
भोपाल की सड़कों और कॉलेज परिसरों में छात्राओं की सुरक्षा के सवाल पर उठी आवाज़ ने प्रशासन को झकझोर दिया। यह आवाज़ सबसे पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की थी। परिषद ने लव जिहाद, नशे और छात्राओं के खिलाफ अपराध के बढ़ते मामलों के खिलाफ ऐसा आंदोलन खड़ा किया कि भोपाल का सबसे चर्चित मछली कांड उजागर हो गया।
आंदोलन की शुरुआत – चेतावनी की पहली घंटी
रायसेन रोड स्थित एक निजी कॉलेज की घटना ने छात्राओं को दहला दिया। परिषद ने तुरंत कलेक्टर और कमिश्नर को ज्ञापन सौंपा और साफ कहा –
“बेटियों की सुरक्षा से समझौता नहीं होगा, दोषियों पर कठोर कार्रवाई करो।”
परिषद केवल ज्ञापन तक नहीं रुकी। छात्रा कार्यकर्ताओं ने कॉलेज-टू-कॉलेज जाकर काउंसलिंग की और हर विभाग में जाकर छात्राओं को बताया कि लव जिहाद और नशे का जाल कितना खतरनाक है। इससे छात्राओं के मन में सुरक्षा और हिम्मत का भरोसा पैदा हुआ।
जब प्रशासन ने ढिलाई दिखाई, एबीवीपी ने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ कलेक्टर कार्यालय का घेराव किया। नारे गूँजे –
“बेटियों की सुरक्षा दो, अपराधियों को सज़ा दो।”
यह आंदोलन केवल प्रदर्शन नहीं था, बल्कि जनमानस की हुंकार बन गया।
परिषद की माँगें – सुरक्षा का घोषणापत्र
1. SIT गठित हो और दोषियों पर IPC, POCSO और IT एक्ट की धाराओं में कार्रवाई हो।
2. कॉलेज परिसरों में लव जिहाद व ड्रग्स पर रोक हेतु विशेष पुलिस टीमें।
3. कन्या महाविद्यालयों के पास शराब की दुकानों को हटाया जाए।
4. छात्राओं की सुरक्षा हेतु पुलिस चौकियाँ, हेल्पलाइन और Internal Complaints Committee बनाई जाए
5. पूरे प्रदेश में सुरक्षा तंत्र और जागरूकता कार्यक्रम लागू हों।
आंदोलन का असर – मछली परिवार की नींव हिली
छात्रशक्ति के दबाव ने प्रशासन को झकझोर दिया। कुख्यात मछली परिवार, जिस पर ड्रग्स, लव जिहाद, यौन शोषण और अवैध कब्ज़ों के आरोप थे, अब प्रशासन के निशाने पर आ गया।
30 जुलाई 2025 को प्रशासन ने मछली गैंग की लगभग ₹100 करोड़ मूल्य की अवैध संपत्तियों—मदरसा, मैरिज लॉन, फार्महाउस, गोदाम और कारखाने—पर बुलडोजर चलाया।
21 अगस्त 2025 को गैंग की ₹25 करोड़ की आलीशान कोठी भी ध्वस्त कर दी गई। इस कोठी में नशे और शोषण की महफिलें सजती थीं।
मामले में यासीन अहमद और शाहवर अहमद को गिरफ्तार किया गया। उनके पास से ड्रग्स, हथियार और आपत्तिजनक वीडियो बरामद किए गए। इन पर महिलाओं के शोषण, ड्रग तस्करी और ब्लैकमेलिंग जैसे गंभीर आरोप हैं।
हालाँकि कार्रवाई के बावजूद, 34 दिन बीत जाने के बाद भी गैंग के मुखिया शारीक मछली के खिलाफ FIR नहीं दर्ज की गई, जिससे पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठे।
मामला NHRC तक पहुँचा
4 सितंबर 2025 को मछली गैंग का एक कथित सहयोगी दिल्ली में NHRC सदस्य प्रियंक कानूनगो के आवास पर मिठाई लेकर पहुँचा और मामले को “रफा-दफा” करने का प्रस्ताव दिया। NHRC सदस्य ने इसे फौरन रोकते हुए पुलिस को सूचना दी।
एबीवीपी की जीत – अपराधियों को चेतावनी
भोपाल का मछली कांड यह साबित करता है कि जब छात्र शक्ति जागती है, तो अपराधियों की सबसे मज़बूत दीवारें भी गिर सकती हैं। एबीवीपी की सक्रियता ने न केवल छात्राओं के लिए सुरक्षा का मार्ग प्रशस्त किया, बल्कि प्रशासन को कठोर कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया।
परिषद की घोषणा:
“हमारी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई। बेटियों की सुरक्षा और शिक्षा के माहौल की रक्षा के लिए परिषद हर मोर्चे पर खड़ी रहेगी।”
संपादक की कलम से
भोपाल में एबीवीपी का यह आंदोलन केवल विरोध नहीं था। यह वह चिंगारी थी जिसने मछली कांड जैसे संगठित अपराध के साम्राज्य को झकझोर दिया। आज प्रदेश की बेटियों को यह विश्वास है कि –
“अन्याय चाहे जितना बड़ा हो, संगठित छात्रशक्ति उससे भी बड़ी है।”
रिपोर्ट -रावेन्द्र त्रिपाठी दबंग केसरी भोपाल









