Dabang Kesari

Latest Online Breaking News

अष्टमी पर शहरवासियों ने मनाया विजय उत्सव  ,राम भक्त हनुमान जी को लगाया छप्पन भोग, रामधुन में रमे शहरवासी   रामभक्त हनुमान की प्रतिमाओं का,मंदिर में दर्शन लाभ लेने पहुंचे शहरवासी

रिपोर्ट किशोर सिंह राजपूत

शाजापुर। नगर के हनुमान मंदिरों में गुरूवार सुबह से ही मनोजहं मारूत तुल्यवेगम, दीपेंद्रयं बुद्धीमतां वरिष्ठम्, वातात्मजं वानरयुथ मुख्यमं, श्रीराम दुतं शरणम् प्रप’ के श्लोक सुनाई देने लगे थे। अंजनीलाल रामभक्त हनुमान की भक्ति में जैसे सारा शहर ही उमड़ पड़ा। अवसर था हनुमान अष्टमी का, जिसे शहरवासियों ने विजय उत्सव के रूप में मनाया और इस मौके पर हनुमान मंदिरों में भक्ति का सैलाब उमड़ पड़ा।

मारूति नंदन के दशर्न के लिए सुुबह से ही मंदिरों में भक्तों का पहुंचना शुरू हो गया था। इस विशेष अवसर पर हनुमान प्रतिमाओं का पंचामृत से अभिषेक किया गया, जिसके बाद बजरंग बाबा का विशेष श्रृंगार किया गया, जिसके बाद दिनभर महाप्रसादी के वितरण का क्रम चलता रहा जो देर रात तक जारी रहा।

यहां छाई रही मारूति नंदन की भक्ति….

हनुमान अष्टमी के अवसर पर खेड़ापति हनुमान मंदिर लखमन खेड़ी एवं डासी हनुमान मंदिर पर मंडलियों द्वारा सुंदरकांड का आयोजन किया गया। शहर के अति प्रचीन मंदिरों में शामिल बाबा मुरादपुरा हनुमान मंदिर पर सुबह बाबा का अभिषेक किया गया, जिसके पश्चात महाआरती कर प्रसाद भक्तों को वितरण किया गया। वहीं डासी हनुमान मंदिर पर भी रामभक्त हनुमानजी का पंचामृत से अभिषेक कर बाबा को चोला चढ़ाया गया। इसके बाद महाआरती की गई, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने शामिल होकर बाबा का आशीर्वाद लेकर प्रसादी ग्रहण की। वहीं मंदिर परिसर में सुंदरकांड का आयोजन भी किया गया। इसी प्रकार शहर के सभी हनुमान मंदिरों में सुबह से शाम तक धार्मिक कार्यक्रमों का सिलसिला देर रात तक चलता रहा।

इसलिए मनाया विजय उत्सव

पौष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर शुक्रवार को हनुमान अष्टमी पर्व मनाया गया। यह पर्व हनुमानजी के विजय उत्सव के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों में इसका रोचक प्रसंग है। भगवान श्रीराम और रावण के बीच युद्ध के समय अहि रावण ने प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण जी को बंदी बना लिया था। वह पाताल लोक में जाकर उनकी बलि देना चाहता था। तब हनुमान जी ने अहि रावण से युद्ध किया और उसका वधकर प्रभु को मुक्त करवाया था। शास्त्रों के अनुसार युद्ध के दौरान थक जाने के कारण हनुमानजी पृथ्वी के नाभि स्थल अवंतिका में विश्राम किया था। हनुमानजी बल और वीरता को देखकर भगवान राम ने उन्हें आशीर्वाद दिया था कि पौष कृष्ण की अष्टमी पर जो भी भक्त पूजा करेगा, उसके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। ऐसी मान्यता है कि तभी से इस दिन विजय उत्सव का पर्व मनाया जाता है।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें 

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button 

लाइव कैलेंडर

February 2025
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
2425262728  
error: Content is protected !!