और शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। ग्रामीणों का कहना है कि यदि इस तरह की घटनाओं पर रोक नहीं लगाई गई तो वे आगे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
*क्या शिक्षा विभाग करेगा कोई कार्रवाई?
अब सवाल उठता है कि क्या शिक्षा विभाग इस गंभीर मामले पर संज्ञान लेगा या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। बच्चों को शिक्षा देने के बजाय उनसे सफाई कार्य करवाना न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि यह बाल अधिकारों का उल्लंघन भी है। देखना होगा कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है।
इस संबध में एसडीएम गोपाल पटेल ने कहा अखबारों में लगातार इस मामले की खबरें प्रकाशित हो रही थीं, जिसे देखते हुए मैंने खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) को मौके पर जांच के लिए भेजा है। कल मैं स्वयं बमनौरा संकुल का निरीक्षण करूंगा और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
अब जब प्रशासन ने इस मामले में संज्ञान लिया है, तो देखना होगा कि जांच के बाद क्या कदम उठाए जाते हैं। यदि दोषियों पर कार्रवाई होती है, तो यह अन्य स्कूलों के लिए भी एक सख्त संदेश होगा कि बच्चों से जबरन सफाई करवाने जैसी गलत परंपरा को रोका जाए।