पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री स्व. शरीफुद्दीन पीरजादा की बुरहानपुर स्थित संपूर्ण संपत्तियों को चिन्हित कर उस शत्रु संपत्ति को सरकार राजसात करे। डॉ. आनंद दीक्षित

रिपोर्ट डॉ. आनंद दीक्षित
देशभर में शत्रु संपत्ति के दायरे में आने वाली 16,000 संपत्तियाँ, जिनकी कीमत दो लाख करोड़ रुपए से अधिक। अब तक 9411 संपत्तियां शत्रु संपत्ति घोषित
बुरहानपुर। मध्य प्रदेश के छोटे से शहर बुरहानपुर में एक अंतरराष्ट्रीय मामला प्रकाश में आया है और इस पूरे प्रकरण को उठाया हैं बुरहानपुर के व्हीसल ब्लोअर, आर टी आई एक्टिविस्ट एवं जर्नलिस्ट डॉ. आनंद दीक्षित ने।
भारत सरकार ने 1968 में एक कानून लाया था जिसे शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 नाम से जाना जाता हैं। 1977 में इस अधिनियम में संशोधन भी हुआ। इस अधिनियम के अंतर्गत देश के बटवारे के उपरांत एवं बंगला देश एवं चीन युद्ध के समय देश छोड़ कर शत्रु देश के साथ जाने वालो की संपत्ति के लिए शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 लाया गया था।अन्य प्रदेशों के साथ साथ मध्य प्रदेश में भी शत्रु संपत्तियां हैं और इसी कड़ी में बुरहानपुर में भी पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री स्व. शरीफुद्दीन पीरजादा की बहुत सी संपत्तियां हैं जिन्हे आज तक राजसात नही किया गया हैं। स्व. शरीफुद्दीन पीरजादा का जन्म बुरहानपुर में सन 12 जून 1923 को पिता मीर नियाजी पीरजादा और माता फातिमा के घर हुआ था तथा उनकी मृत्यु 93 वर्ष की उम्र में 02 जून 2017 कराची पाकिस्तान में हुई थी।
अपनी शिकायत में डॉ. दीक्षित ने मांग की हैं की स्व शरीफुद्दीन पीरजादा की बुरहानपुर स्थित संपत्तियों को चिन्हित कर उन्हे शत्रु संपत्ति मानकर राजसात करें।
आपको बता दे यह मामला प्रकाश में आते ही मानो बुरहानपुर ने भूचाल आ गया। बहुत कम लोगो को इस अधिनियम की जानकारी थी और जिन लोगो को जानकारी थी भी तो उन्हें स्व. शरीफुद्दीन पीरजादा के बारे में जानकारी नहीं थी।
शत्रु संपत्ति कानून संशोधन विधेयक 2017 को संसद की मंजूरी
संसद ने शत्रु संपत्ति कानून संशोधन विधेयक 2017 को मंजूरी दे दी जिसमें युद्ध के बाद पाकिस्तान एवं चीन पलायन कर गए लोगों द्वारा छोड़ी गई संपत्ति पर उत्तराधिकार के दावों को रोकने के प्रावधान किये गए हैं। लोक सभा ने शत्रु संपत्ति (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक 2017 में राज्य सभा द्वारा किये गए संशोधनों को मंजूरी प्रदान करते हुए इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया। राज्य सभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।
इस अधिनियम के महत्त्वपूर्ण बिंदु
यह विधेयक इस संबंध में सरकार द्वारा जारी किये गए अध्यादेश का स्थान लेगा। गौरतलब है कि आज़ादी के बाद हुए विभाजन या युद्धों के बाद पाकिस्तान और चीन चले गए लोगों की संपत्ति पर उत्तराधिकार या संपत्ति हस्तांतरण के दावों की रक्षा के लिये करीब 50 वर्ष पुराने एक कानून में संशोधन के संबंध में अब तक कुल छः बार अध्यादेश लाया जा चुका है। गौरतलब है कि शत्रु संपत्ति से संबंधित विधेयक के जिस ‘भूतलक्षी खंड’ को लेकर विवाद है, जिसके सबंध में राज्यों ने अपना विरोध दर्ज़ कराया था, उस पर संसद के शीतकालीन सत्र में चर्चा की उम्मीद थी लेकिन नोटबंदी के मुद्दे पर संसद की कार्यवाही में लगातार अवरोध उत्पन्न होने के चलते इससे जुड़े कानून में संशोधन के लिये विधेयक पारित नहीं कराया जा सका था।
क्या है शत्रु संपत्ति अधिनियम
शत्रु संपत्ति अधिनियम भारत सरकार द्वारा 1968 में लाया गया था। यह कानून सरकार को यह शक्ति प्रदान करता है कि, ऐसे लोग जो देश विभाजन के समय या फिर 1962, 1965 और 1971 के युद्धों के बाद चीन या पाकिस्तान जाकर बस गए हों और उन्होंने वहाँ की नागरिकता ले ली हो, सरकार उनकी संपत्ति जब्त कर ले और ऐसी संपत्ति के लिये अभिरक्षक या संरक्षक (कस्टोडियन) नियुक्त करे। उल्लेखनीय है कि देश छोड़कर चले गए ऐसे लोगों की भारत में मौजूद संपत्ति ‘शत्रु संपत्ति’ कहलाती, ऐसे नागरिक- ‘शत्रु नागरिक’।
एक अनुमान के मुताबिक, देशभर में शत्रु संपत्ति के दायरे में आने वाली 16,000 संपत्तियाँ हैं, जिनमें से 9411 को अब तक शत्रु संपत्ति घोषित किया जा चुका है। इनकी अनुमानित कीमत लगभग एक लाख करोड़ रुपए है। वस्तुतः शत्रु संपत्ति अधिनियम में संशोधन के माध्यम से ऐसी संपत्तियों पर किसी भी प्रकार के दावे की गुंजाइश ही नहीं बचेगी। विधेयक में यह प्रावधान है कि जिस संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित किया जा चुका है, ऐसी संपत्तियों को पाकिस्तान में बसे लोग (जो देश छोड़कर जाने से पूर्व उनके हकदार थे) या उनके उत्तराधिकारी इन संपत्तियों का हस्तांतरण नहीं कर सकेंगे।