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आगर लॉ कॉलेज फिर से बंद होने की कगार पर, 3 वर्ष पहले वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने किया था लोकार्पण

रिपोर्ट  अक्षय राठौर

आगर मालवा।तीन साल पहले जिस विधि कॉलेज का लोकार्पण तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री और वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने किया था, उस कॉलेज पर एक बार फिर मान्यता के अभाव में बंद होने का संकट दिख रहा है। इस कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को विधि कॉलेज की मान्यता नहीं मिलने से अब कॉलेज प्रशासन उज्जैन विक्रम विश्वविद्यालय से संबंधित अन्य विधि कॉलेज में स्थानांतरित करने में जुट गया है। इस कारण विद्यार्थियों में भविष्य को लेकर चिंता है।गौरतलब है कि 1965 से आगर में विधि कॉलेज का संचालन हो रहा है, तब कॉलेज प्राइवेट था और जनभागीदारी समिति से कॉलेज का संचालन होता था। यह कॉलेज 2013 तक निरंतर संचालित हुआ, लेकिन 2013 में इसे बंद कर दिया। उसके बाद 2020 में तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री डॉ यादव ने इस कॉलेज का लोकार्पण कर इसकी शुरुआत की थी, लेकिन तीन साल बाद भी इस कॉलेज की मान्यता बार काउंसिल ऑफ इंडिया से नहीं मिली। अब कॉलेज प्रशासन ने मान्यता नहीं मिलने के कारण यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों का स्थानांतरण विक्रम विश्वविद्यालय के अन्य विधि महाविद्यालय में करने के लिए आदेश जारी कर दिया है और इसके लिए प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। ऐसे में जहां यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भविष्य को लेकर चिंता सताने लगी है, वहीं आगर लॉ कॉलेज फिरबंद होने की कगार पर दिख रहा है।

छात्रों पर दबाव बनाकर किया जा रहा स्थानांतरण

एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव अंकुश भटनागर ने बताया कि कॉलेज प्रशासन ने मान्यता नहीं मिलने के कारण यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों का स्थानांतरण विक्रम विश्वविद्यालय के अन्य विधि महाविद्यालय में करने के लिए आदेश जारी कर लिए प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। जबकि जिन छात्रों के चतुर्थ सेमेस्टर हो चुके हैं, उनका प्रवेश दूसरे महाविद्यालय में होता है तो उनको हर वर्ष की संबद्धता कॉलेज की कैसे मिलेगी। जिन छात्रों के तीन वर्ष पूरे हो चुके हैं उनका पुरानी तारीख में प्रवेश अन्य महाविद्यालय में कैसे दिया जा रहा है, इन सभी छात्रों को सनद कैसे मिलेगी, जिन छात्रों ने शासकीय कॉलेज में प्रवेश लिया, उनको निजी कॉलेज में आर्थिक भार का सामना करना पड़ेगा, जिसका विरोध किया जाएगा।

शासन के निर्देश पर विद्यार्थियों का स्थानांतरण किया जा रहा

आगर विधि कॉलेज को बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता नहीं मिलने के कारण शासन के निर्देश हैं कि इस महाविद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को संभाग के अन्य विधि महाविद्यालयों में रिक्त सीट के अनुसार स्थानांतरण किया जाए, जिसके पालन में प्रक्रिया की जा रही है। – डॉ. रेखा गुप्ता, प्राचार्य, शासकीय नेहरू महाविद्यालय लीड कॉलेज आगर।

परीक्षा परिणाम में भी आई है गड़बड़ियां

कई विद्यार्थी ऐसे जिन्हें परीक्षा में बैठकर पेपर देने के बाद भी उनको जीरो नंबर दिया गया और सभी विद्यार्थियों को एक विशेष विषय में ही क्यों क्यों जीरो नंबर दिए गए और आधे से अधिक विद्यार्थी एक ही विषय में ही कैसे फेल हो सकते हैं और लगभग सभी एक ही विषय में तीन या पांच नंबर देकर फेल किया गया एक जैसे नंबर कैसे आ सकते हैं सवाल तो उठाता है

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